एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

पर्यटक का प्यार

आज मेरी चाह 'अजमेरी 'हुई है ,
और 'दिल्ली' की तरह है दिल धड़कता
'चेन्नई 'सा चैन भी खोने लगा है ,
'आगरे' की आग में तन बदन जलता
मैं 'अलीगढ' का अली हूँ ,तुम कली थी,
देह' देहरादून' सी विकसी  हुई है
मन बना है 'बनारस' जैसा रसीला ,
मुरादें  अब , 'मुरादाबादी' हुई है
चाहता हूँ प्यार से दिल विजय करके ,
तुझे 'जयपुर' में गले जयमाल डालूं
बना रानी ,रखूँ  'रानीखेत' दिल में ,
मिलान की रजनी 'मनाली 'में मनालूं

घोटू  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-