खर्राटे
नींद में गाफिल जो रहते,होंश है उनको कहाँ
उनके खर्राटों को सुन कई,लोग होते परेशां
खुद तो सोते चैन से और दूसरों को जगाते
आदमी को अपने खर्राटे नहीं है सुनाते
इस तरह ही दूसरों की बुराई आती नज़र
लोग अपनी बुराई से,रहा करते बेखबर
झांक कर के देखिये अपने गरेंबां में कभी
नज़र आ जाएगी तुमको,स्वयं की कमियां सभी
कमतरी का अपनी सब,अहसास जिस दी पायेंगे
खर्राटे या बुराई सब खुद बखुद मिट जायेंगे
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
यूजीसी–आईकेएस मास्टर ट्रेनर्स के लिए एक दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम लखनऊ
विश्वविद्यालय में आयोजित
-
------------------------------
लखनऊ, 07 दिसंबर 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और शिक्षा मंत्रालय के
भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) प्रभाग द्वारा संयुक्त...
2 घंटे पहले