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शुक्रवार, 1 मई 2020

लॉक डाउन -एक चिंतन

चिड़ियों ने उड़ना ना छोड़ा ,पंछी भी चहकते ,गाते है
फूलों की महक अब भी कायम ,भँवरे अब भी मंडराते है
बहती है हवा अब भी शीतल ,नदियां बहती है कल कल कल
लहरें समुद्र में उठती है और झरते भी झरते है  झर झर
उगते है रोज सूर्य  चंदा ,तारे भी चमकते है  चमचम
सब काम कर रहे अपना तो  ,क्यों घर में घुस कर बैठे हम
प्रकति की लायी आफत से ,प्रकृति है खुद भयभीत नहीं
इस तरह चुरा आँखें छुपना ,हिम्मतवालों की रीत नहीं
रस्ता यदि कंटक कीच भरा ,तो चलो बचाकर ,संभल संभळ
लेकिन यह बिलकुल उचित नहीं ,तुम बैठ जाओ ,बंद करो सफर
जीवन में  कठिन कठिन  विपदा, तो रहती  आती जाती है  
करना सघर्ष हमें पड़ता ,तब ही मंजिल मिल पाती है
जो  मिली चुनौती है हमको ,क्यों भाग रहे ,पीछे हट कर
इतिहास करेगा माफ़ नहीं ,कह कर कमजोर हमें कायर
सब बिगड़ जाएगा तारतम्य ,हालात कठिन हो जाएंगे
फिर से पटरी पर लाने में ,हमको बरसों लग जाएंगे
हो गयी बहुत तालाबंदी ,अब उचित यही ,संघर्ष करो
और चला बंद उद्योगों को ,फिर से अपना उत्कर्ष करो
कर गए पलायन श्रमिक कई ,उद्योग चलाना उनके बिन
है काम परेशानी वाला  मेहनत से ही होगा मुमकिन
चालीस दिन में है सीख लिया ,कोरोना से कैसे लड़ना
भय छोड़ सामना करना है और प्रगति के पथ पर बढ़ना

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
पत्नीजी के जन्मदिवस पर

 हर दिन  यूं रंगीन  ना होता
अगर आज का दिन ना होता

ना तुम इस धरती पर आती
बनती मेरी  जीवन  साथी
इस जीवन में इतनी खुशियां ,
आ पाना मुमकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता
 
यह सुन्दर मृदु प्यार तुम्हारा
यह निश्छल  व्यवहार तुम्हारा
इतनी सेवा और समर्पण ,
शायद ये तुम बिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता

निशदिन खिला रसीले व्यंजन
तुमने  तृप्त किया  मेरा मन
जीवन में मिठास भर दिया ,
तुम बिन ये लेकिन ना होता
अगर आज का दिन ना होता

मन था प्यासा ,बहुत उदासा
तुम गंगा सी ,मैं यमुना सा
यदि अपना संगम ना होता ,
हर दिन बड़ा हसीन ना होता
अगर आज का दिन ना होता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

विवाह की वर्षगाँठ पर

मैं अठत्तर ,तुम तिहत्तर ,ख़ुशी का उत्सव मनायें
पर्व पावन ,ये मिलन का ,प्यार की ज्योति जलायें
मिलन का संयोग अपना ,लिखा ऐसा विधाता ने
एक दूजे की ,उमर भर ,रहेंगे हम बांह थामे
परिस्तिथियाँ ,कठिन से भी कठिन हो ,देंगे सहारा
हृदय में तुमको बिठा कर , उदेलेंगे प्यार सारा
दो बदन एक जान है हम ,दो हृदय पर एक धड़कन
प्रेम अपना ,एक दूजे को रहें करते समर्पण
हँसते हँसते ,यूं ही जीवन ,काट दे ,रूठें ,मनाये
पर्व आया है मिलन का ,प्यार की ज्योति जलाये

घोटू 
घोटू के पद

कोरोना ,जाओ तुम्हे हम जाने
 चमगादड़ के जाये हो तुम ,लोग तुम्हे पहचाने
चीन देश ने भेजा तुमको ,अपना जाल बिछाने
फ़ैल रहे तुम ,दिन दिन दूने ,सबको लगे सताने
कितनो के ही प्राण गमाये ,तुम्हारी विपदा ने
बच कर रहे सभी अब तुमसे,पास नहीं दे आने
घर में रहे,मुंह ढक घूमे ,कितने लोग सयाने
अपनों का स्पर्श न करते ,अपने अब  बेगाने
कोरोना ,जाव तुम्हे हम जाने

घोटू 
घोटू के पद

कोरोना की मार -विरहन की पुकार

प्रिय तुम ,कोरोना डर भागे
जबसे तुमसे नयन मिले है ,प्रेम भाव मन जागे
मिलन प्रतीक्षा में व्याकुल है ,प्यासे नयन अभागे
मैं तुम्हारी प्रेम पुजारन , सब जग बंधन त्यागे
करूं समर्पित ,निज सरवस मैं ,अगर पियाजी मांगे
तुम आये ,दूरी से देखा ,दो पग बढे न आगे
विरह पीड़ से तप्त बदन लख,गरम गरम सी साँसे
घोटू  तुम कोरोना डर से ,उलटे पैरों   भागे

घोटू    

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