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सोमवार, 15 जून 2015

कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

      कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

लेडीज वस्तुएं छोटी सी ,अक्सर औरत के मन भाती
छोटी छतरी,छोटा रुमाल,लेडीज आइटम  कहलाती
छोटी होती लेडीज घड़ी ,छोटी चोली ,छोटी बिकनी
या छोटी छोटी 'हॉट पेंट'पहना करती स्कर्ट मिनी 
खुश छोटे छोटे वस्त्र पहन ,जिससे तन अधिक उजागर हो
पर चाहे बड़ी बड़ी आँखें,और बड़े बाल,जो सुन्दर हो
वो कमर चाहती पतली सी ,पर उन्नत उभरा वक्षस्थल
लम्बी नाजुक ,पतली बाहें,और हाथ कमल जैसे कोमल
कुछ छोटी चीजें उन्हें रुंचें ,कुछ चीजें बडी ,उन्हें भाये
छोटी छोटी सी बातों पर ,वो  मोटे आंसूं ढलकाये
थोड़ा सा छोटा प्यार दिखा ,वो लूट लिया करती मन है 
छोटा या बड़ा पसंद उन्हें ,कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन है

घोटू

क्या बेलेंस बनाता भगवन

        क्या बेलेंस बनाता भगवन

कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन
चिंताएं भी दे  देता, जिसको देता धन
परेशान ,बैचैन  हमेशा वो होता  है
निर्धन टांग पसार चैन से पर सोता है
कोई निपट गंवार,लक्ष्मी उस पर बरसे
कोई अति विद्वान मगर पैसों को तरसे
कोई अति बेडौल,प्रिया पर स्वर्ण सुंदरी
कोई सुगढ़,सुडौल,मिले बेमेल सहचरी
कोई की पत्नी नाटी  है तो पति  लम्बा
कोई संत ,फ़कीर,उसे मिल जाती रम्भा
कर देता है दोनों का 'एवरेज ' बराबर
कर 'एडजस्ट ',साथ रहते दोनों जीवनभर
अरे और तो और गढ़ी जब मानव काया
पंच तत्व का इतना सुन्दर मेल बिठाया
अगन तत्व को यदि भड़काता तत्व पवन है
तो जल तत्व ,तुरंत कर देता अग्नि शमन है
अग्नि लपटें ,यदि आकाश तत्व में उड़ती
बुझ जाती जब धरा तत्व की माटी पड़ती
एक दूसरे पर करते  है ,सभी नियंत्रण
कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन

घोटू

मचा भूचाल देती है

       मचा भूचाल देती है

हवा में सांस हम लेते , हवा ही प्राण होती है
मगर जब उग्र हो जाती ,तो वो तूफ़ान होती है 
काम आता है हरेक पल ,है जल जीवन ही कहलाता
मगर ढाता कहर सब पर,वो जब सैलाब बन जाता
तपस अग्नि की जीवन है,पका देती,पचा देती
मगर जब वो ,दहकती है,सभी कुछ भस्म कर देती 
बीबियाँ होती है प्यारी ,पति को प्यार  देती है
मगर नाराज जब होती,मचा भूचाल  देती है

घोटू 

बीबी आगे कौन टिका है ?

         बीबी आगे कौन टिका है ?

टिक टिक कितना कहती घड़ियाँ ,
                 किन्तु समय क्या कभी टिका है
कोई कभी भी बदल न पाया ,
                  जो कि भाग्य में गया लिखा है
अच्छे दिन हो या कि बुरे दिन,
                      सबके ही जीवन में आते ,
गिर गिर उठना और संभलना ,
                     सब कुछ देता वक़्त  सिखा है  
 एक दिन की छुट्टी ले लेता,
                     चतुर चन्द्रमा  अम्मावस को ,
पर सूरज  ड्यूटी का पक्का ,
                        छुट्टी लेते   नहीं दिखा है
 कोई कितना तीसमारखां ,
                      बने , दबदबा हो दफ्तर  में,
पर भीगी बिल्ली है घर में ,
                       बीबी आगे कौन  टिका  है ?

घोटू

गुरुवार, 11 जून 2015

राम मिलाई जोड़ी

            राम मिलाई जोड़ी

कुछ जोड़ी घरवाले  जोड़े, कोई संग टांका जुड़ जाता
पर कहते है सभी जोड़ियां  ,ऊपरवाला ,स्वयं बनाता
कुछ बेजोड़ ,स्वर्ण आभूषण में ज्यों हीरा जाय जड़ाया
ऐसा लगता ,ईश्वर ने खुद,एक दूजे के लिए   बनाया
कुछ जोड़ी बेमेल इस तरह ,जैसे ऊँट गले में बिल्ली
किन्तु मजे से जीवन जीते,चाहे लोग उड़ाएं खिल्ली
कुछ बनती है मजबूरी में ,और कुछ 'शार्टटर्म 'होती है
और किसी के लिए रीत ये ,सबसे बड़ा  धर्म होती है
एक दूजे के गुण अवगुण से ,एडजस्ट है सब हो जाते
और जिंदगी कट जाती है,यूं ही  हँसते,रोते , गाते  
कोई करे कदर बीबी की ,मोटी  लाये ,दहेजी पेटी
कोई पत्नी से डरता है ,क्योंकि बड़े  बाप की  बेटी
कोई का पति दब्बू होता ,कोई की पत्नी दबंग है
पर चढ़ जाता धीरे धीरे ,उन पर एक दूजे का रंग है
पत्नी होती जादूगरनी ,पति पर ऐसा करती जादू
देता भूला ,बाप माँ सबको,पति आता ,पत्नी के काबू
कुछ को रुचे न घर का खाना ,इधर उधर मुंह मारा करते
पर कैसे भी,किसी तरह भी ,जीवन साथ  गुजारा करते
पति पत्नी के बीच हमेशा ,होती रहती खटपट  थोड़ी
किन्तु समर्पित एक दूजे पर ,राम मिलाता सबकी जोड़ी

घोटू

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