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सोमवार, 7 अगस्त 2023

दिल्ली 6 का खाना

स्वाद के मारे सब प्यारों का स्वागत करती देहली है 
दिल्ली 6 के खान-पान की शान बहुत अलबेली है

सबको बना दिया दीवाना है इसके पकवानों ने मुंह पानी भरती चाटों ने ,मिठाई की दुकानों ने प्यारी है रसभरी जलेबी सबके मन को ललचाती 
घंटे वाले सोहन हलवे की याद बहुत है तड़फाती खुरचन ,बाजार किनारी की,है चीज सभी के चाहत की 
जगह-जगह सर्दी में मिलती, चाट सुहानी दौलत की 
गली-गली में बहुत चाट के दोने जाते चाटे है
गली पराठे वाली के ,कितने मशहूर पराठें हैं 
स्वाद कंवरजी दाल मोठ और अमृत भरी इमरती है 
नटराज के भल्ले आलू टिक्की सबको भाया करती है 
नागोरी पूरी और हलवा ,गरम बेडमी स्वाद भरी और मटर कुल्चों के ठेलों पर रहती है भीड़ बड़ी खस्ता और आलू की सब्जी, छोले और भटूरे हैं कांजी बड़े नहीं खाए तो सारे स्वाद अधूरे हैं 
हलवा करांची चेनामल का ,इसकी अपनी रंगत है ज्ञानी ,रबड़ी और फ़लूदा,खाना सब की चाहत है खान-पान से दिल्ली 6 का, बड़ा पुराना नाता है पेट भले ही भर जाता मन लेकिन न भर पाता है नाम पुरानी दिल्ली ,लगती हरदम नयी नवेली है दिल्ली 6 के खानपान की शान बहुत अलबेली है

मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 6 अगस्त 2023

अच्छा आदमी 

जिंदगी अपनी गुजारो प्यार से,
 रहो बनके एक सच्चा आदमी 
 जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे,
 जा रहा है एक अच्छा आदमी 
 
मोहब्बत जिसने लुटाई हर तरफ
और सब में प्यार बांटा, प्यार से 
बांटने सुख-दुख उठाई मुश्किलें,
आज वह उठ जा रहा संसार से 
मित्रों संग लंबा निभाना साथ था,
जा रहा है दे के गच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे,
 जा रहा है एक अच्छा आदमी 
 
वह बड़ा ही था भला और नेक था,
मन में थी सब के प्रति सद्भावना 
सदा उसके चेहरे पर मुस्कान थी 
करता था सबके भले की कामना 
सादगी से रहा पूरी उम्र भर ,
दिल का था पर थोड़ा कच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे 
जा रहा है एक अच्छा आदमी 

रहा करता हमेशा सत्कर्म वो 
देखता भगवान हर इंसान में 
करता था उत्साहवर्धन सभी का,
आस्था रखता सदा ईमान में 
सभी पर उपकार वह करता रहा ,
भला था जैसे कि बच्चा आदमी 
जियो ऐसे ,जाओ तो दुनिया कहे 
जा रहा है एक अच्छा आदमी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
दल की दलदल

मिल गए कई दल, दल दल में, अस्तित्व मगर अपना अपना 
मोदी को हटाए सत्ता से, मन में बस यही लिए सपना
पोषित हैं परिवारवाद से सब ,कहते खुद को समाजवादी 
 कुछ छूटे हुए जमानत पर ,कुछ सजायाफ्ता अपराधी 
 नौ वर्षों से न कमाई कुछ, ना कोई कमीशन, रिश्वत है
सब काली पूंजी स्वाह हुई ,नोटबंदी लाइ मुसीबत है 
सूखे सब श्रोत कमाई के ,बदहाली ही है बदहाली 
इस आशा से मिल रहे कि फिर, धन बरसे, छाए खुशहाली 
 पुश्तों के लिए जमा सब धन ,धीरे-धीरे बहता जाता 
कुर्सी से दर्द जुदाई का ,अब इनसे सहा नहीं जाता 
इनने सत्ता सुख भोग लिया ,कोशिश यही है अब केवल 
इस राजनीति में, बच्चों को ,जैसे तैसे कर दे सेटल 
कोशिश कर रहे सब मिलकर ,कट जाए मोदी का पत्ता 
इनको फिर कुर्सी मिल जाए और हथियालें फिर से सत्ता 
चल रही मगर एक खींचतानी ,सब चाहे पंत प्रधान बने 
एक दूजे को देते गाली पर दोस्त बने अब सभी जने 
पर हवा चल रही मोदी की, ये बादल होंगे तितर बितर 
कोरस गाते मजबूरी में ,लेकिन मिलते ना इनके स्वर 
सबकी अपनी अपनी ढपली, और राग अलापे सब अपना 
 चौबिस में मोदी आएगा और टूटेगा इनका सपना

मदन मोहन बाहेती घोटू 
जीवन डगर 

जीवन की डगर, है नहीं सरल, मुश्किल आती कैसी कैसी 
तुम में यदि हिम्मत, जज्बा है ,हर मुश्किल की एैसी तैसी 

जो हार हौसला जाते हैं ,और डर जाते बाधाओं से 
जो कंकर ,पत्थर, कांटों को ,पाते ना हटा निज राहों से 
उनको मंजिल ना मिल पाती, रहती हालत वैसी वैसी 
तुममें यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी 

होते हो अगर अग्रसर तुम ,जीवन में प्रगति के पथ पर 
दस दुश्मन नजर गढाएं हैं ,रखना होता पग संभल संभल 
तुमको सबसे टकराना है ,छाती हो फौलादी जैसी 
तुमने यदि हिम्मत ,जज्बा है ,हर मुश्किल की ऐसी तैसी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
सच्चा सुख 

ना तो हीरे मोती में है ,ना ही चांदी और सोने में 
सच्चा सुख मिलता, पग पसार, अपने बिस्तर पर सोने में 

चाहे वो कितने थके पके, सारी थकान मिट जाती है 
अपने पलंग पर जब लेटो, तो नींद चैन की आती है 
सब परेशानियां भग जाती , मिटते जीवन के सन्नाटे 
निद्रा देवी की गोदी में ,जब आने लगते खर्राटे 
मन में शांति छा जाती है ,क्या रखा रोने धोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

भरपेट अगर भोजन कर लो , तो तन अलसाने लगता है 
पलके मुंदती,थोड़ा सरूर ,आंखों में छाने लगता है 
हो तकिया नरम सिरहाने में ,चलता हो पंखा या ऐ सी 
तुम स्वप्नलोक में उड़ते हो ,फिर दुनिया की ऐसी तैसी 
वह मजा और ही होता है, मीठे सपनों में खोने में 
सच्चा सुख मिलता पग पसार,अपने बिस्तर पर सोने में

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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