सीख
,
जब मैंने केनवास के जूते पहने
घूमने जाने के लिए ,सुबह,आज
तो मेरी समझ में आये ,जिंदगी
जीने की कला के दो गहरे राज
एक तो जूता पहनते वक़्त ,जूते के
पिछले भाग में एड़ी डालने के लिए ,
ऊँगली डालने से एडजस्ट करने पर ,
जूता ठीक से एड़ी से चिपकता है
उसी प्रकार कई बार ,कुछ कार्यों को
ठीक से संपन्न करने के लिए ,
पड़ती ऊँगली करने की आवश्यकता है
दूसरा जूते की जीभ को दबा कर
उसके मुंह को बांध से बाँधने से ,
जूते फिट रहते है
उसी तरह कुछ लोगों की जिव्हा पर
लगाम लगाने से ,
वो ज्यादा चूंचपड़ नहीं करते है
घोटू
,
जब मैंने केनवास के जूते पहने
घूमने जाने के लिए ,सुबह,आज
तो मेरी समझ में आये ,जिंदगी
जीने की कला के दो गहरे राज
एक तो जूता पहनते वक़्त ,जूते के
पिछले भाग में एड़ी डालने के लिए ,
ऊँगली डालने से एडजस्ट करने पर ,
जूता ठीक से एड़ी से चिपकता है
उसी प्रकार कई बार ,कुछ कार्यों को
ठीक से संपन्न करने के लिए ,
पड़ती ऊँगली करने की आवश्यकता है
दूसरा जूते की जीभ को दबा कर
उसके मुंह को बांध से बाँधने से ,
जूते फिट रहते है
उसी तरह कुछ लोगों की जिव्हा पर
लगाम लगाने से ,
वो ज्यादा चूंचपड़ नहीं करते है
घोटू
एकदम सही जी
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