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रविवार, 30 जून 2024

बुढापा कैसे काटें 


बुढ़ापा सबको ही आता, किसी का जोर ना चलता 

उम्र का यह दौर ऐसा सभी के मन को है खलता 

बुढ़ापे की जटिलता में किस तरह लाएं सरलता 

जिंदगी के जंग में कैसे मिले तुमको सफलता 

चंद बातें बताता हूं ,याद तुम रखना हमेशा 

पहली यह के किसी से भी रखो ना कोई अपेक्षा 

क्योंकि अक्सर अपेक्षाएं पूर्ण होती कदाचित है 

और इस कारण तुम्हारा हृदय हो जाता व्यथित है 

दूसरा यह की स्वयं की बचत खुद के नाम रखना 

किसी पर आश्रित न होना, सदा स्वाभिमान  रखना 

अपनी सारी जमा पूंजी खर्च खुद पर करो जी भर 

हाथ  देने को उठे ,ना मांगने का आए अवसर 

जिंदगी भर बहुत मेहनत करी तुमने धन कमाया 

वह भला किस काम का जो काम तुम्हारे ही  न आया 

तीसरा, चुप रहो ,घर के काम हर में मत दखल दो 

राय दो जब कोई पूछे ,बिना मांगे मत अकल दो 

क्योंकि यह पीढ़ी नई है सोचने का ढंग नया है 

वक्त पहले सा रहा ना, बदलअब सब कुछ गया है 

स्वास्थ्य अच्छा रहेगा यदि खाओ कम और खाओ गम तुम 

हो कोई झगड़ा कलह तो हमेशा ही जाओ नम तुम 

इस तरह जो रहोगे तो तुम्हारा सम्मान होगा 

बुढ़ापे में जिंदगी जीना बड़ा आसान होगा  

खाओ पियो मन मुताबिक और जियो मन मुताबिक 

मज़ा वृद्धावस्था का , जी भर उठाओ, मन मुताबिक 

पत्नी को दो मान,जीवन की वही है सच्ची साथी 

जीवन के अंतिम समय तक साथ तुम्हारा निभाती 

अपने सब सुख दुख हमेशा संग उसके मिलकर बांटो 

जिओ चिंता मुक्त जीवन ,बुढ़ापा इस तरह काटो 


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 24 जून 2024

कैसी मिलेगी


जो चटपट पटाओगे तो चटपटी मिलेगी


 जो खटाखट चाहोगे तो खटपटी मिलेगी


 जरा हटके ढूंढना चाहोगे तो हठी मिलेगी 


छांटने के चक्कर में रहोगे तो छंटी मिलेगी


मिलेगी वही जो लिखी होगी नसीब में तेरे 


फेर में जिसके पड़  तुम लोगे के सात फेरे


घोटू

जय अमरनाथ 


जय जय अमरनाथ सरकार 

आपकी महिमा अपरंपार 

भगत हम आए तेरे द्वार 

हमारा भी कर दो उद्धार  


अमर गुफा में पहाड़ की

 किया आपने वास 

लगी भीड़ है भक्त की

हर लो सबके त्रास 


नमो बाबा बर्फानी 

महिमा जानी मानी 

गुफा की अमरनाथ की 

सुनो तुम आज कहानी 


करी जिद पार्वती ने 

यहां पर शंकर जी ने 

सुनाई अमर कथा थी 

हुई पावन यह गुफा थी 


रूप बर्फीला लेकर 

हमेशा आते शंकर 

श्वेत छवि सुंदर प्यारी 

कष्ट हरते त्रिपुरारी 


बर्फ रूप में पहाड़ पर 

आते हैं महादेव 

जीवन में हर भक्त के 

लाते शांति सदैव 


कृपा भोले की होती 

ज्ञान की जलती ज्योती 

लुटाते हो तुम सब पर प्यार 

जय जय अमरनाथ सरकार


मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 23 जून 2024

भुनना 


 मैंने देखा है दुनिया में ,

कि औरों की प्रगति देखकर 

मन में लगती आग ,जलन से ,

जलते भुनते लोग अधिकतर 


लेकिन ऐसे जलना भुनना,

कोई बात नहीं है अच्छी 

पर कुछ चीज़ें ऐसी होती 

जो भुनने पर लगती अच्छी 


भुनता जब मक्की का दाना 

तो वह पॉपकॉर्न बन जाता 

उसकी सख्ती मिट जाती है 

वह स्वादिष्ट नरम हो जाता 


भुन जाती है अगर मूंगफली 

वह चिनिया बादाम हो जाती 

खो देती तैलीय स्वाद है ,

वह खस्ता लजीज हो जाती 


पर जब  अन्न का दाना भुनता 

तो वह बीज नहीं रह जाता 

काम आता है एक बार ही

काम नहीं दोबारा आता 


इसीलिए अन्न के दाने से 

अगर भुने तो पछताओगे 

स्वादिष्ट बनोगे एक बार 

पर फिर न कभी उग पाओगे 


निज  ऊर्जा शक्ति खो दोगे 

यदि गलत राह को चुनते हो

तुम कभी पनप पाओगे 

यदि ज्यादा जलते भुनते हो


भुनना है भुनो रुपये से 

जो को भुन देता सिक्के चिल्लर 

लेकिन उसकी कृय शक्ति में 

आता नहीं जरा भी अंतर


मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 19 जून 2024

कन्हैया बचपन में 


तू तो बड़ा ही था शैतान,

 कन्हैया बचपन में 

करे सबको था परेशान, 

बिरज की गलियन में 


कभी किसी की हंडिया तोड़ी ,

कभी किसी की छींका तोड़ा 

माखन खाया मुंह लिपटा कर 

गोप सखा में बांटा थोड़ा 

करती थी जब गोपी शिकायत 

छुप जाता था आंगन में

 तू तो बड़ा ही था शैतान 

कन्हैया बचपन में 


बाल सखा संग धेनु चराता 

बैठ कदंब पर मुरली बजाता 

जमुना में जब नहाती गोपिया 

उन सबके तू वस्त्र चुराता 

करता था सबको परेशान 

कन्हैया बचपन में 

तू तो बड़ा ही था शैतान

 कन्हैया बचपन में 


भोली राधा बरसाने की 

हुई दीवानी मुरली धुन की 

ऐसी जोड़ी बनी तुम्हारी 

आज पूजती दुनिया सारी 

तेरी लीला बड़ी महान,

कन्हैया बचपन में 

तू तो बड़ा ही था शैतान 

कन्हैया बचपन में


मदन मोहन बाहेती घोटू

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