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बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

माँ और बीबी

          माँ और बीबी
                    1
माँ बीबी दोनों खड़े,किसको दूं तनख्वाह
बलिहारी माँ आपकी,बीबी दीनी  लाय
बीबी दीनी लाय ,आपके मै गुण  गाऊं
निशदिन  सेवा करूं ,आपके चरण दबाऊं
अब हिसाब के चक्कर में क्यों पड़ती हो माँ
बहुत कर लिया काम,आप आराम करो माँ
                       2
तनख्वाह  में माया बसे,पुत्र कहे समझाय
माया है ठगिनी बहुत,वेद ,पुराण बताय
वेद पुराण बताय,त्याग चिंताएं सारी
प्रभु को सिमरो ,डाल  बहू पर जिम्मेदारी
'घोटू 'तनख्वाह क्या ,लाखों का तेरा बेटा
तेरी सेवा करने को  हाजिर है    बैठा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

उलाहना

          उलाहना  

तुम ने मुझसे प्यार जता कर ,मीठी मीठी बातों में 
मुझको दीवाना कर डाला ,नींद चुरा कर ,रातों  में 
             मेरी तब नादान उमर थी,मै तो थी  भोलीभाली 
              तुम्हे बसाया था आँखों में,करने दिल की रखवाली 
              ऐसे  चौकीदार बने तुम,खुद ही  लुटेरे बन बैठे 
               मेरे दिल को चुरा ले गए ,साजन मेरे  बन बैठे 
ऐसा जादू डाला मुझ पर,प्यार भरी सौगातों ने 
मुझको  दीवाना कर डाला ,नींद चुरा  कर रातों में 
                दिल के संग संग चैन चुराया,नींद चुरायी आँखों की 
                किस से अब फ़रियाद करू,ये दौलत तो थी लाखों की 
                मै पागल सी ,हुई बावरी,दीवानी सी,लुट कर भी 
                तुम्हारे ख्यालों में खोई,ख़ुशी ख़ुशी,सब खोकर भी 
अपना सब कुछ सौंप दिया है,अब तुम्हारे हाथों में 
मुझको दीवाना कर डाला ,नींद चुरा कर ,रातों में 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

दूध और मानव

      दूध और मानव

दूध के स्वभाव और मानव के स्वभाव को ,
एक जैसा बतलाते है
क्योंकि गरम होने पर दोनों उफन जाते है 
दूध का उफनना ,चम्मच के हिलाने से ,थम जाता है
और धीरज के चम्मच से हिलाने से,
उफनता आदमी भी ,शांत बन जाता है
दूध ,जब पकाया  जाता है ,
तो वह बंध  जाता है पर खोया कहलाता है
आदमी भी ,शादी के बाद ,
गृहस्थी के बंधन में बंध  जाता है ,
और बस खोया खोया ही नज़र आता है
जैसे दूध में जावन डालने से ,
वो जम  जाता है,उसका स्वरुप बदल जाता है
और वो दही कहलाता है
वैसे ही  ,पत्नी प्रेम का ,जरासा जावन ,
आदमी के मूलभूत स्वभाव में ,परिवर्तन लाता है
दूध पर ध्यान नहीं दो,
यूं ही पड़ा रहने दो ,तो वो फट जाता है
आदमी पर भी ,जब ध्यान नहीं दिया जाता,
तो उसका ह्रदय ,विदीर्ण हो कर,फट जाता है
दूध से कभी रबड़ी ,कभी कलाकंद,
कभी छेने की स्वादिष्ट मिठाई बनती है
बस इसके  लिए,थोड़ी मिठास की जरूरत पड़ती है
उसी तरह,यदि आदमी का ,असली स्वाद जो पाना  है  
तो आपको बस ,मीठी मीठी बातें बनाना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अब जहन में नहीं है क्या नाम था भला सा...

बरसों के बाद देखा एक शक्श दिलरुबा सा
अब जहन में नहीं है क्या नाम था भला सा
तेवर खींचे खींचे से आँखें झुकी झुकी सी
बातें रुकी रुकी सी लहजा थका थका सा
अलफ़ाज़ थे के जुगनू आवाज़ के सफ़र में
बन जाये जंगलों में नहरों का रास्ता सा
ख्वाबों में ख्वाब उस के यादों में याद उसकी
नींदों में घुल गया हो जैसे के रतजगा सा
पहले भी लोग आये कितने ही ज़िन्दगी में
वोह हर वजह से लेकिन औरों से था जुदा सा
अगली मोहब्बतों ने वोह नामुरादियाँ दी
ताज़ा रफ़ाक़तों से था दिल डरा डरा सा
तेवर  थे बेरुखी के अंदाज़ दोस्ती सा
वोह अजनबी था लेकिन लगता था आशना सा
कुछ यह के मुद्दतों से में भी नहीं था रोया
कुछ ज़हर में भुजा था अहबाब का दिलासा
फिर यूँ हुआ के सावन आँखों में आ बसा था
फिर यूँ हुआ के जैसे दिल भी था आबला सा
अब सच कहूँ तो यारों मुझको  खबर नहीं थी
बन जायेगा क़यामत एक वाकेया ज़रा सा
बरसों के बाद देखा एक शक्श दिलरुबा सा
अब जहन में नहीं है क्या नाम था भला सा...
अब जहन में नहीं है क्या नाम था भला सा...

बदलती खुशबुंए

         बदलती खुशबुंए 

नयी नयी शादी होती तो ख़ुशी खनकती बातों में
मादक सी खुशबू आती है,मेंहदी वाले  हाथों में
शादी बाद चंद बरसों तक ,पत्नी है चहका करती
नए नए परफ्यूम ,सेंट की,खुशबू  से महका करती
जब माँ बनती ,तो बच्चे को ,लोरी सुना सुलाती है
बेबी पावडर ,दूध,तेल की,उसमे खुशबू आती है 
फिर चूल्हे,चौके में रमती,सेवा में घर वालों की
आती है हाथो से खुशबू,हल्दी,मिर्च,मसाले की
लोरी,चहक सभी बिसराती, जब  वो चालीस पार हुई 
आयोडेक्स और पेन बाम की खुशबू संग लाचार हुई
पूजा पाठ बुढ़ापे में है,भजन कीर्तन है गाती
धूप,अगरबत्ती,चन्दन की ,खुशबू है उसमे आती
साथ उमर के ,तन की खुशबू,यूं ही बदला करती है
मगर प्यार की खुशबू मन में,उसके सदा महकती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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