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सोमवार, 13 जून 2022

अंतर वेदना 

तू भी बिमार , मै भी बिमार  
तन क्षीण हो रहा, लगातार 
है सब पीड़ाएं हैं उम्र जन्य ,
अब कौन करेगा देखभाल 
तू भी बिमार , मैं भी बिमार 

खाते थे छप्पन भोग कभी 
अब गले पड़ गए रोग सभी 
अब खाने को मिलती भेषज,
लूखी रोटी और मूंग दाल 
तू भी बिमार , मैं भी बिमार 
अब कौन करेगा देखभाल 

दुनिया भर घूमा करते थे 
आकाश को चूमा करते थे 
अब सिमटे चारदीवारी में, 
घर ,बिस्तर है या अस्पताल 
तू भी बिमार,मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
 
बच्चे अपने में व्यस्त सभी 
आ हाल पूछते कभी-कभी 
आपस में एक दूसरे की ,
अब हमको रखनी है संभाल
तू भी बिमार , मै भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल

जीवन का सुख भरपूर लिया 
और शानदार जीवन जिया 
अब ऐसा आया बुढ़ापा है,
 सब बदल गई है चाल ढाल 
 तू भी बिमार, मैं भी बिमार
 अब कौन करेगा देखभाल

  छाये जीवन में सन्नाटे
  धन और माया को क्या चाटे
  उपभोग किया ना जीवन भर ,
  बस केवल रखा था संभाल 
  तू भी बिमार,मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल

 तू एकाकी ,मैं एकाकी
 जीवन के कुछ दिन ही बाकी 
 मालूम नहीं कब और किस दिन,
 आ जाए काल, करने प्रहार
 तू भी बिमार, मैं भी बिमार
 अब कौन करेगा देखभाल
 
जब खुशियां बसती थी मन में
संगीत भरा सा जीवन में 
हो गया बेसुरा यह जीवन 
ना बचा कोई सुर, नहीं ताल
 तू भी बिमार मै भी बिमार
 अब कौन करेगा देखभाल
 
 अब मोह माया को सकल त्याग
 जागृत कर प्रभु प्रति अनुराग
 श्री राम लला ,करें सबका भला ,
 अब जीवन के वो ही आधार 
 तू भी बिमार, मैं भी बिमार
 अब कौन करेगा देखभाल

मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 9 जून 2022

श्री श्री स्वामी जी माधव प्रपन्नाचार्य द्वारा राम कथा के अवसर पर एक कविता 

माधव से सुनी, राघव की कथा 
जग जननी मां सीता की व्यथा 
स्वामी जी ने श्री वचनों से , 
हमें दिया राम का पता बता 
माधव से सुनी राघव की कथा

श्री राम जनम ,वनवास गमन 
सीता का हरण, बाली का मरण 
सेतु निर्माण समंदर पर ,
और दशाशीश रावण का तरण 
हनुमान का बल, बुद्धिमत्ता 
माधव से सुनी ,राघव की कथा 

पुष्पों से सजाया, मंच द्वार 
श्री पुष्पहास जी ,परिवार
 सब ने सच्चे मन ,तन्मय हो,
  जय राम उचारा बार-बार 
  थी हर प्रसंग में विव्हलता 
  माधव से सुनी, राघव की कथा 
  
  हो मंत्र मुक्त श्रोताओं ने
 पुरुषों ने और महिलाओं ने 
 चाय की तलब भुला करके,
  पूरा रस लिया कथाओं में 
  आलस निद्रा को बता धता
  माधव से सुनी, राघव की कथा
  
 श्री राम रतन धन जब पाया 
 रस कथा में था इतना आया 
कि व्यास पीठ पर ऊपर से 
 लीची ने भी रस टपकाया 
 जीवन में आई निर्मलता 
 माधव से सुनी, राघव की कथा

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 22 मई 2022

टूटे सपने

मैंने पूछा सपनों से कि यार जवानी में,
रोज-रोज आ जाते थे तुम, अब क्यों रूठ गये सपने बोले ,तब पूरे होने की आशा थी ,
अब आने से क्या होगा, जब तुम ही टूट गये

एक उम्र होती थी जबकि मन यह कहता था,
ये भी कर ले वो भी कर ले सब कुछ हम कर ले आसमान में उड़े ,सितारों के संग खेल करें,
दुनिया भर की सब दौलत से हम झोली भर ले तब हिम्मत भी होती थी, जज्बा भी होता था, और खून में भी उबाल था, गर्मी होती थी 
तब यौवन था, अंग अंग में जोश भरा होता, 
और लक्ष्य को पाने की हठधर्मी होती थी 
पास तुम्हारे आते थे हम यह उम्मीद लिए ,
तुम कोशिश करोगे तो हम  सच हो जाएंगे 
पर अब जब तुम खुद ही एक डूबती नैया हो ,
पास तुम्हारे आएंगे तो हम क्या पाएंगे 
साथ तुम्हारा, तुम्हारे अपनों ने छोड़ दिया,
 वो यौवन के सुनहरे दिन, पीछे छूट गए 
 मैंने पूछा सपनों से कि यार जवानी में ,
 रोज-रोज आ जाते थे तुम अब क्यों रूठ गए

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सपने

सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं ,
नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है
नींद उचट जाया करती जब काली रातों में ,
तो बस बीती यादों का दोहराना होता है 
 
कब क्या क्या सोचा था किससे क्या उम्मीदें थी, 
उन में कितनी पूर्ण हो गई ,कितनी टूट गई लेटे-लेटे ,सूनी आंखों से देखा करते ,
कितनी ही घटनाएं हैं जो पीछे छूट गई 
बीते हुए खुशी के लम्हे सुख दे जाते हैं ,
पर कुछ बीती बातों से पछताना होता है 
सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं,
नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है 

ढलती हुई उम्र में सपने देखे भी तो क्या,
पतझड़ में भी कहीं फूल का खिलना होता है जीवन की सरिता की कलकल मौन हो रही है,
क्योंकि शीघ्र सागर से उसको मिलना होता है
हंसते-हंसते जैसे तैसे गुजर जाए ये दिन,
बस मन को ढाढस देकर समझाना होता है 
सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं,
 नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
ख्वाइश थी बनू रसीला मैं ,
पक कर के मीठा आम बनू 
स्वर्णिम आभा ले स्वाद भरा,
 तेरे होठों लग ,जाम बनू 
 पर देखो मेरी किस्मत ने,
 कितना मजबूर बना डाला 
 कच्चा ही टूटा डाली से ,
 मुझको अमचूर बना डाला

घोटू 

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