सर्दी जुकाम
गमन आगमन पवन किया करती जिस पथ पर ,
उस पथ से अब बहती गंगा जमुना धारा
दबी पवन उद्वेलित होकर बड़े कोप से ,
छूट तोप की तरह ,गूंजा देती घर सारा
शीत हो रही व्याप्त और मौसम सिहरन का ,
चली गयी है ऊष्मा फिर भी तप्त बदन है
नहीं समझ में आता है क्या मुझे हुआ है ,
बैचैनी सी छाई ,तन में भारी पन है
मुश्किल होती ,श्वासोच्छ्वास मुझे करने में ,
और चैन से सोना आज हराम होगया
अम्मा बोली,घुमा फिरा कर बातें मत कर ,
काढ़ा पी ले,तुझको सिर्फ जुकाम होगया
घोटू
गमन आगमन पवन किया करती जिस पथ पर ,
उस पथ से अब बहती गंगा जमुना धारा
दबी पवन उद्वेलित होकर बड़े कोप से ,
छूट तोप की तरह ,गूंजा देती घर सारा
शीत हो रही व्याप्त और मौसम सिहरन का ,
चली गयी है ऊष्मा फिर भी तप्त बदन है
नहीं समझ में आता है क्या मुझे हुआ है ,
बैचैनी सी छाई ,तन में भारी पन है
मुश्किल होती ,श्वासोच्छ्वास मुझे करने में ,
और चैन से सोना आज हराम होगया
अम्मा बोली,घुमा फिरा कर बातें मत कर ,
काढ़ा पी ले,तुझको सिर्फ जुकाम होगया
घोटू