पूछने जाता न कोई, खैरियत बीमार की,
खलल ना पड़ जाए उनके यार के आराम में
इधर रहता है परेशां,दोस्त जो बीमार है,
कोई क्यों आता न उसकी, खैरियत को जानने
घोटू
मैं सभी का शुक्र गुजार हूं
वो जिनकी दुआओं में बन दवा
मेरी बीमारी का है इलाज किया
सभी दोस्त यारों का शुक्रिया
मुझे लगा ही नहीं कि मैं बीमार हूं
मैं सभी का शुक्र गुजार हूं
रहा लंबी बिमारी का सिलसिला
दिया मुझको कितनी ही बार हिला
तब जिन्होंने बढ़ाया था हौसला
मैं उन सभी का कर्जदार हूं
मैं सभी का शुक्र गुजार हूं
मेरी बेटी, बेटा ,मेरी हमसफर
रखी रात दिन मेरी खैरो खबर
यह है उनके प्यार का ही असर
मैं उनके दिल का करार हूं
मैं सभी का शुक्र गुजार हूं
मदन मोहन बाहेती घोटू