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मंगलवार, 3 मार्च 2015

पत्नीजी ने घुटने बदले

            पत्नीजी ने घुटने बदले

मोरनी सी चाल थी ,उनकी ,उसी  को देख कर
फ़िदा उन पर हो गए हम रख दिया दिल फेंक कर
इश्क़ में  डूबे  रहे हम ,बावले और   बेखबर
प्यार का इजहार इक दिन किया घुटने टेक कर
उनने जब  हाँ कर दिया तो मस्त 'लाइफ' हो गयी
बन गए' हसबैंड' उनके और वो 'वाईफ' हो गयी
जिंदगी शादीशुदा हम बाद में  ऐसे जिए
उम्र भर हम उनके आगे घुटने ही टेका किये
इस तरह वर्जिश  हमारे घुटनो की होती रही
और वो  खुशहाल ,खाती पीती और सोती रही
धीरे धीरे बदन फैला ,बात कुछ ऐसी  बनी
मोर जैसी चालवाली बन गयी ,गजगामिनी
घुटने की तकलीफ से जब लगी घुटने दिलरुबां
घुटने प्रत्यार्पण करा लो ,डाक्टरों ने ये कहा
अब नए घुटने लगा कर हिरणिया वो हो गयी
और घुटने टेकते है अब भी हम वो के वो ही

घोटू

बदली बदली बीबी

             बदली बदली बीबी

घटा सी घनेरी थी जुल्फें वो काली,
         हुए श्वेत छिछले ,घने बाल पतले
हिरणी सी आँखें,फ़िदा जिन पे हम थे,
        हुआ मोतियाबिन्द ,और 'लेन्स'बदले
छरहरा बदन आज मांसल हुआ है ,
         दिल की शिराओं में 'स्टंट' डाले
ठुमक करके जिन पर अदा से थी चलती ,
        वो घुटने भी तुमने ,बदल दोनों डाले
बदल जिस्म के सारे पुर्जे गए है ,
        बचा कोई 'ओरिजिनल' अब नहीं है 
मोती से दाँतों पे सोना चढ़ा है ,
         मगर प्यार तुम्हारा ,वो का वही है

घोटू

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

आंटी का दर्द

          आंटी का दर्द

जब मैं थी छोटी ,
नन्ही मुन्नी सी गुड़िया ,
लोग मुझे कहते थे 'क्यूटी '
जब मैं बड़ी हुई,
जवानी और निखार आया,
लोग मुझे कहने लगे' ब्यूटी'
शादी के बाद ,
पति ने दिया ढेर सा प्यार,
 और कहते थे मुझे 'स्वीटी'
बाद में जब गृहस्थी में जुटी,
तो बच्चों और परिवार की सेवा में ,
लग गयी मेरी 'ड्यूटी'
और अब जब जवानी रूठी,
हो रही हूँ मोटी ,
और खो जाया करती है मेरी ' शांती'
जब अच्छे खासे ,
बड़े बड़े लोग भी,
मुझे बुलाते है कह कर 'आंटी'
ये लोगो का आंटी कहना
मेरे मन को चुभता है,
बन कर के नश्तर
इंग्लिश में 'आंट 'याने चींटी,
तो क्या मेरी हालत ,
हो गयी है चींटी से भी बदतर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


राहुल बाबा का चिंतन

        राहुल बाबा का  चिंतन

मम्मी  ने ये बोला था तू पी एम बनेगा,
     सब सर झुका के रहेंगे तेरे हुज़ूर में
किस्मत ने मगर खेल कुछ दिखलाया इस तरह,
      टपका जो आसमान से ,लटका खजूर में
जब तक छपरपलंग था ,बंदा मलंग था,
      लेकिन गए है इस कदर ,हालात अब बदल
करवट को बदलने की भी अब तो जगह नहीं,
      स्लीपर की साइड बर्थ है ,सोने को आजकल
बेहतर विदेश जाऊं मैं ,चिंतन के नाम पर ,
       मेरे  उबलते खून को ठंडक  तो  मिलेगी
मम्मा ,मुझे कांग्रेस का अध्यक्ष बनादो,
      आहत मेरे  इस दिल को कुछ राहत तो मिलेगी

घोंटू  

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

यूं बीत गया बस जन्मदिवस

         यूं  बीत गया बस जन्मदिवस

 हम ख़ुशी मनाते भूल गए ,घट गयी उमर है एक बरस
                                     यूं बीत गया बस जन्मदिवस
कुछ मित्र ,सगे और सम्बन्धी ,जतलाने आये हमें प्यार
कुछ पुष्पगुच्छ लेकर आये ,कुछ लेकर आये उपहार
कुछ 'व्हाटस एप 'सन्देश मिले ,मेसेज मिले  मोबाईल पर
लम्बी हो उम्र ,सुखी जीवन ,और खुशियां बरसे जीवन भर
फिर' केक' कटी,गाने गाये,और हुयी पार्टी,खान पान
यह चला सिलसिला बहुत देर,तन अलसाया ,आयी थकान
उपहार प्यार का हमें दिया ,पत्नी ने खुश हो  विहंस ,विहंस
सारा दिन गुजरा  मस्ती में ,अगले दिन से फिर जस के तस
                                       यूं बीत गया बस जन्म  दिवस

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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