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बुधवार, 9 नवंबर 2011

ग़ज़ल

ग़ज़ल
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जो कम बालों वाले या गंजे होते है
अक्सर उनकी जेबों में कंघे होते है
अपने घर में वो ताले लटका कर रखते,
जो धनहीन और भूखे नंगे होते है
प्रेम भाव,मिल जुल रहना ,सब धरम सिखाते,
नाम धरम का  ले फिर क्यों दंगे  होते है
जो कुर्सी पर बैठे ,वो ही बतलायेंगे,
कुर्सी के खातिर कितने पंगे होते है
हो दबंग कितने ही कोई,मर जाने पर,
दीवारों पर ,बन तस्वीर ,टंगे होते है
पांच साल तक ,शासन करते,पर चुनाव में,
वोट मांगते,नेता,भिखमंगे  होते है
इनकी सूरत मत देखो,फितरत ही देखो,
होते सभी सियार,मगर रंगे होते है
'घोटू' ज्यादा मत सोचो,मन में दुःख होगा,
वो खुश रहते,जिनके मन चंगे होते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । ।धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया और रोचक !!
    मेरे ब्लॉग को यहाँ पढ़े
    manojbijnori12 .blogspot .com

    जवाब देंहटाएं

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