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शनिवार, 7 अप्रैल 2012

जस्य नारी पूज्यन्ते----

जस्य नारी पूज्यन्ते----

कहते है, भारत में,

छप्पन करोड़ देवता पूजे जाते  है
जिधर देखो उधर ,
देवता ही देवता नज़र आते है
इसका कारण है,
नारी की पूजा होती है सदा
और संस्कृत का श्लोक है,
'जस्य नारी पूज्यन्ते,रमन्ति तत्र देवता'
यहाँ नारी को देवी कहा जाता है
और नारी का देवी रूप
,देवताओं को सुहाता  है
हमारे देश में नारी का कितना आदर है,
इसी बात से  जाना जा सकता है
कि सभी अवतारों को,
साल में एक दिन,
जैसे राम को रामनवमी को,
कृष्ण को,जन्माष्ठमी को,
पूजा जाता है
पर देवी को वर्ष में दो बार,
और वो भी नो नो दिनों के लिए,
नवरात्र में पूजा जाता है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

क्या क्या खिलाती है?

क्या क्या खिलाती  है?

न पूछो आप हमसे औरतें क्या क्या खिलाती है

ये खुद गुल है,मगर फिर भी,हजारों गुल खिलाती है
 हसीं हैं,चाँद सा चेहरा,ये मेक अप कर खिलाती है
अदा से जब ये चलती है,कमर को बल खिलाती है
ख़ुशी में,प्यार में,जब झूम के ये खिलखिलाती है
चमक आँखों में आ जाती,हमारे दिल खिलाती है
करो शादी अगर तो सात ये फेरे खिलाती है
किसी वीरान घर को भी ,चमन  सा ये  खिलाती है
पका कर दो वख्त ,ये मर्द को ,खाना खिलाती है
जो बच्चे तंग करते,उनको ,रोज़ाना खिलाती है
कभी गुस्सा खिलाती है,कभी धमकी खिलाती है
जरा सी बात ना मानो,तो बेलन की खिलाती है
कभी होली खिलाती है,कभी गोली खिलाती है
ये कडवे डोज़ भी हमको,बनी भोली खिलाती है
जरा से प्यार के खातिर,कई चक्कर खिलाती है
कभी जूते खिलाती है,कभी चप्पल खिलाती है
हवा ये अच्छे अच्छों को,हवालात की खिलाती है
खुदा! ये खेलती है हमसे या हमको खिलाती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

विनती


पवन तनय तुम अंतर्यामी, विघ्न हरो हे सबके स्वामी |
दूर करो हर कष्ट राह के, उर में बसो संग सिय राम के ||

बल बुद्धि के आप निधाना, गावो बस तुम राम गुण-गाना |
बल विवेक प्रभु हमको देना, सब अवगुण को तुम हर लेना ||

अंजनी सूत तुम राम के दासा, पूर्ण करो इस मन की आशा |
विनय करूँ तेरी हे हनुमाना, विनती मेरी तुम ना ठुकराना ||

सभी को महा प्रभु हनुमत जी की जयंती की बधाइयाँ |

hanumaan jayanti par-जय हनुमान ज्ञान गुण सागर

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
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हमारी स्वतंत्र भारत माता को,
सीता की तरह,
भ्रष्ट राजनीतिज्ञ रावणों ने,
कैद कर  रखा रखा है,
हे हनुमान!
उनकी सोने की लंका को जलाओ,
और सीता को छुड़ाओ
मंहगाई सुरसा की तरह,
अपना मुंह फाड़ती ही  जा रही है,
गरीब जनता,बत्तीस रूपये प्रति दिन में,
कैसे लघु रूप धारण कर,बाहर निकले,
हे हनुमान!इतना बतलादो
आम जनता,राम की सेना सी,
समुद्र के इस पार खड़ी है,
और दूसरी ओर,
 सत्ताधारियों की सोने की लंका है ,
इस दूरी को पाटने के लिए,
एक सेतु का निर्माण जरूरी है,
पर एक दुसरे पर पत्थर फेंके जा रहे है,
हे हनुमान!राम का नाम लिखवा कर,
इन पत्थरों को तैरा दो
देश की व्यवस्थाएं
राम और लक्ष्मण जैसी,
भ्रष्टाचार के नागपाश में बंधी है,
हे बजरंगबली! अपने अन्ना जैसे,
गरुड़ मित्र को बुलवा कर,
नागपाश कटवा दो
गरीबी और भुखमरी के ,
ब्रह्मास्त्र की मार ने,
आम आदमी को,
लक्ष्मण  जैसा मूर्छित कर रखा है,
हे पवन पुत्र!
स्वीजरलेंड में जमा,संजीवनी बूंटी लाओ ,
और सबको पुनर्जीवन दिलवा  दो
सत्तारूढ़ दशानन का अहंकार,
दिन ब दिन बढ़ता  ही जा रहा है,
हे अन्जनिनंदन!
अब समय आ गया है,
रावन का दहन करा दो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

जान-पहचान

जान-पहचान

किसी भी बहुमंजिला ईमारत में,

लिफ्ट ही है एक ऐसा स्थान
जहां बढाई जा सकती है जान पहचान
बस जरूरी है आपकी  एक मुस्कान
लिफ्ट में आते जाते
कुछ लोग है मिल जाते
उन्हें देख कर मुस्कराइए
उन्होंने कौनसी मंजिल का बटन दबाया  है,
पता लगाइए
कोई मोहतरमा ,अगर बच्चेवाली है,
तो बच्चे पर प्यार दर्शाइए
किसी के साथ कुत्ता हो तो कुत्ते को दुलराइये
जान पहचान को इस तरह बढ़ाना है
कि दूसरी तीसरी मुलाक़ात में,
फ्लेट नंबर और नाम का पता लगाना है
लोगों के स्वभाव का,उनके रिस्पोंस से पता लग जाएगा
कोई खडूस होगा,तो मुंह बनाएगा
और मिलनसार होगा,तो अगली बार ,
आपको देख कर खुद पहले मुस्कराएगा
याद रखिये,जान पहचान बढ़ाने की,
जितनी जरूरत आपको है,उनको भी है,
दो तीन मुलाकातों में ,
आप लिफ्ट में ही,दोस्ती की आहट सुन सकते है
और अपना पसंदीदा पडोसी दोस्त चुन सकते है
कभी उनको चाय पर बुलाइए
कभी उनके घर मिलने जाइये
और इस तरह,धीरे धीरे जान पहचान बढाइये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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