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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

दो छोटी कवितायें-पत्नीजी को समर्पित

      दो छोटी कवितायें-पत्नीजी को समर्पित
                             १
               भगवान का  प्रसाद
 
मिलता प्रसाद प्रभू का, हम हाथ में लिये
हम खा लेते चुपचाप,बिना चूं चपड़ किये
भगवान का परसाद,हमेशा ही स्वाद है
अमृत छुपा है उसमे और आशीर्वाद  है
भगवान के परसाद सी होती है बीबियाँ
जिसको भी जैसी मिल गयी,वैसा ग्रहण किया  
उसमे न कभी भी कोई तुम नुक्स निकालो
श्रद्धा से या मजबूरी से,जैसी हो ,निभालो
                       २
          जलने लगी है रोटियां
वैसे ही बड़ी प्यारी सी ,बीबी हमें मिली
दिन दूनी रात चौगुनी ,खूबसूरती खिली
सब कुढ़ने लगे ,हो गयी सुन्दर वो इस कदर
जलने लगी है रोटियां भी उनको देख कर
जादू ये उनके हुस्न का ,करता कमाल है
नित दूध की पतीली में ,आता उबाल है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मैं खोखली सी हंसी हो गया हूँ

        मैं खोखली सी हंसी हो गया हूँ

बुढ़ापे में हालात ,हुए इतने बदतर
परेशान रहता हूँ,दुखी और परबस ,
नहीं चाहता हूँ ,मगर फिर भी बरबस ,
                   मैं गमजदां ,गमनशीं  हो गया हूँ
हजारों है दिक्कत,हजारों है  झंझट
जिधर देखता हूँ,परेशानी ,खटपट
टूटा मेरा दिल,बड़ा ही है आहत ,
                     विधवा की ज्यों,बेबसी हो गया हूँ
बदलते ये मौसम,सुहाते न पलभर
किया सर्दियों ने ,बहुत मुझको बेकल
नहीं छूटते  है ,रजाई और कम्बल
                     मैं  अब इस कदर ,आलसी हो गया हूँ
मुझे वक़्त ने है,सताया ,झिंजोड़ा
मेरे अपनों ने ही,मेरा दिल है तोड़ा
परेशानियों ने कहीं का न छोड़ा
                       मैं खोखली सी ,हँसी  हो गया हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मालिश

          मालिश

हमने मालिश की बदन पर ,तेल से बादाम के
लगे हटने ,झुर्रियों के ,जाल थे जो चाम पे
और चेहरा भी हमारा ,बला का रोशन हुआ ,
थे निकम्मे अब तलक ,अब आदमी है काम के

घोटू

भागो भागो -शेर आया

          भागो भागो -शेर आया

शेर आया ,शेर आया,
भागो भागो ,भागो भागो,
 गीदड़ों के घरों में ,हड़कम्प हुआ व्याप्त है
दफतरों में जो थे चोर
चाहते थे मोर मोर
 होनी ऐसे लोगों की अब ,शीध्र ही शिनाख्त है 
फाइलें है फाड़ रहे
कागज़ निकाल रहे ,
पोस्टिंग मलाईदार ,जिन्हे अभी प्राप्त है 
इधर उधर भाग रहे
ट्रांसफर  मांग रहे
ऐसे भ्रष्टाचारियों को ,करना  समाप्त है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'               

गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

आयोग और योग

        आयोग और योग

कितने ही आयोग लाओ,योग पर यही ,
                     अबके नहीं सहयोग मिलेगा चुनाव में
ऐसे किये है जिंदगी भर आपने करम,
                       अनुराग नहीं,रोग  मिलेगा  चुनाव में
मुश्किल से ही ये कहीं ,कभी तैर सकेगी,
                         तुमको पता ना छेद कितने हुए नाव में
भोगा है तुमने राज सुख,जनता ने भोग दुःख,
                          सत्ता से भाग जाओगे ,अबके चुनाव में

घोटू

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