आयुष का इंदौरी प्यार
नाश्ते में प्यार के पोहे जलेबी,
सेव मिक्चर जीरावन नींबू मिलाके
लंच में उल्फत के घी में तरमतर जो ,
वो मुलायम बाफले खाता दबाके
साथ में मीठा तेरी बातों के जैसा,
चूरमा है केसरी मन को लुभाता
शाम को मैं मोहब्बत से भरी पेटिस,
नर्म भुट्टो का सुहाना किस मैं पाता
बहुत दिन के बाद ये पकवान पाए
प्यारा का मौसम त्योंहारी हो गया है
चाह छप्पन भोग की पूरी हुई है,
आजकल यह मन इंदौरी हो गया है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।