एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

'आप'ने

                 'आप'ने

 

दर्देदिल,दर्दे जिगर ,दिल में जगाया आप ने

हम कहीं के ना रहे ,ऐसा   हराया   आप ने

खुद तो अट्ठाइस सीटें ,जीत कर गर्वित हुए ,

और हमको , आठ सीटों ,पर जिताया आपने

हमने  सोचा ,मिले हम तुम,और ये घर बसायें,

पर न गुण मिलते हमारे ,ये बताया  आप ने

आठ अट्ठाइस मिले,छत्तीस गुण सब मिल गए ,

फिर भी शादी करने का ना मन बनाया ,आप ने

हम तो 'लिविंग इन रिलेशनशिप'को भी तैयार थे,

मांग अट्ठारह वचन , चक्कर चलाया  आप ने

आपकी वो सारी शर्तें,हमने  झट से मान ली,

लोगों से पूछेंगे कह ,पीछा छुड़ाया    आप  ने

आप की मर्दानगी पे जनता शक करने लगी ,

छह माह में बच्चे देंगे  ,बरगलाया  आप ने

अपनी जिम्मेदारियों से ,ऐसे पल्ला झाड़ कर,

पात्र खुद को ही हंसी का,है बनाया  आप ने

 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

दाढ़ी


              दाढ़ी
दाढ़ी इतनी बढ़ी,ढेर से बाल आ गये  
चिकने चिकने गालों पर जंजाल छा गये
सोलह वर्षों तक हमने सींचा था ऑइल
तब कहीं बनी है ,गाल भूमि यह फर्टाइल
रोज काटता ,फसल रोज  बढ़ जाती है
व्यर्थ फेंकता ,काम नहीं कुछ आती  है
डेली नयी फसल को मैं करता  काटा
फिर भी तो इस धंधे में पड़ता  घाटा
ना काटूं ,क्या करू,व्यर्थ की आफत है
और बिना काटे आ जाती शामत है
कहती बीबी है नाज़ जिसे निज बालों पर
'ये झाड़ फूंस क्यों बढ़ा रखे है गालों पर
पैसा कितना दाढ़ी बढ़ा बचा लोगे
क्या कोई नयी चिड़िया तुम इसमें पालोगे'?
कोई कहता मैं बेकारी का मारा हूँ
तो कोई बतलाता मैं आवारा  हूँ
कोई कहता कैसा फेशन का भूत चढ़ा
नहीं कटाता ,दाढ़ी इसने  रखी   बढ़ा
तो फिर कोई कहता है बीमार मुझे
जाने क्या क्या कहता है संसार मुझे
घरवाले भी क्या क्या सोचा करते है
बच्चे गोदी चढ़ ,दाढ़ी नोचा करते  है
देख बढ़ी दाढ़ी नाई भी जलता है
बिन मुंड़वाये ,काम नहीं  कुछ चलता है
एक दिवस की बीबीजी से यह चर्चा
सहा न जाता साठ रूपये मासिक खर्चा  
जितने रूपये बलिदान किये इस दाढ़ी पर
यदि खर्च किये होते बीबी की साड़ी पर
दो चार दर्जन साडी अब तक ले ही आते
सुनते पत्नी की प्रेम भरी मीठी बातें
हालांकि बात यह थी बीबीजी के मन की
फिर भी हो नाराज़ वो हम पर थी तुनकी  
क्योंकि बीबीजी है राष्ट्रीय विचारों की
सुलझाती रहे समस्या वह बेकारों की
बोली कितने परिवार कि इस पर जीते है
सभी नाई इसके बल खाते पीते है
उस्तरे साबुन वाले इसकी खाते है
ब्लेड वाले इससे ही अरे कमाते है
दाढी ने कम करी बहुत बेकारी है
देशोन्नती में सहयोग कि इसका भारी है
'काश अगर औरत के दाढ़ी आ जाती
तो समझो बेकारी सारी मिट जाती
हो जाती खर्च मुंडाई में आधी कमाई
जितने है बेकार सभी बन जाते नाई
सर पर तो है,जब गालों पर दाढ़ी बढ़ती
दो चोंटी फिर आगे भी गुंथवानी पड़ती
गोरे  गालों पर हरी झांई छा जाती फिर
चार चोटियों की नारी हो जाती फिर
और समस्या फिर यह अति ही टेढ़ी होती
क्या लेडी के लिए नाई भी लेडी  होती
सिर्फ पुरुष को दी दाढ़ी की आफत है
क्या भगवान तुम्हारी यही शराफत है ?




















