होली में
परायों से भी अपनों सा ,करो व्यवहार होली में
भुला कर भेद सब मन के,लुटाओ प्यार होली में
कोई चिकने है चमकीले,कोई ज्यादा मुलायम है,
गुलाबी पर नज़र आते ,सभी रुखसार होली में
जब उनके अंग छूकर के ,तरंगें मनमे उठती है ,
भंग का रंग चढ़ता है,हमें हर बार होली में
गुलाबी दोहज़ारी नोट, ए टी एम से निकले,
तुम्हारे रूप का हो इस तरह ,दीदार होली में
रंगों से रँगा हर चेहरा ,हमे अपना सा लगता है ,
खेलते खेल खुल्ला है ,सभी दिलदार होली में
किसी भी गाल पर तुम हाथ फेरो ,छूट जब मिलती,
बड़े बेसब्रे हो जाते है ,बरखुरदार होली में
रंगों से तरबतर कपड़े,चिपककर जिस्म से लिपटे,
तुम्हारा भीगा ये जलवा ,लगे अंगार होली में
बड़ा ही मौज मस्ती का ,है ये त्योंहार कुछ ऐसा ,
दिलों को जीत लेते हम,दिलों को हार होली में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
परायों से भी अपनों सा ,करो व्यवहार होली में
भुला कर भेद सब मन के,लुटाओ प्यार होली में
कोई चिकने है चमकीले,कोई ज्यादा मुलायम है,
गुलाबी पर नज़र आते ,सभी रुखसार होली में
जब उनके अंग छूकर के ,तरंगें मनमे उठती है ,
भंग का रंग चढ़ता है,हमें हर बार होली में
गुलाबी दोहज़ारी नोट, ए टी एम से निकले,
तुम्हारे रूप का हो इस तरह ,दीदार होली में
रंगों से रँगा हर चेहरा ,हमे अपना सा लगता है ,
खेलते खेल खुल्ला है ,सभी दिलदार होली में
किसी भी गाल पर तुम हाथ फेरो ,छूट जब मिलती,
बड़े बेसब्रे हो जाते है ,बरखुरदार होली में
रंगों से तरबतर कपड़े,चिपककर जिस्म से लिपटे,
तुम्हारा भीगा ये जलवा ,लगे अंगार होली में
बड़ा ही मौज मस्ती का ,है ये त्योंहार कुछ ऐसा ,
दिलों को जीत लेते हम,दिलों को हार होली में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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