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शनिवार, 16 मार्च 2013

लेपटोप पर

        लेपटोप पर

मै तुम्हे like  करूं और तुम मुझे like करो,
                      Facebook  पर ,ये परस्पर ,दोस्ती अच्छी लगे
अपने दिल के फोटो पर है,Tag मैंने कर लिया ,
                          नाम जबसे तुम्हारा है ,जिंदगी अच्छी    लगे 
तुम भी चीं चीं Twit करो और मै भी चीं चीं Twit करूं ,
                            ये हमारी चहचहाहट ,सभी को अच्छी लगे
Laptop गोद में ले ,देखता तुमको रहूँ ,
                            Chat हम तुम रहें करते,गुफ्तगू अच्छी लगे

घोटू  

sale

SALE ! SALE ! SALE ! SALE !

दिल मेरा ऊनी गरम है ,स्वेटर सा मुलायम ,
                     60 परसेंट  डिस्काउंट लगा है ,सेल पर
गयी सर्दी ,बसंती  मौसम सुहाना ,आगया ,
               फाग के मौसम की मस्ती ले लो होली खेल कर    

घोटू

नशा -बुढ़ापे का

       नशा -बुढ़ापे का

आदमी पर जब नशा छाता है
वो ठीक से चल भी नहीं सकता ,
डगमगाता है
उसे कुछ भी याद नहीं रहता ,
सब कुछ भूल जाता है
मेरी माँ भी ठीक से चल नहीं सकती ,
डगमगाती है
और मिनिट मिनिट में ,
सारी  बातें भूल जाती है  ,
नशे के सारे निशां उसमे नज़र आते है,
उमर नब्बे की में भी ऐसा भला होता है
मुझे तो ऐसा कुछ लगता है कि मेरे यारों ,
बुढापे का भी कोई ,अपना नशा होता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'



आभार प्रदर्शन

                     आभार प्रदर्शन 

मै उस पत्थर का शुक्रिया अदा कर रहा था ,
जिसकी ठोकरों ने ,
मुझे सही रास्ता दिखलाया था
मै उस पत्थर का भी अहसानमंद था ,
जिसने मेरे सर पर लग ,
भीड़ में ,मेरे दुश्मन का पता बतलाया था
मै  शुक्रगुजार था उन पत्थरों का भी,
जिन्होंने दीवारों में चुन कर,
मुझे रहने के लिए ,आशियाना दिया था 
मै बहुत आभारी था उन मील के पत्थरों का,
जिन्होंने ,जिंदगी के सफ़र में ,
मुझे मेरी मंजिल का पता दिया  था 
मै उन्हें धन्यवाद दे ही रहा था कि ,
एक पत्थर मुझसे ये बोला ,
'ऐ इंसान तेरा बहुत बहुत शुक्रिया है
तेरी आस्था ने भर दियें है प्राण मुझमे ,
और तूने पूज पूज कर,
मुझे एक पत्थर से देवता बना दिया है '

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

अंगो का जंग

              अंगो का जंग

छिड़ी अंग में जंग ,कौन है सबसे बेहतर
सब बतलाते श्रेष्ट ,स्वयं को आगे बढ़ बढ़
आँखे बोली ,हम चंचल और सबसे सुन्दर
मानव को हम ही दिखलाते है दुनिया भर
पलकें हरदम करती रहती  पहरेदारी
तुम्ही समझ लो,कितनी ऊंची शान हमारी
कहा नाक ने, मै शरीर में सबसे ऊंची
मुझसे ,तन में आती जाती,श्वास समूची
जब तक चलती श्वास ,तभी तक ही जीवन है
मुझसे ही इज्जत है ,मुख पर आकर्षण है
बोले होंठ ,गुलाब पंखुड़ियों से हम लगते
हम मुस्काते,और हमी है चुम्बन करते
नरम,मुलायम,सुन्दर,मुख का मुख्य द्वार है
खाना ,पीना,हंसना ,करते  हमी  प्यार है
दांतों ने बोला खाना सब ,हमी  चबाते
हम ही है वो अंग ,जो कि दोबारा  आते
हम होते बत्तीस ,अन्य  अंग दो या एक है
हम बहुमत में ,इसीलिये हम बड़े श्रेष्ट है
बोली जिव्हा ,मै हूँ,तभी बोल पाते हो
सभी चीज का स्वाद ,मुझी से तुम पाते हो
बोले कान,हमें मत करना 'साइड लाइन '
हमसे ही तुम बातें,गाने सकते हो सुन
कहा हाथ ने ,सार काम हमी है करते
लिखते,पढ़ते,कमा ,पेट तुम्हारा भरते
बोले पैर कि हम आधारस्तंभ तुम्हारे 
हम बिन एक कदम भी बढ़ न सकोगे प्यारे
कहा पेट ने ,मै जीवन में ऊर्जा  भरता
मुझको भरने ,काम आदमी,हरदम करता
खाना पीना सब कुछ  मेरे अन्दर जाता 
मै ही  उसे  पचाता हूँ और  रक्त बनाता 
दिल बोला मै खुद की तारीफ़ ना करता हूँ
तुम जीवित हो ,जब तक मै धडका करता हूँ
करो किसी से प्यार ,तभी वो दिल में बसता
तो मष्तिष्क लगा बतलाने ,हँसता हँसता
मेरे हाथो ,तुम सब अंगों की लगाम है
मेरे आदेशों पर करते  सभी   काम है
पर आपस में झगड़ रहे क्यों परेशान हो
अपनी अपनी जगह ,आप सब ही महान हो
साथ तुम्हारा  ,जीवन की आवश्यकता  है
एक दूसरे के   बिन  काम  नहीं चलता है 
मिलजुल कर रहने से जीवन में सुख आता
इश्वर की सर्वोच्च कृती ,मानव कहलाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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