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शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

संतरा

            संतरा
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धरा सा आकार सुन्दर,अरुण सी आभा सुशोभित
वेद का,उपनिषद का सब,ज्ञान फांकों सा सुसज्जित
और फांकों में समाये, वेद सब ,सारी ऋचायें
ज्ञान कण कण में,वचन से ,प्यास जीवन की बुझाये
फांक का हर एक दाना, मधुर जीवन रस भरा  है
संत के सब गुण  समाहित,इसलिए ये संतरा  है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

होली

खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया ,
जाने न दूंगी तोहे आज पिया |
झूम झूम के डारू तुझपे रंग पिया ,
भीजूंगी आज तोहरे ही संग पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
लगाऊं अबीर लगाऊं गुलाल गालो में तोहरे ,
ये मौका न जाने दू हाथ से पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
बाँधी है प्रीत की डोरी जो तुझसे ,
उस प्रीत पे आने न दूंगी आंच पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
छुडाये न छूटेगा ये
रंग पिया ,
इस प्रीत से भीज जायेगा तोहरा अंग पिया ,
खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया |
खुली आँख और टूटा सपना ,
तू खड़ा है सरहद के पास पिया ,
अब कैसे खेलूंगी होली तोहरे साथ पिया ?
अब कैसे खेलूंगी होली तोहरे साथ पिया ?

                                                          अनु डालाकोटी                



शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

भविष्य का सपना

भविष्य का सपना 
मन पखेरू उड़ने लगा है 
नए नए सपने संजोने लगा है 
दिल में एक नया एहसास उमंगें ले रहा है 
नई पीढ़ी का भविष्य भी अब सुनहरा हो रहा है 
आगे पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाइये और अपने सन्देश जरुर दीजिये /आभार/

क्या मैं अकेली थी

सुनसान सी राह
और छाया अँधेरा
गिरे हुए पत्ते
उड़ती हुयी धूल
उस लम्बी राह में
मैं अकेली थी ।

चली जा रही
सब कुछ भूले
ना कोई निशां
ना कोई मंजिल
उस अँधेरी राह में
मैं अकेली थी ।

तभी एक मकां
दिखा रस्ते में
बिन सोचे मैं
वहाँ दाखिल हुयी
उजाला तो था
चिरागों का पर
उन चिरागों में
मैं अकेली थी ।

रुकी वहाँ और
सोचा मैंने है कोई
नहीं यहाँ तो चलूं
आगे के रस्ते में
फिर निकल पड़ी
पर उस रस्ते पर
मैं अकेली थी ।

छोड़ दिया उस
मकां का रस्ता
देखा बाहर जो मैंने
उजाला था राह में
लोग खड़े थे
मेरे इंतजार में

वहाँ ना अँधेरा था
ना ही विराना
बस था साथ
और विश्वास
उन सबके साथ
उस साये में
आकर फिर

मैंने सोचा
क्या सच में
मैं अकेली थी
या ये सिर्फ
एक पहेली थी ।

©.दीप्ति शर्मा

दिल के अहसास

1. हर इक रस्म निभा जाना आसान नहीं,
बस सोचना ही आसान होता है ।

2. तस्वीरें अहसास कराती हैं
अपनों के पास होने का
उसकी अहमियत कोई समझे
ये जरूरी तो नहीं ।

3. दिल जल जाते हैं
हाथों को जलाने से क्या होगा
गर चाहे वो मुझे
तो याद आयेगी उसे
मेरे याद दिलाने से क्या होगा ।

4. जब नाम दिल पर लिखा हो
कागज से मिटाकर क्या पा लोगे
हस्ती है मेरे प्यार की रौशन
ख़्वाबों में जो तुम मुझे ना पाओ
तो ख़्वाब सुनहरे कैसे सजा लोगे ।

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