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सोमवार, 19 सितंबर 2011

. और लगता भूकंप आ गया

.....और लगता भूकंप आगया
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अन्नाजी के आन्दोलन से
या नेताओं के अनशन से
सोनिया के वापस आने से
या अमर के जेल जाने से
                 धरती सहमी
पेट्रोल के दाम बढ़ने से
मंहगाई के ऊपर चढ़ने से
बढती हुई ब्याज की दर से
गेस के दाम बढ़ने की खबर से
                  धरती हिली
आतंकवादियों के विस्फोट से
पडोसी के मन की खोट से
घोटाले और भ्रष्टाचार से
हमारे नेताओं के  व्यवहार से
                  धरती  दहली
मंत्रियों की बढती हुई वेल्थ से
जनता की बिगडती हुई हेल्थ से
सड़कों की खस्ता हालत से
रोज रोज बढती हुई मुसीबत से
                 धरती कांपी
........ और लगता भूकंप आ गया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

भ्रूण में मरती हुई

 

बदचलन से दोस्ती, खुशियाँ मनाती  रीतियाँ
नेकनीयत से अदावत कर चुकी  हैं नीतियाँ |
आज आंटे की पड़ी किल्लत, सडा गेहूं बहुत-
भुखमरों को तो पिलाते, किंग बीयर-शीशियाँ ||
photo of a sugar ant (pharaoh ant) sitting on a sugar crystal
देख -गन्ने सी  सड़ी,  पेरी  गयी  इंसानियत,
ठीक चीनी सी बनावट ढो  रही हैं  चीटियाँ ||


हो  रही  बंजर  धरा, गौवंश  का  अवसान  है-
सब्जियों पर छिड़क दारु, दूध दुहती यूरिया ||


भ्रूण  में  मरती  हुई  वो  मारती इक वंश पूरा-
दोष दाहिज का  मरोड़े  कांच की नव चूड़ियाँ |


हो चुके इंसान गाफिल जब सृजन-सद्कर्म से,
पीढियां  दर  पीढियां, बढती  रहीं  दुश्वारियां  ||

रविवार, 18 सितंबर 2011

तुमने मेरी सुबह बना दी

तुमने मेरी सुबह बना दी
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तारे सारे डूब गए थे,दूर हो रहा अँधियारा था

नभ में उषा की लाली थी,सूरज उगने ही वाला था
शबनम की बूंदों के मोती ,हरित  तृणों पर चमक रहे थे
और पुष्प रजनी गंधा के,अब भी थोड़े महक रहे थे
पंछी अभी नीड़ में ही थे,अपना आलस भगा रहे थे
पुरवैया के झोंके थपकी,दे पुष्पों को जगा रहे थे
कब कलियाँ चटके और विकसे,रसिक भ्रमर थे इन्तजार में
मै भी अलसाया लेटा था, खोया सपनों के खुमार में
तुमने अपनी आँखें खोली,करवट बदली,ली अंगडाई
लतिका सी मुझसे आ लिपटी,मेरी बाहों में अलसाई
सूरज उगा,प्रखर हो चमका,तन मन में वो आग लगा दी
सुबह सुबह मुझ को सहला कर,तुमने मेरी सुबह बना दी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

,तुमने मेरी सुबह बना दी

तुमने मेरी सुबह बना दी
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तारे सारे डूब गए थे,दूर हो रहा अँधियारा था

नभ में उषा की लाली थी,सूरज उगने ही वाला था
शबनम की बूंदों के मोती ,हरित  तृणों पर चमक रहे थे
और पुष्प रजनी गंधा के,अब भी थोड़े महक रहे थे
पंछी अभी नीड़ में ही थे,अपना आलस भगा रहे थे
पुरवैया के झोंके थपकी,दे पुष्पों को जगा रहे थे
कब कलियाँ चटके और विकसे,रसिक भ्रमर थे इन्तजार में
मै भी अलसाया लेटा था, खोया सपनों के खुमार में
तुमने अपनी आँखें खोली,करवट बदली,ली अंगडाई
लतिका सी मुझसे आ लिपटी,मेरी बाहों में अलसाई
सूरज उगा,प्रखर हो चमका,तन मन में वो आग लगा दी
सुबह सुबह मुझ को सहला कर,तुमने मेरी सुबह बना दी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शनिवार, 17 सितंबर 2011

अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए

अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए  


आज हमारे देश में हर तरफ अंग्रेजी का बोलबाला है /हर शिक्षित इंसान अंग्रेजी में बात करता हुआ ही नजर आता है /बल्कि ये कहा जाए की अंग्रेजी में बोलना स्वाभिमान या (स्टेटस सिम्बल) हो  गया है तो अतिशोक्ति नहीं होगी /अगर आपको अंग्रेजी में बात करना नहीं आता तो आपको हिकारत की नजरों से देखा जाता है /तुच्छ समझा जाता है भले आप कितने ही पढ़े लिखे क्यों नहीं हो /कितने ही ज्ञानी क्यों नहीं हो /अंग्रेजी बोलना नहीं आया तो आपका सब ज्ञान बेकार हो जाता है /हिन्दुस्तान में रहकर आराम और बढे शान से इन्सान बोलता है की मुझे हिंदी बोलना नहीं आता  या मुझे हिंदी बोलने में  दिक्कत होती है /सोचिये कितने शर्म की बात है की हम अपनी मात् भाषा को बोलने में और पढने में शर्माते हैं और अंग्रेजी बोलनें में गर्व महसूस करते हैं /आज कल स्कूलों  में हिंदी की गिनती नहीं  सिखाई जाती बच्चों को अगर हिंदी में संख्या बोल दो तो बच्चे पूछने लगतें हैं छत्तीस याने क्या तब उनको बोलो बेटा छत्तीस माने थर्टी  -सिक्स /ये हाल है हमारे देश का /
जबकि विदेशों में ऐसा नहीं होता वहां के लोग अपनी देश की भाषा बोलनें में   गर्व महसूस करतें हैं /मैंने तो कई देशों के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को देखा है की वो अपनी भाषा में ही बात करना या भाषण देना पसंद करते हैं /चाहे उन्हें दोभाषिया की भी सहायता क्यों  ना लेना पढ़े / उन्हें तो अपनी भाषा में बोलने में कोई शर्म नहीं आती / 
हम लोग अंग्रेजों की गुलामी से तो मुक्त हो गए परन्तु अंग्रेजी के गुलाम हो गए /मैं ये नहीं कह रही की दूसरी भाषा में बोलना या सीखना बुरी  बात  है  परन्तु दूसरी भाषा के सामने अपनी राष्ट्र भाषा  को तुच्छ समझना उसको बोलने में शर्म महसूस करना या कोई बोल रहा है उसको हिकारत की नजर से देखना ये तो अच्छी बात नहीं हैं /आज अगर आपको ऊँची सोसाइटी में आना जाना है तो अंग्रेजी बोलना जरुर आना चाहिए नहीं तो आप उनकी नजरों में गंवार नजर आयेंगे वो आपको निम्न समझेंगे /हमारे दक्षिण प्रदेशों के तो और भी बुरे हाल हैं वहां अंग्रेजी के कुछ शब्द तो फिर भी लोग समझ लेते हैं परन्तु हिंदी का कोई भी  शब्द नहीं समझते/बल्कि हिंदी    
बोलने वालों के साथ उनका ब्यवहार ही अलग होता है / अपने प्रदेशों की भाषा बोलना तो ठीक है परन्तु अपनी राष्ट्र भाषा का ज्ञान भी हर हिन्दुस्तानी को होना जरुरी है /
आज हिंदी दिवस पर हम सबको हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना चाहिए /और अपने जाननेवालों को हिंदी में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए /बच्चों को भी हिंदी भाषा का ज्ञान देना बहुत जरुरी है /सारे देश के स्कूलों में हिंदी विषय का ज्ञान जरुर  देना  चाहिए /
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और उसका हमें दिल से सम्मान करना चाहिए /उसको बोलनें में शर्म नहीं गर्व महसूस  करना चाहिए / 
   
सारे  जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा 
हिंदी हैं हम वतन हैं 
हिन्दुस्तां हमारा     

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