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सोमवार, 21 अगस्त 2023

हम भी खुश और अगला भी खुश

कई बार ऐसा होता कुछ
हम भी खुश और अगला भी खुश 

मैं भगवन को शीश नमाता 
श्रद्धा से परशाद चढाता 
वो ना खाते , मैं ही खाता 
पत्नी को भी शीश नमाता 
सारी तनख्वाह उसे थमाता 
उससे ले घर कर चलाता 
वह समझे, वो ही है सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

प्रभु जी का गुणगान करूं मैं 
कीर्तन भजन तमाम करूं मैं 
श्रद्धा सहित प्रणाम करूं मैं 
मैं पत्नी के भी गुण गाता 
सास ससुर को शीश नमाता 
ढेर प्यार पत्नी का पाता
वह न्योछावर करती सब कुछ 
मैं भी खुश और पत्नी भी खुश 

बच्चे सारे आए जिद पर 
नई लगी ,देखे वह पिक्चर 
पैसे मिले, गए खुश होकर 
अब घर में मैं और पत्नी थी 
सजी धजी और बनी ठनी थी 
तन्हाई में मौज मनी थी 
बहुत ही मज़ा आया सचमुच 
हम भी खुश और बच्चे भी खुश

मदन मोहन बाहेती घोटू 
टेंशन तुम मत लेना 

एक बात तुमसे कहता हूं, ध्यान सदा तुम देना 
चाहे जो कुछ भी हो जाए ,टेंशन तुम मत लेना 

जो बारिश कम, तुम्हें टेंशन 
बारिश ज्यादा तो भी टेंशन 
गर्मी पड़ती ,नहीं सुहाता 
बिजली जाती, टेंशन आता 
टेंशन ,आए डेंगू मच्छर 
टेंशन, महंगे हुए टमाटर 
टेंशन है बढ़ती महंगाई 
कुछ ना कुछ होता दुखदाई 
खुश होकर के खाओ पियो, 
जो भी मिले चबैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना 

एक बात सुन लो मेरे भाई 
पत्नी की मत करो बुराई 
चला रही है वही गृहस्थी
उसके कारण घर में बस्ती 
रखती वह बैलेंस बनाकर
सुख पाओ उसके गुण गाकर 
कभी झगड़ना मत पत्नी से 
उसे चाहना हरदम जी से 
उसकी सब की सब बातों पर 
सदा तबाज्जो देना
 कभी टेंशन तुम मत लेना 
 
 जो होना है सो होना है 
 तो फिर काहे का रोना है 
 कब क्या होगा किसने देखा 
 लिखा हुआ नियति का लेखा
 तो फिर क्यों चिंता ले मन में 
 रहते हो तुम सहमे सहमे
 बचा हुआ है जितना जीवन 
 क्यों न खुशी से फिर जिए हम 
 हंसकर गाकर वक्त गुजारें,
 बन कर तोता मैना 
कभी टेंशन तुम मत लेना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 20 अगस्त 2023

मेरा देश

अलगअलग भाषाएं सब की अलग सभीके भेष हैं 
लेकिन सब के सब मिल करके ,देते प्रेम संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब में भाईचारा है 
सर पर मुकुट हिमालय का है बहती गंगा धारा है 
तीन तरफ सागर की लहरें करती जलअभिषेक है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

रामेश्वर जगदीश द्वारका बद्री धाम हैं चार यहां 
महाकाल है विश्वनाथ है ज्योतिर्लिंग केदार यहां
धोने पाप सभी गंगा में ,हरिद्वार ऋषिकेश है 
यह मेरा देश है,यह भारत देश है 

यह धरती राणाप्रताप की,वीर शिवा की, गांधी की 
जिनने सबने बीन बजाई ,भारत की आजादी की 
बुद्ध और महावीर ने दिया ,शांति का संदेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

यहां अजंता एलोरा है ,ताजमहल, नालंदा है 
होली और दीवाली उत्सव बड़े प्रेम से मनता है 
तीन देव रक्षा करते हैं, ब्रह्मा विष्णु महेश है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है 

ज्ञान और विज्ञान यहां पर सदियों से ही उन्नत है 
सोने की चिड़िया कहलाता ,देश हमारा भारत है 
राम कृष्ण अवतरित हुए थे उनकी कृपा विशेष है 
यह मेरा देश है ,यह भारत देश है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
एक नारी सब पर भारी 

महिलाएं सब पर पड़ती भारी है 
पुरुष सब कुछ सहता है ,लाचारी है 
सब चीज पर जताती है अपना अधिकार 
कब्जा किए हैं सब तिथि और त्योहार 
पहली तिथि गुड़ी पड़वा 
तो दूसरी तिथि भाई दूज है 
दोनों में ही इनकी होती पूछ है
तीसरी तिथि तीज पर इनका एकाधिकार है 
सजती संवरती है,करती सोलह सिंगार है 
चौथी चौथ, चारों चौथों पर व्रत रखती है 
और रात को चांद का दीदार करती है 
पांचवी तिथी बसंत पंचमी 
और छठी को छठ है मनाना 
सप्तमी को शीतला सप्तमी ,
खिलाती है ठंडा खाना 
अष्टमी को होईअष्टमी रखती है 
दुर्गा नवमी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है दशमी को विजयादशमी बनाती है 
एकादशी को तुलसी का विवाह कराती है 
द्वादशी को बछ बारस 
और धनतेरस को बरसता है धन 
चौदस को रूप की चौदस
और अमावस को होता है लक्ष्मी का पूजन महिलाओं का वर्चस्व होता है हर दिन पर 
मर्द विचारा काम में जुटा रहता है महीना भर 
इन को खुश करने के लिए कमाता है 
कभी जेवर दिलाता है 
कभी घेवर खिलाता है 
कभी उनको करवा पिलाता है 
यह रानी कहलाती है 
वह नौकर कहलाता है 
पत्नी हमेशा रहती है तनी
और पति पर सदा विपत्ति रहती है भारी
पुरुष सब कुछ सहता है क्योंकि है लाचारी
एक नारी ,सब पर भारी

मदन मोहन बाहेती घोटू
देखो यह बात ठीक नहीं

तुम वधू हो मैं तुम्हारा वर
तुम्हें भेंट करता हूं जेवर 
तुम्हें खिलाता लाकर घेवर 
पर तुम दिखलाती हो तेवर 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं हूं घर वाला तुम्हारा 
नाचूं जब तुम करो इशारा 
हरदम रखना ख्याल तुम्हारा 
पर तुम नहीं डालती चारा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा प्रेमी अच्छा 
तुम्हें प्यार करता हूं सच्चा 
देता उपहारों का लच्छा 
पर तुम हरदम देती गच्चा 

देखो यह बात ठीक नहीं 

मैं तुम्हारा पति परमेश्वर 
करता तुम पर जान निछावर 
तुम्हें चाहता दिल से डियर 
तुम तरसाती रहती हो पर 

देखो यह बात ठीक नहीं

मैं तुम्हारा सच्चा आशिक 
इतने वर्षों रहा साथ टिक 
गया प्रेम में तुम्हारे बिक
और तुम करती रहती चिक चिक

 देखो यह बात ठीक नहीं
 
 मैं तो हूं तुम्हारा स्वामी 
 पर नौकर बन करूं गुलामी 
 हर एक बात पर भरता हामी 
 लेकिन तुम करती मनमानी
 
देखो यह बात ठीक नहीं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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