बढ़ती महंगाई
प्रवासी भारतवासी ,
जब विदेश से लौटकर
वापस अपने घर आते हैं
बढ़ी हुई महंगाई को
अपने साथ ले आते हैं
जैसे मेरे देश का वड़ापाव
छोड़कर अपना गांव
जब गया विदेश ,
तो लौटा नया रूप धर
वह बन गया था वड़ापाव से बर्गर
उसका नया हीरो वाला रूप,
लोगों को सुहाया
दाम दस गुना हो गए ,
फिर भी लोगों ने बड़े चाव से खाया
मेरे गांव के नाई चाचा की तेल मालिश ,
जब विदेश गई
तो स्पा बन गई
नए रंग में सन गई
बहुत महंगी हो गई
पर फैशन बन गई
दादी के हाथों के मैदे की सिवैयां
आज भी बहुत याद आती हैं
जब से विदेश से लौटी है ,
चाऊमीन कहलाती है
बड़ी मंहगी आती है
और जब आलू का पराठा पहुंच गया विदेश
देखकर उन्मुक्त परिवेश
दो परतों के बीच उसका दम घुटने लगा
और वह बाहर की और भगा
रोटी के ऊपर चढ़कर उसे आया मजा
और वह बन गया पिज़्ज़ा
विदेशी रंगत देख कर,
लोगों में दीवानगी चढ़ गई
बस कीमत कई गुना बढ़ गई
कनखियों से ताक झांक कर के ,
नैनो को लड़ाने वाला प्यार
विदेश में डेटिंग करके हो गया बेकरार
खुली छूट मिल गई कर लो पूरा दीदार
मगर खर्च होगया कई हजार
विदेश जाकर बदले परिवेश में,
गांव की चीजों पर आधुनिकता चढ़ा दी
पर मेरे देश की महंगाई बढ़ा दी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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