बदलते रिश्तों का अंकगणित
शादी के पहले आपका बेटा ,
जो पूरी तरह रहता है आपके संग
शादी के बाद उसे मिल जाती है,
पत्नी याने क़ि अर्धांगिनी ,
और बन जाता है उसका आधा अंग
तो वह जिस दिन से पत्नी को ब्याह कर लाता है
निश्चित है आधा तो आप के हाथ से निकल जाता है
और फिर धीरे धीरे ,जब पत्नी का है जादू
तो अक्सर ,वो पूरा का पूरा ही हो जाता उसके काबू
विवाह के फेरे ,उससे अपनी पत्नी की नजदीकियां ,
और आपसे उसकी दूरियां बढ़ाते है
अब उसे सास ससुर के रूपमे ,
एक जोड़ी माँ बाप औरमिलजाते है
अब उसका प्यार ,
जिस पर था आपका पूर्ण अधिकार
दो दो माँ पिताओं में विभाजित हो जाता है
जो आपके दिलको दुखाता है
तो पचास प्रतिशत अर्धांगिनी ,
बाकी पचास का आधा ,सास ससुर ले जाते है
आप मुश्किल से ,बचा हुआ पच्चीस प्रतिशत ,
पाने के अधिकारी रह जाते है
धीरे धीरे जब उसके बच्चे होते है ,परिवार बढ़ता है
तो फिर उन सबमे भी उसका प्यार बंटता है
और आपके हिस्से रह जाता है ,
बचा खुचा ,अवशेष मात्र ही,थोड़ा सा प्यार
और वो भी ,कभी कभी जब नहीं मिलता,
आप हो जाते है बेकरार
पर भैया ,ये तो समाज का नियम है ,
याद करिये ,आपने भी तो ऐसा ही किया था
शादी के बाद ,अपने माँ बाप को ,
यूं ही तड़फता छोड़ दिया था
तो ये सोच कर कि शादी के बाद से ,
बेटा निकल गया है हाथ से
दुखी होना छोडॉ और मस्ती से जियो
अपनी पत्नी के साथ प्रेम से ,
पकोड़े खाओ और चाय पियो
क्योंकि एक वो ही है जो जीवन भर
पूर्ण रूप से आपका साथ निभाती है
आपकी सच्ची जीवनसाथी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'