एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

अंगो का जंग

              अंगो का जंग

छिड़ी अंग में जंग ,कौन है सबसे बेहतर
सब बतलाते श्रेष्ट ,स्वयं को आगे बढ़ बढ़
आँखे बोली ,हम चंचल और सबसे सुन्दर
मानव को हम ही दिखलाते है दुनिया भर
पलकें हरदम करती रहती  पहरेदारी
तुम्ही समझ लो,कितनी ऊंची शान हमारी
कहा नाक ने, मै शरीर में सबसे ऊंची
मुझसे ,तन में आती जाती,श्वास समूची
जब तक चलती श्वास ,तभी तक ही जीवन है
मुझसे ही इज्जत है ,मुख पर आकर्षण है
बोले होंठ ,गुलाब पंखुड़ियों से हम लगते
हम मुस्काते,और हमी है चुम्बन करते
नरम,मुलायम,सुन्दर,मुख का मुख्य द्वार है
खाना ,पीना,हंसना ,करते  हमी  प्यार है
दांतों ने बोला खाना सब ,हमी  चबाते
हम ही है वो अंग ,जो कि दोबारा  आते
हम होते बत्तीस ,अन्य  अंग दो या एक है
हम बहुमत में ,इसीलिये हम बड़े श्रेष्ट है
बोली जिव्हा ,मै हूँ,तभी बोल पाते हो
सभी चीज का स्वाद ,मुझी से तुम पाते हो
बोले कान,हमें मत करना 'साइड लाइन '
हमसे ही तुम बातें,गाने सकते हो सुन
कहा हाथ ने ,सार काम हमी है करते
लिखते,पढ़ते,कमा ,पेट तुम्हारा भरते
बोले पैर कि हम आधारस्तंभ तुम्हारे 
हम बिन एक कदम भी बढ़ न सकोगे प्यारे
कहा पेट ने ,मै जीवन में ऊर्जा  भरता
मुझको भरने ,काम आदमी,हरदम करता
खाना पीना सब कुछ  मेरे अन्दर जाता 
मै ही  उसे  पचाता हूँ और  रक्त बनाता 
दिल बोला मै खुद की तारीफ़ ना करता हूँ
तुम जीवित हो ,जब तक मै धडका करता हूँ
करो किसी से प्यार ,तभी वो दिल में बसता
तो मष्तिष्क लगा बतलाने ,हँसता हँसता
मेरे हाथो ,तुम सब अंगों की लगाम है
मेरे आदेशों पर करते  सभी   काम है
पर आपस में झगड़ रहे क्यों परेशान हो
अपनी अपनी जगह ,आप सब ही महान हो
साथ तुम्हारा  ,जीवन की आवश्यकता  है
एक दूसरे के   बिन  काम  नहीं चलता है 
मिलजुल कर रहने से जीवन में सुख आता
इश्वर की सर्वोच्च कृती ,मानव कहलाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हिंदी के मुहावरे

        हिंदी के मुहावरे

हिंदी के मुहावरे ,बड़े ही बावरे है
खाने पीने की चीजों से भरे है
कहीं पर फल है तो कहीं आटा दालें  है  
कहीं  पर मिठाई है,कहीं पर मसाले है 
फलों की ही बात लेलो ,
आम के आम,गुठलियों के भी दाम मिलते है
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे,खरबूजे को देख कर रंग बदलते है
कहीं दाल में काला है,
कोई डेड़ चांवल की खिचड़ी  पकाता है
कहीं किसी की दाल नहीं गलती,
कोई लोहे के चने चबाता है
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है 
मुफलिसी में जब आटा  गीला होता है ,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है
सफलता के लिए  बेलना पड़ते  है कई पापड
आटे  में नमक तो जाता है चल
,पर गेंहू के साथ,घुन भी पिस जाता है
अपना हाल तो बेहाल है
ये मुंह और मसूर की दाल है
गुड खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते है
और गुड का गोबर कर बैठते है 
कभी तिल का ताड़,कभी राई का पर्वत बनता है
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है ,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है
किसी के दांत दूध के है ,
किसी को छटी  का दूध याद आ जाता है 
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है ,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है
शादी बूरे  के लड्डू है ,जिनने खाए वो भी पछताए,
और जिनने नहीं खाए ,वो भी पछताते  है
पर शादी की बात सुन ,मन में लड्डू फूटते है ,
और शादी के बाद ,दोनों हाथों  में लड्डू आते है 
कोई जलेबी की तरह सीधा है ,कोई टेढ़ी खीर है
किसी के मुंह में घी शक्कर है ,
सबकी अपनी अपनी तकदीर है
कभी कोई चाय पानी करवाता है ,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है ,
तो सभी के मुंह में पानी आता है
भाई साहब अब कुछ भी हो ,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है
जितने मुंह है,उतनी बातें है
सब अपनी अपनी बीन बजाते है
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ,
सभी बहरे है,बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 14 मार्च 2013

ओ पाकिस्तानियों सुनलो

ओ पाकिस्तानियों सुनलो ,हमारी तो है ये आदत
जो मेहमां बन के आओगे ,तो देंगे हम तुम्हे दावत
अगर घुसपेठिये बन कर ,जो आओगे जेहादी बन ,
तो  नेस्तनाबूत  कर  देंगे,  बना देंगे  बुरी हालत  
घोटू

बुधवार, 13 मार्च 2013

लीन्हो वोटर मोल

     घोटू के पद
 लीन्हो वोटर  मोल

माई री  मै  तो,लीन्हो वोटर मोल
सस्तो महंगो ,कछु नहीं देख्यो,दीन  तिजोरी खोल 
आश्वासन को शरबत पिलवा ,मुंह में मिसरी घोल
वादों की रबड़ी  चटवाई ,  मीठो    मीठो     बोल 
मगर विरोधी ,दल वाले सब ,पोल रहे है खोल
टी वी पेपर वाले भी सब,रहे उडाय  मखौल 
चमचे सारे ,खनक रहे है,मेरी तारीफ़ बोल
'घोटू' अब वोटर की मर्जी ,जब होवेगा 'पोल '
ऊँट कौन करवट बैठेगा ,कोई सकत ना बोल

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

कितना सुख होता बंधन का


           सुख बंधन का

कितना सुख होता बंधन का
एक दूजे के प्रति समर्पण ,प्रीत,प्यार और अपनेपन का
पानी में घिस घिस घुल कर के,लगे ईश सर,उस चन्दन का
लिपटी हुई लता से पूछो ,तरु संग कितना ,सुख जीवन का
कितना मादक ,उन्मादक सुख,भ्रमर ,पुष्प के अवगुंठन का
बादल बन ,मिल अम्बर से, फिर ,बरसे भू पर,उस जल कण का
एक बंधन को छोड़ दूसरे बंधन में बंधती दुल्हन का 
कान्हा की बंसी की धुन पर ,रास रचाते  ,बृन्दावन   का
बृज की गली गली में अब भी,बसा प्यार राधा मोहन का
संतानों के सुख में हँसते ,दुःख में रोते ,माँ के मन का
कभी किसी से बंध कर देखो ,सुख पाओगे ,पागलपन का
कितना सुख होता बंधन का 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-