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सोमवार, 26 नवंबर 2012

बस ! अब और नहीं ___





 

कब तक
मुट्ठी में बँधे
चंद गीले सिक्ता कणों की नमी में
मैं समंदर के वजूद को तलाशती रहूँ
जो बालारूण की पहली किरण के साथ ही
वाष्प में परिवर्तित हो
हवा में विलीन हो जाती है ! 
कब तक
मन की दीवारों पर
उभरती परछाइयों की उँगली पकड़े
मैं एक स्थाई अवलम्ब पा लेने के
अहसास से अपने मन को बहलाती रहूँ
जो भोर की पहली दस्तक पर  
भुवन भास्कर के मृदुल आलोक के
विस्तीर्ण होते ही जाने कहाँ
तिरोहित हो जाती हैं ! 
कब तक
शुष्क अधरों पर टपकी
ओस की एक नन्ही सी बूँद में
समूचे अमृत घट के
जीवनदायी आसव को पी लेने की
छलना से अपने मन को छलती रहूँ
जो कंठ तक पहुँचने से पहले
अधरों की दरारों में जाने कहाँ  
समाहित हो जाती है !
कब तक
हर रंग, हर आकार के
कंकरों से भरे जीवन के इस थाल से
अपनी थकी आँखों पर
नीति नियमों की सीख का चश्मा लगा  
सुख के गिने चुने दानों को बीन
सहेजती सँवारती रहूँ
जबकि मैं जानती हूँ कि इस
प्राप्य की औकात कितनी बौनी है !
कब तक
थकन से शिथिल अपने
जर्जर तन मन को इसी तरह
जीवन के जूए में जोतना होगा ?
कब तक
अनगिनत खण्डित सपनों के बोझ से झुकी
अपनी क्लांत पलकों के तले
फिर से बिखर जाने को नियत
नये-नये सपनों को सेना होगा ?
कब तक
हवन की इस अग्नि में
अपने स्वत्व को होम करना होगा ?   
कितना थक गयी हूँ मैं !
बस अब और नहीं _______!
साधना वैद

रविवार, 25 नवंबर 2012

कविता

बेचारी मधुमख्खी

        बेचारी मधुमख्खी

निखारना हो अपना  रूप 
या दिल को करना हो मजबूत
मोटापा घटाना  हो
खांसी से निजात पाना हो
चेहरा हो बहुत सुन्दर ,इसलिए
नहीं हो ,हाई ब्लड प्रेशर ,इसलिए
हम शहद काम में लाते है
पर कृषि वैज्ञानिक बताते है
शहद का बनाना नहीं है सहज 
और एक मधुमख्खी ,अपने जीवनकाल में,
पैदा करती ही कुल आधा चम्मच शहद
मधुमाख्खियाँ,फूलों के ,
करीब दो करोड़ चक्कर लगाती है
तब कहीं ,आधा किलो शहद बन पाती है
मधुमख्खियों के ,पांच आँख होती है
वो,कभी भी नहीं सोती है
मधुमाख्खियों को लाल रंग,
काला  दिखता  है
इसलिए लाल फूलों का ,
शहद नहीं बनता है
फिर भी ,लगी रहती है दिन रात ,
पूरी लगन के साथ 
कभी भी ना थकी
बेचारी मधुमख्खी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


शहद सी पत्नी और 'हनीमून'

 
     शहद सी  पत्नी और 'हनीमून'

मधुर है,मीठी है,प्यारी है
शहद जैसी पत्नी हमारी है
भले ही इस उम्र में ,वो थोड़ी बुढ़िया लगती है
पर मुझे वो ,दिनों दिन और भी बढ़िया लगती है 
  क्योंकि शहद भी जितना पुराना होता जाता है,
उसकी गुणवत्ता बढती है
सोने के पहले ,दूध के साथ शहद खाने से
अच्छी नींद के साथ आते है ,सपने सुहाने से
सोने के पहले ,जब पत्नी होती है मेरे साथ
तो लागू होती है ,मुझ पर भी ये बात
दिल की मजबूती के लिए ,
शहद बड़ा उपयोगी है
मेरी पत्नी मेरे दिल की दवा है ,
क्योंकि ये बंदा ,दिल का रोगी है
शहद सौन्दर्य वर्धक है,
उसको लगाने से चेहरे पर चमक आती है
और जब पत्नी पास हो तो,
मेरे चेहरे पर भी रौनक छाती है
मेरी नज़रें ,मधुमख्खी की तरह ,
इधर उधर खिलते हुए ,
कितने ही पुष्पों का रसपान करती है
और मधु संचित कर ,
पत्नी जी के ह्रदय के छत्ते में भरती है
और मै ,मधु का शौक़ीन ,
रात और दिन
करता रहता हूँ मधु का रसपान
और साथ ही साथ ,पत्नी जी का गुणगान
क्योंकि शहद एक संतुलित आहार है
और मुझे अपनी पत्नी  से बहुत प्यार है
 अब तो आप  भी जान गए होंगे कि ,
लोग अपनी पत्नी  को'हनी 'कह कर क्यों बुलाते है
और शादी के बाद ,'हनीमून 'क्यों मनाते है
क्योंकि पत्नी का चेहरा चाँद सा दिखाता है
और उसमे 'हनी',याने शहद का स्वाद आता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'


 



 

हमेशा सोचते रहने की आदत .....
















किसी को बचपन से ही
    जब नहीं मिला हो
           आसानी से सब कुछ,
                जब करनी पडी हो
                     एक - एक चीज़ को
                            पाने के लिए मशक्कत....

 जब रखना पडा हो
     एक - एक कदम
           हमेशा फूंक - फूंक कर,
                   जब सोचना पडा हो
                          कई - कई बार किसी से
                                कुछ कहने से पहले,
                                    जब जिन्दगी दिखाती रहो
                                              एक पल को रोशनी
                                                 दूसरे पल गहरा अन्धकार....

जब चलना पड रहा हो
    हमेशा ऊबड़ - खाबड़ रास्तों से,
         और पता नहीं हो कि
              अभी और कितना चलने के बाद
                    मिलेगी मनचाही मंजिल,
                         तो हो ही जाती है अक्सर
                               कुछ न कुछ सोचते रहने की आदत....

क्योंकि ये सोच - ये विचार
      ये सपने - ये खयाली पुलाव ही तो हैं
            देते रहते है अक्सर आगे बढ़ते रहने
                    सतत चलते रहने का हौसला,
                         जो अक्सर बहलाते रहते है दिल,
                               और दिल ?

दिल ही तो है जो किसी इंजन की तरह
     खींचता रहता है ज़िंदगी की गाडी को,
            इसलिए बहुत जरूरी है दिल का
                  तमाम विचारों - तमाम सपनों के
                         पेट्रोल से लबालब भरा रहना .....

                              - VISHAAL CHARCHCHIT

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