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रविवार, 16 अप्रैल 2023

चिंतन 

कल की बातें, कड़वी खट्टी ,याद करोगे, दुख पाओगे 
आने वाले ,कल क्या होगा, यदि सोचोगे ,
घबराओगे 
जो होना है , सो होना है ,व्यर्थ नहीं चिंता में डूबो,
भरसक मजा ,आज का लो तुम , तभी चैन से जी पाओगे

घोटू 

बुधवार, 12 अप्रैल 2023

मैं पप्पू हूं 

लोग मुझे पप्पू कहते मैं,बचपन से सिरफिरा रहा हूं 
सभी मिलाते हैं हां में हां, मैं चमचों से घिरा रहा हूं

कभी नमाजी टोपी पहनी कभी जनेऊ मैं लटकाता 
अपना धर्म बदलता रहता, ब्राह्मण में खुद को बतलाता 
मैं लोगों को गाली देता, लोग मुझे गाली देते हैं एक प्रतिष्ठित खानदान की, बिगड़ी फसल मुझे कहते हैं 
लंबी-लंबी करी यात्रा ,फिर भी आगे ना बढ़ पाया 
ना तो कुर्सी पर चढ़ पाया, ना ही में घोड़ी चढ़ पाया 
मैंने जो भी काम किया है अपने मन का,
अपने ढंग का
अपनी जिद पर अड़ा रहा मैं ,हार गया सोने की लंका 
अंट शंट मै बकता रहता ,करता रहता हूं गुस्ताखी 
राजघराने का वारिस हूं ,राजा नहीं मांगते माफी 
 कितना लोगों ने समझाया क्षमा मांग लो,हो गई गलती 
लेकिन क्षमा मांग कर कैसे ,कर लूं अपनी मूंछें नीची 
प्राइम मिनिस्टर मैं बन जाऊं, मम्मी जी की यह हसरत है 
मैं विदेश में, बुरा बताता ,भारत को ,मेरी आदत है

अपनी हरकत से मैं अपनी ,पार्टी नीचे गिरा रहा हूं 
लोग मुझे पप्पू कहते मैं बचपन से सिरफिरा रहा हूं

घोटू
कल तक के अंगूर था मैं 

कल तलक अंगूर था मैं ,
आज किशमिश बन गया हूं 

कटा बचपन लताओं संग,
एक गुच्छे में लटकता 
संग में परिवार के मैं ,
समय के संग रहा बढ़ता 

और एक दिन पक गया जब ,
साथियों का साथ छूटा 
त्वचा चिकनी और कसी थी 
स्वाद भी पाया अनूठा 

अगर थोड़ा और पकता 
और मेरा रस निकलता 
समय के संग वारूणी बन,
 मैं नशीला जाम बनता 

उम्र ने लेकिन सुखाया 
वारुणी तो बन न पाया 
बना किशमिश और मीठा ,
सुहाना सा रूप पाया 

तब था जीवन चार दिन का,
 हुई लंबी अब उमर है 
 आदमी में और मुझ में, 
 उम्र का उल्टा असर है 

 आदमी की उम्र बढ़ती 
 अंत उसका निकट आता 
 मुझ में जब आता बुढ़ापा 
उमर है मेरी बढ़ाता 

 उम्र का यह फल मिला है
  अब नहीं मैं फल रहा हूं
  लोग मेवा मुझे कहते,
  सभी के मन भा रहा हूं

  डर न सड़ने, बिगड़ने का,
  स्वाद से मैं सन गया हूं
  कल तलक अंगूर था मैं,
  आज किशमिश बन गया हूं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सीख ले अब तू ढंग से सोना 

भाग दौड़ में जीवन उलझा, लगा कमाने में तू पैसा 
रत्ती भर भी चैन नहीं है रहता है बेचैन हमेशा 
ढंग से अपने मनमाफिक तू, दो रोटी भी ना खा पाता 
सारा दिन भर किसके खातिर ,मेहनत करता और कमाता 
तुझे रात भर, नींद ना आती, सोता करवट बदल बदल कर
बहुत हुआ माया का चक्कर ,अब तो बस कर अब तो बस कर 
चिंताओं से व्यर्थ ग्रसित तू ,होगा वो ही जो है होना 
बहुत हो गया सोना सोना, सीख ले अब तू ढंग से सोना 

बहुत व्यस्त तेरा जीवन तू हरदम रहता परेशान है 
तेरी सारी बीमारी का ,ढंग से सोना ही निदान है 
अगर चैन से नींद आएगी, तुझको बड़ा सुकून मिलेगा 
सुबह उठेगा खुद को हल्का और ताजा महसूस करेगा 
तेरा अगला पूरा दिन ही, रंग, उमंग से भर जाएगा 
नया सवेरा ,तेरे जीवन में खुशियां भर कर लाएगा 
मनचाही भरपूर नींद लें, बंद कर रोज-रोज का रोना 
बहुत हो गया सोना सोना, सीख ले अब तू ढंग से सोना

मदन मोहन बाहेती घोटू
 प्रबल है संभावनाएं 
 
आ रहा चुनाव सर पर 
गहमागहमी है भयंकर 
झूठी झूठी बातें फैला, 
लोग तुमको बरगलायें 
प्रबल है संभावनाएं 

नेता सब हारे पुराने 
आज बनते हैं सयाने 
जुड़े उनकी चौकड़ी और,
 महाभारत ये कराएं 
 प्रबल है संभावनाएं 
 
कई वर्षों बिना खाए 
भूखे बैठे तिल मिलाये 
फिर से हथियाने को सत्ता,
 हाथ आपस में मिलाएं 
 प्रबल है संभावनाएं 
 
कोई नेता बांध मफलर 
भोली भाली छवि दिखाकर 
झूठे वादे करके सबको 
बना बुद्धू ,वोट पाए 
प्रबल है संभावनाएं 

एक पप्पू जो न जाने 
उसे कब क्या बोलना है 
बेतुकी हरकतें कर के, 
तपस्वी खुद को बताए 
प्रबल है संभावनाएं 

सोच अभिमन्यु अकेला 
चाहते हैं खेलें खेला 
राज्य चाहे जल रहा हो,
 पहन टोपी ,पार्टी खाएं 
 प्रबल है संभावनाएं 
 
हमें लेना फैसला है 
क्या बुरा है क्या भला है 
यूं ही झूठे प्रलोभन से ,
कहीं धोखा खा न जाएं 
प्रबल है संभावनाएं 

इसलिए है जरूरी यह
सोचकर हम करें निर्णय 
चुने कर्मठ आदमी को ,
देश जो उन्नत बनाएं 
प्रबल है संभावनाएं 

कई वर्षों देखा भाला 
देश को जिसने संभाला 
योग्य जो है सबसे ज्यादा,
 फिर से मोदी को जिताएं
 प्रबल है संभावनाऐं 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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