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शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

मातृत्व का सुख

    मातृत्व का सुख
              १
कनक छड़ी सी कामिनी,पा कर पति का प्यार
लगी विकसने दिनों दिन ,मिला प्रीती  आहार
मिला प्रीती आहार ,ख्याल था बड़ा फिगर का
मोटी ना हो जाए ,उसे लगता ये  डर  था
फूला पहली बार बदन तो मन मुस्काया
मिला मातृत्व और कोख में बच्चा आया
                    २
नयना थे चंचल ,चपल ,आज हुए गम्भीर
मन में घबराहट भरी,तन में मीठी पीर
तन में मीठी पीर,खुशी ममता की मन में
गिनती दिन ,कब नव मेहमान आये जीवन में
हिरणी सी थी  चाल कभी जो उछल उछल कर
एक एक पग अब रखती  वो संभल संभल कर
                    ३
धीरे धीरे बढ़ रहा , है जब तन का बोझ
खट्टा खट्टा खाएं कुछ ,मन करता है रोज
मन करता है रोज,कभी आती उबकाई
बोझिल सा तन,रहे नींद ,आँखों में छाई
इन्तजार का फल पायेगी ,सुख वो सच्चा
जब किलकारी मारेगा गोदी में बच्चा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

ग़मे जिंदगी

      ग़मे जिंदगी
'घोटू' अपनी जिंदगी का क्या बताएं फ़लसफ़ा
टूटता ही दिल रहा है, हमेशा और हर दफा
चाहते थे जुल्फ में उनकी उगें,लहराये हम,
बाल दाढ़ी की तरह हम,आज निकले,कल सफा
उम्र भर मुस्कान को उनकी तरसते रह गए ,
मगर जब भी वो मिले ,नाराज़ से होकर ख़फ़ा
वो हमेशा , खुश रहे,हँसते रहे,आबाद हो,
बस यही अरमान ले ,की जिंदगी हमने  खपा
प्यार की हर रस्म तो ,हमने निभाई,प्यार से,
ता उमर  हम बावफ़ा थे,वो ही निकले बेवफ़ा

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

दास्ताने जिंदगी

           दास्ताने जिंदगी

सबसे मीठी बातें की और उम्र भर बांटी मिठास ,
  फिर भी देखो बुढ़ापे में ,बढ़ गयी खूं  में  शकर
दुश्मनो  से ता उमर हम ,लोहा ही लेते  रहे ,
   फिर भी तो कम हो रहा है,आयरन खूं  मगर
काम का,चिंताओं का ,परिवार का,संसार का,
   पड़ता ही प्रेशर रहा है हम पे सारी उम्र भर
सौ तरह के प्रेशरों से ,दबे हम हरदम रहे,
  बढ़ा फिर भी ब्लड का प्रेशर,बताते है डाक्टर
कारनामे, कितने काले,किये या करने पड़े,
  फिर भी सर पर,क्यों सफेदी ,लगी है आने नज़र
जिंदगी हमने खपा दी ,जिनके सुख के वास्ते ,
 वो ही हमसे खफा क्यों ,रहने लगे है आजकल
 दिल लगाया,दिल मिलाया ,दिल लुटाया ,दिल जला,
  खुश हुए तो गम भी झेला ,दिल ही दिल में उम्र भर
बड़े ही दिलेर थे ,दिलवर भी थे दिलदार भी ,
हो गया कमजोर अब दिल ,रहना पड़ता संभल कर
चाल में थोड़ी अकड़ थी ,तन के चलते थे सदा ,
खूब चाले चली हमने,उल्टी,  सीधी ,ढाई  घर
चलने का अब वक़्त आया है तो चल पाते नहीं,
हमारी कुछ चल न पायी ,उम्र की इस चाल पर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

ठोकर खाकर सीखेगा

      ठोकर खाकर सीखेगा 

बात बात पर गर्मी मत  खा,
                            तू गम खाकर  सीखेगा
ठीक किस तरह ,सेहत रखना ,
                             तू कम खाकर सीखेगा
माँ बोली कि खा बादामें ,
                              अक्ल तेज हो जायेगी,
देसी घी का मालताल तू,
                              सब तर खा के ,सीखेगा
कहा पिताजी ने चलने दो ,
                              इसको अपने ही ढंग से ,
इधर उधर जब ये भटकेगा ,
                               चक्कर खाकर  सीखेगा
गुरु ने बोला ,जीवन का ये,
                           सफ़र,जटिल आसान नहीं
पथरीले रास्तों पर चल कर ,
                            ठोकर खाकर  सीखेगा
समझदार कोई ये बोला ,
                            इसकी शादी करवा दो,
डाट ऊमर भर घरवाली की ,
                            ये खा खा कर सीखेगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू '   

उसकी महिमा

          उसकी महिमा
हम सब को वो ऊपरवाला
ही देता है अन्न,निवाला
करता सबका भला रहा है
वो ही दुनिया चला रहा है
कब कर देगा जेबें  खाली
कब भर दे  झोली तुम्हारी
उसकी महिमा ,कब और कैसे
तुम्हे दिलादे ,धन और पैसे
तीनो लोकों का वो शासक
सारी जगती का वो पालक
वो ही है जीवन का दाता
हंसी खुशी ,सुख दुःख दिखलाता
वो अनंत है,अविनाशी है
वो तो घट घट का वासी है
सच्चे मन से उसका वंदन
आनंदित कर देगा  जीवन

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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