मेचिंग का मेच

            मेचिंग का मेच   
                       १
शादी को अपने हुए ,अब पूरे दस साल
बोलो क्या प्रेजेंट तुम ,दोगे  अबकी बार
दोगे  अबकी बार ,कहा जब पत्नी  जी ने
हम बोले, लो प्यार ,आये जितना भी जी में
'प्यार,प्यार तो अजी आपका मिलता अक्सर
अबकी बार  चाहिए हमको साडी  सुन्दर
                        २
साडी  लेने  हम गए ,पत्नी   जी के संग
भड़कीला सा प्रिंट हो, चटकीला सा रंग
चटकीला सा रंग ,दुकाने काफी छानी
दो हज़ार में  साड़ी ,सुन्दर मिली सुहानी
'घोटू'एक सूती  साड़ी भी मन को भायी
लेने एक गए थे ,पर दो  साड़ी आयी
                       ३
अब हमको दिलवाइए ,मांग हुई तत्काल
मेचिंग ब्लाउज पीस और मेचिंग साड़ी फाल
मेचिंग साड़ी फाल ,और कुछ नोट चाहिए
सिलसिलाया मेचिंग पेटीकोट  चाहिए
कह घोटू कविराय आयी फिर मांग निगोड़ी
दिलवा दो ना ,एक मेचिंग चप्पल की जोड़ी
                       ४
पत्नी जी कहने लगी ,होकर ज़रा उदास
मेचिंग रंग की चूड़ियाँ ,नहीं हमारे पास
नहीं हमारे पास ,चाहिए बिंदिया मेचिंग
मिलता जुलता हो लोकिट ,साड़ी पिन ,इयरिंग
हमको मेचिंग एक पर्स सुन्दर ला दो ना 
सर्दी है,मेचिंग कार्डिगन  दिलवा दो ना
                         ५
देखो अब पूरी हुई ,मेरी मेचिंग ड्रेस
कमी सिर्फ बस चाहिए ,मेचिंग वाच स्ट्रेप
मेचिंग वाच स्ट्रेप ,तभी निकलूं बन ठन के
लगा लिपस्टिक,नेलपॉलिश मेचिंग फेशन के
कह घोटू कवि  मेच चला मेचिंग का ऐसा
खर्च हो गया ,साड़ी से भी दूना पैसा 

मजबूरी

        मजबूरी
             १
पत्नी से कहने लगे ,भोलू पति कर जोड़
आप हमी को डांटती ,है क्यों सबको छोड़
है क्यों सबको छोड़ ,पलट कर बीबी बोली
मैं क्या  करू, तेज  तीखी  है  मेरी  बोली
नौकर चाकर वाले घर में बड़ी हुई हूँ
बड़े नाज़ और नखरों से मैं  पली हुई हूँ
              २
पत्नीजी कहने लगी ,जाकर पति के पास
बतलाओ फिर निकालूँ ,मन की कहाँ भड़ास
मन की कहाँ  भड़ास ,अगर डाँटू नौकर को  
दो घंटे में छोड़ ,भाग जाएगा घर को
सुनूं एक की चार ,ननद  से जो कुछ बोलूं
तुम्ही बताओ ,बैठे ठाले ,झगड़ा क्यों लूं
              ३
सास ससुर है सयाने ,करते मुझको प्यार
उनसे मैं तीखा नहीं ,कर सकती व्यवहार
कर सकती व्यवहार ,मम्मी बच्चों की होकर
अपने नन्हे मासूमो को,डांटूं क्यों कर
एक तुम्ही तो बचते हो जो,सहते सबको
तुम्ही बताओ ,तुम्हे छोड़ कर डाटूं  किसको?

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

भाग्य भरोसे मत बैठा रह

        भाग्य भरोसे मत बैठा रह

 तू ये मत कर,तू वो मत कर
कुछ करने की जहमत मत कर
 ऊपर वाले से डर  थोड़ा ,
कर यकीन उसकी रहमत पर
तुझे मिल रहा ,फल कर्मो का ,
क्यों रोता ,अपनी किस्मत पर
तेरी मंजिल ,तुझे मिलेगी,
कर प्रयास,थोड़ी हिम्मत कर
भाग्य भरोसे बैठा मत रह,
आवश्यक है,तू मेहनत  कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-