पति -दो दृष्टिकोण
1
पति वो प्राणी है,
जो नहीं होता बीबी का नौकर
क्योंकि नौकर,
कब रहा है किसी का होकर
जरा सी ज्यादा पगार मिली,
दूसरे का हो जाता है
पति तो प्रेम में अभिभूत,
वो शरीफ बंदा है,
जो उमर भर ,
बीबी के हुकुम बजाता है
२
भगवान वो शक्ति है
जो इस संसार को चलाये रखती है
हम सबको है इस बात का ज्ञान
कि भावनाओं के भूखे है भगवान
हम भगवान को प्रसाद चढाते है
नाम उनका होता है पर खुद खाते है
वो मिटटी का माधो सा,मूर्ती बना,
बिराजमान रहता है मंदिर के अन्दर
और सभी काम होते है,
उसका नाम लेकर
पति कि गती भी,
ऐसी ही होती है अक्सर
वो भी मूर्ती बना ,
चुपचाप रहता है घर के अन्दर
और उसकी पत्नी,पुजारन बनी,
उसका नाम लेकर ,
घर का सब काम काज संभालती है
ठीक हो तो यश खुद लेती है,
गलत हो तो जिम्मेदारी उस पर डालती है
और पति मौन,
सब कुछ सहता जाता है
फिर भी मुस्कराता है
इसीलिये पति को परमेश्वर कहा जाता है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
परछाई और मैं
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अकेले चलते-चलतेअपनी परछाई से बातें करते-करतेअनंत युगों सेकरता आ रहा हूं
पारएक समय चक्र से दूसरे समय चक्र कोलेकिन पा नहीं पा रहाउस अंतिम कोर कोजिस
पर समाप्त...
1 घंटे पहले