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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

अगर तुम आगयी होती

सुधा भरती समंदर में ,हरे हो जाते मरुस्थल
गरज कर जो घुमड़ते है ,बरस जाते सभी बादल
अँधेरा लील सब जाती ,तुम्हारे प्यार की ज्योती
अगर तुम आ गयी होती
अमा की रात में जगमग ,चमकता चाँद पूनम सा  
मेरे जीवन को महकाता ,तुम्हारा प्यार चंदन  सा
नयन से बह  रहे अश्रु ,टपकते बनके  फिर मोती
अगर तुम आ गयी होती
मेरा संसार सूना था ,उसमे कुछ सार आ जाता
खनकते चूड़ियों के स्वर ,मधुर अभिसार आ जाता
रेशमी बाहों में बंध कर ,मेरी तन्हाईयाँ  खोती
अगर तुम आगयी होती

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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