कल के लिये
आस है कल अगर फल की ,आज पौधे रोंपने है
विरासत के वजीफे,नव पीढ़ियों को सौंपने है
मार कर के कुंडली ,कब तलक बैठे तुम रहोगे
सभी सत्ता ,सम्पदा,सुख को समेटे तुम रहोगे
थक गये हो,पक गये हो,हो गये बेहाल से तुम
टपक सकते हो कभी भी,टूट करके डाल से तुम
छोड़ दो ये सभी बंधन, मोह, माया में भटकना
एक दिन तस्वीर बन,दीवार पर तुमको लटकना
वानप्रस्थी इस उमर में,भूल जाओ कामनायें
प्यार सब जी भर लुटा दो,बाँट दो सदभावनाएँ
याद रख्खे पीढियां,कुछ काम एसा कर दिखाओ
कमाई कर ली बहुत , अब नाम तुम अपना कमाओ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित
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*रिश्तों और जीवन में संतुलन का पाठ पढ़ाती गणित*
बचपन से ही गणित से हमारा एक अजीब-सा रिश्ता रहा है। न जाने क्यों, इस विषय
में जितना गहराई से उतरने की कोशिश...
9 घंटे पहले