हम भी कैसे है?
प्रार्थना करते ईश्वर से ,घिरे बादल ,गिरे पानी,
मगर बरसात होती है तो छतरी तान लेते है
बहुत हम चाहते है कि चले झोंके हवाओं के ,
हवा पर चलती जब ठंडी ,बंद कर द्वार लेते है
हमारी होती है इच्छा ,सुहानी धूप खिल जाये ,
मगर जब धूप खिलती है,छाँव में भाग जाते है
देख कर के हसीना को,आरजू करते पाने की,
जो मिल जाती वो बीबी बन,गृहस्थी में जुटाते है
हमेशा हमने देखा है,अजब फितरत है इन्सां की ,
न होता पास जो उसके ,उसी की चाह करता है
मगर किस्मत से वो सब कुछ ,उसे हासिल जो हो जाता ,
नहीं उसकी जरा भी फिर,कभी परवाह करता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
प्रार्थना करते ईश्वर से ,घिरे बादल ,गिरे पानी,
मगर बरसात होती है तो छतरी तान लेते है
बहुत हम चाहते है कि चले झोंके हवाओं के ,
हवा पर चलती जब ठंडी ,बंद कर द्वार लेते है
हमारी होती है इच्छा ,सुहानी धूप खिल जाये ,
मगर जब धूप खिलती है,छाँव में भाग जाते है
देख कर के हसीना को,आरजू करते पाने की,
जो मिल जाती वो बीबी बन,गृहस्थी में जुटाते है
हमेशा हमने देखा है,अजब फितरत है इन्सां की ,
न होता पास जो उसके ,उसी की चाह करता है
मगर किस्मत से वो सब कुछ ,उसे हासिल जो हो जाता ,
नहीं उसकी जरा भी फिर,कभी परवाह करता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'