क्या करना है बुढ़ापे में
तब, जब मैं अपनी जवानी के चरम में था
मोह माया के भरम में था
चाहता था कमाना खूब पैसा
कमाई की धुन में रहता था हमेशा
व्यस्तताएं इतनी थी दिनभर
फुर्सत नहीं मिल पाती थी पल भर
परिवार और गृहस्थी की जिम्मेदारी
नौकरी और दफ्तर की मारामारी
सुबह से शाम
बस काम ही काम
बस एक ही धुन थी बहुत सारा पैसा कमा कर एश करूंगा बुढ़ापे में जाकर
तब मैं सोचा करता था भगवान ऐसे दिन कब देख पाऊंगा
जब पूरे दिन भर अपनी मर्जी से आराम से सो पाऊंगा
अपनी मर्जी से जिऊंगा
खाऊंगा ,पिऊंगा
आखिर भगवान ने मेरी सुन ली मेरा सपना सच हो गया
और एक दिन में रिटायर हो गया
अब दिन भर निठल्ले बैठा रहता हूं
बेमतलब इकल्ले बैठा रहता हूं
नहीं करना कोई काम धाम
दिन भर बस आराम नहीं आराम
टीवी पर देखते रहो मनचाही पिक्चर
या फिर बिस्तर पर पड़े रहो दिन भर
न नौकरी की भागा दौड़ी न बॉस की चमचागिरी दिनभर एकदम फ्री
वैसे तो पूरा हो गया मेरा जवानी का स्वपन
पर अब मुझे कचोटता है एकाकीपन
आज मुझे इस बात आ गया है ज्ञान
कि बिना काम किये जीना नहीं आसान
बुढ़ापे में आकर बात यह मैंने जानी
निठल्ला जीवन काटने में होती है बड़ी परेशानी
आज मेरे पास पैसा है बहुत सारा
पर मैं इंजॉय नहीं कर पा रहा हूं मैं बेचारा
ठीक से रहती सेहत नहीं है
बदन में बची हिम्मत नहीं है
बिमारियों ने घेर रखा है
अपनो ने मुंह फेर रखा है
आप जाकर की यह बात मेरी समझ में आई एंजॉय करते रहो अपनी कमाई
बचत उतनी ही अच्छी के हो सके आराम से बुढ़ापा गुजारना
किसी के आगे हाथ ना पड़े पसारना
तो मेरे मित्रों मेरा अनुभव यह बताता है
बचत का पैसा ज्यादा भी हो तो बुढ़ापे में सताता है
छुपा कर रखो तो डूब जाएगा
वरना मरने के बाद बच्चों में झगड़े करवाएगा
ऐसी नौबत को जीते जी काट दो
जिसको जो देना है पहले ही बांट दो
बुढ़ापे में माया से ज्यादा मोहब्बत मत करो
थोड़ी दीन दुखियों की सेवा कर पुण्य की गठरी भरो
प्रभु नाम का स्मरण दिन रात करो
चैन से जियो और चैन से मरो
मदन मोहन बाहेती घोटू
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