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गुरुवार, 14 अगस्त 2014

आदतें

             आदतें

भले ही कितनी भी बढ़ जाये औरत की उमर लेकिन,
          शौक सजने सँवरने का ,कभी भी छूट ना पाता
भले कितना  भी बूढा ,कोई भी हो जाए बन्दर पर,
       गुलाटी मारने में उसको है हरदम  मज़ा आता
चोर चोरी से शायद बाज भी आ सकता है थोड़ा ,
        मगर वो हेराफेरी से ,कभी भी बाज ना आता ,
भले ही लाख धोवो ,रंग लेकिन काला  काजल का ,
            हमेशा  रहता काला है, कभी  उजला नहीं पाता

घोटू

स्वाद

                स्वाद

जो लज्जत ,दाल रोटी में,माँ के हाथों की होती है ,
         किसी मंहगे से मंहगे रेस्तरां में ,मिल नहीं सकती
जो ठंडक ,कुदरती ठंडी हवा के झोंकों में होती,
        लगा लो ऐ सी या कूलरवो राहत मिल नहीं सकती
भले ही लन्दन हो पेरिस हो या न्यूयार्क ही हो पर,
       सिर्फ दो चार दिन तक घूमना ही अच्छा लगता है,
शांति  आपको  जो अपने घर में आ के मिलती है ,
      फाइवस्टार होटल में ठहर कर मिल नहीं सकती

घोटू

 

बुधवार, 13 अगस्त 2014

स्वतंत्रता दिवस बनाम परतंत्रता दिवस

     स्वतंत्रता दिवस  बनाम परतंत्रता दिवस

एक स्वतंत्रता का दिन था, जब हमें मिली थी आजादी 
और एक परतंत्र दिवस था, हुई  हमारी जब   शादी
एक वो दिन था ,हम छूटे थे , अंग्रेजों के चंगुल से
एक ये दिन था ,जब कि फंसे थे,हम बीबी के चंगुल में 
एक वो दिन था ,जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ा था
एक ये दिन था बीबीजी ने ,जब माँ का घर छोड़ा था
एक वो दिन था ,जबकि देश को ,थी अपनी सरकार मिली
एक ये दिन जब शासन करने ,बीबी की सरकार मिली
एक आजादी को पाने को ,कितने लोग शहीद  हुए
एक ये दिन था,शौहर बन कर ,हम कुर्बान,शहीद हुए
एक दिन लालकिले पर झंडा ,फहराता ,लड्डू  बंटते
पार्टी देकर,केक काट कर ,एक दिन हम खुद है कटते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

 

लाल किले से चाय पिलाता

             लाल किले से चाय पिलाता

भारत की अनमोल धरोहर ,चमक रहा है लाल किला ये ,
कड़क, गुलाबी ,गरम चाय सा ,आज दिखाता  है हमको
दौड़ दौड़ ,बचपन में  जिसने ,चाय पिलाई थी सब  को,
लाल किले से वो ही मोदी ,आस दिलाता है हमको
भ्रष्टाचार विहीन व्यवस्था ,के उज्जवल ,धोये कप में,
प्रगतिशील,सुखमय जीवन की ,चाय पिलाता है हमको
 स्वप्न गुलाबी ,चाय सरीखे ,अच्छे दिन की आशा में,
घूँट  घूँट  चुस्की  ले  पीना  ,सदा सुहाता है हमको  

घोटू   

मंगलवार, 12 अगस्त 2014

पति की 'वेल्यू '

         पति की 'वेल्यू '

पत्नी जब माँ बन जाती है,  पति की वेल्यू घट जाती है
कुछ पति में और कुछ बच्चों में,वो बेचारी बंट जाती है 
जब शादी होती है उसकी ,एक अधिकार पति का होता
पंख लगा कर उड़ती रहती ,इतना प्यार पति का होता
धीरे धीरे ,उसके सर पर,जब पड़ती  है  जिम्मेदारी,
तो फिर वह बंटने लगती है ,करना पड़ता है समझौता
समय न मिलता कामधाम में वो फिर इतना खट जातीहै
 पत्नी जब माँ बन जाती है ,  पति की वेल्यू  घट जाती है
 एक तरफ तो माँ की ममता ,और बच्चों का लालन पालन
और दूसरी तरफ पति का ,भी उसको रखना पड़ता   मन
बच्चों को स्कूल भेजना ,उनका होम वर्क करवाना ,
कामकाज कितने ही सारे,परिवार की सारी  उलझन
कब ,किसको,कितना टाइम दे,वो मुश्किल में पड़ जाती है
पत्नी जब माँ बन जाती है,पति की वेल्यू घट  जाती है 
पति और पत्नी के रिश्तों में ,कुछ खटास है आने लगता
जब दोनों के प्रीत प्यार पर ,हावी होने लगती  ममता
पति को मिलता प्यार अधूरा,जिस पर होता है पूरा हक़ ,
बहुत खिजाने लगती पति को,पत्नी का व्यवहार,विषमता
तो फिर छोटी छोटी बातों  ,में भी  खटपट  हो जाती  है
पत्नी बी माँ बन जाती  है, पति की  वेल्यू  घट  जाती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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