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शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

जीवन के रंग

              जीवन के रंग

घट घट वासी ने लिखी,कुछ ऐसी तक़दीर
घूँट घूँट घोटू पिये ,घाट घाट  का   नीर
घाट घाट का नीर ,घोटते ऐसी    वाणी
भरे ज्ञान घट ,तृप्त सभी हो जाते  प्राणी
कह 'घोटू 'कवि फिर भी जल बिच मीन पियासी
बहुत  दिखाए  रंग जीवन के ,घट घट वासी

'घोटू '

शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

नेताजी का मोटापा

      नेताजी का मोटापा

एक नेताजी ,नामी गिरामी थे
विपुल सम्पदा के स्वामी थे
खाने पीने के शौक़ीन थे
तबियत के रंगीन थे
उन्हें एक चिंता सता रही थी
उनकी तोंद बड़ती  जा रही थी
उन्होंने अपने डाक्टर को दिखलाया
डाक्टर ने जाँच करके बतलाया
आप खूब खाते है ,तले हुए पकवान ,
मिठाइया और घी
इसलिए बढ़ रही है आपकी चर्बी
ये सारा 'फेट 'आपके शरीर में,
 जमा होता जा रहा है
और आपका मोटापा बढ़ा रहा है
नेताजी बोले'हम भी समझते है ई बात
तबही तो आपसे कर रहे है मुलाकात
आप तो जानते ही है कि हम ,
और भी बहुत कुछ खाते है
पर वो सब  घर में थोड़े ही जाता है,
उसके सारे 'फेट'को जमा कराने के लिए,
विदेशी बेंकों में हमारे खाते है
अब ई खाना पीना तो हमसे छूटने से रहा,
क्या आपकी डाक्टरी में नहीं है ऐसा कोई उपाय
कि हम यहाँ खाएं ,और चर्बी ,
 कहीं और जगह जमा हो जाय
हमारे शरीर पर नज़र ना आय
ई टेक्निक ,यहाँ नहीं हो ,
तो विदेश से इम्पोर्ट करवा लीजिये
पर हमारे लिए कुछ कीजिये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

शब्दहीन संवाद -आंसू और मुस्कान

          शब्दहीन संवाद -आंसू और मुस्कान
                           आंसू
मन की पीड़ा ,दिल का दर्द उमड़ आता है ,
बिना कहे  ही ,कितना कुछ कह देते आंसू
ये पानी की बूँद छलकती जब   आँखों में ,
पलक द्वार को तोड़ ,यूं ही बह लेते  आंसू
बिन बोले ही मन के भाव उभर आते है ,
जब ये आंसू ,आँखों में भर भर आते है
चुभन ह्रदय में होती,नीर नयन से बहता ,
मन मसोस कर ,कितना कुछ सह लेते आंसू
                    मुस्कान
जब मन का आनंद समा ना पाता मन में ,
तो सुख बन मुस्कान,,नज़र आते चेहरे पर
बिन बोले ही ,सब कुछ बतला देते सबको ,
मन के सारे भाव ,उभर आते चेहरे पर
युगल ओष्ठ ,चोड़े  हो जाते,बांछे खिलती ,
नयी चमक आती चेहरे पर ,खुशियां दिखती ,
होता है जब मन प्रसन्न तो पुलकित होकर,
खुशियों के सब भाव ,बिखर  जाते चेहरे पर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

तू भी देख बदल कर चोला


        तू भी देख बदल कर चोला

                                  कल मुझसे मेरा मन बोला
                                   तू भी देख बदल कर चोला
मैंने सोचा क्या बन देखूं,जिससे सबसे प्यार कर सकूं
जनता की सेवा कर पाऊँ ,लोगों पर  उपकार कर सकूं
आयी एक आवाज ह्रदय से ,तेरी  वाणी में  है  जादू
इधर उधर की सोच रहा क्या ,नेता क्यों ना बन जाता तू
खादी  का कुरता पाजामा ,रंग बिरंगी टोपी सर पर
झूंठे वादे और आश्वासन ,देने होंगे तुझको दिन भर
कभी किसी की चाटुकारिता ,कभी किसी को देना गाली
ले सेवा का नाम लूटना , नेतागिरी की प्रथा निराली
दंद फंद  करने पड़ते है ,पर तू तो है बिलकुल भोला
                                 कल मुझसे मेरा दिल बोला
सोचा फिर क्या करूं ,भला है,इससे मैं साधू बन जाऊं
करूं भागवत ,कथा ,प्रवचन ,कीर्तन करूं ,प्रभु गुण गाउँ
वस्त्र गेरुआ धारण करके ,कुछ दाढ़ी बढ़वानी  होगी
अपने भाषण और प्रवचन में,नाटकीयता लानी होगी
सत्संगों में भीड़ जुटेगी,पागल सी जनता उमड़ेगी
सत्ता के गलियारों में भी,पहुँच और पहचान बढ़ेगी   
जनता भोली है ,करवालो,कुछ भी इससे,धर्म नाम पर
अपना तन मन और धन सब कुछ,कर देगी तुम पर न्योछावर
तुझे सफलता मिलना निश्चित ,क्योंकि तू है हरफनमौला
                                           कल मुझसे ,मेरा मन बोला

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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