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रविवार, 25 मई 2014

आज लेना ये शपथ है

 आज  लेना ये शपथ है
        नरेंद्र मोदी से
  आज लेना ये  शपथ है

हर ह्रदय में हर्ष होगा
हमारा उत्कर्ष होगा
विश्व में सिरमौर फिर से,
मेरा भारतवर्ष   होगा
आ गया  शुभ  मुहुरत है
आज लेना ये  शपथ है
कहीं कंकर,कहीं पत्थर, राह में बिखरे पड़े है
इधर देखो,उधर देखो ,झाड़ काँटों के खड़े है
तप रहा है गरम मौसम,है नहीं पर छाँव कोई
पथिक कुछ विश्राम करले,नहीं ऐसा ठाँव कोई
सभी कचरा बुहारोगे
साफ़ करके,संवारोगे
बड़ा दुर्गम ,कठिन पथ है
आज लेना ये  शपथ है
लोकतंत्री नामलेकर ,चल रही थी,राजशाही
रोज थी मंहगाई बढ़ती,हर तरफ थी त्राहि,त्राहि
घोटाले में लिप्त नेता ,लूटने में सब लगे  थे
जब भरी हुंकार तुमने, सभी में सपने जगे थे
तुम अन्धेरा मिटाओगे
तुम तरक्की  दिलाओगे
बड़ी तेजी से बढ़ेगा,
देश का यह प्रगति रथ है
आज लेना ये शपथ है
अपेक्षाएं बहुत जनता को लगी है,तोड़ना मत
बेईमानो,लूटखोरों को खुला तुम,छोड़ना मत
 हो सुशासन देश में और दिन सभी के अच्छे आये
आज सारा देश तुमसे ,है   यही   आशा  लगाये
अलख ऐसा जगाना है
जो कहा,कर दिखाना है
क्योंकि अब तो साथ तुम्हारे ,
सभी का बहुमत  है
आज लेना  ये शपथ है  

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सलाह

           सलाह
एक दिन हमारे मित्र  बड़े परेशान थे
क्या करें,क्या ना करें,शंशोपज में थे, हैरान थे
हमने उनसे कहा ,सलाह देनेवाले बहुत मिलेंगे,
मगर आप अपने को इस तरह साँचें में ढाल  दें
जो बात समझ में न आये ,उसे एक कान से सुनकर,
दूसरे कान से निकाल दें
आप सबकी सुनते रहें
मगर करें वही ,जो आपका दिल  कहे
लगता है उन्होंने मेरी बात पर अमल कर लिया है
मेरी सलाह को इस कान से सुन कर,
उस कान से निकाल दिया है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

दिल की बात

             दिल की बात

टुकड़े टुकड़े  हो गया है ,आपकी बे वफाई से ,
    मगर ये बावरा  दिल अब भी तुमसे प्यार करता है
फिर से जुड़ने की कोशिश में ,जब टकराते है सब टुकड़े ,
            तो जो आवाज होती है,समझते सब,धड़कता है 
घोटू

नेताजी का स्वप्नभग्न

              नेताजी का स्वप्नभग्न

सजा कर हमने रखी थी ,सिला कर पोषक नूतन
हमारे  भी दिन फिरेंगे ,बड़े  आशावान  थे  हम
क्या पता कब मिनिस्ट्री के लिए आ जाए बुलावा
मगर ये सब हो न पाया,सिर्फ मन का था छलावा
भीड़ चमचों की गयी छंट, इस तरह निष्क्रिय रह के
बिना कुर्सी के भला हम ,अब जिएंगे,किस तरह से

घोटू

अच्छे दिन आने लगे है

      अच्छे दिन आने लगे है

वो भी दिन थे ,जब दस जनपथ,
                      कहता सूर्य उगा करता था
जब बगुला भी राजहंस बन,
                     मोती सिर्फ चुगा करता था
'मौन'बना कुर्सी की शोभा ,
                      कठपुतली बन नाचा करता,
जब तक 'टोल टैक्स'ना भर दो,
                       सारा काम  रुका था करता  
चोरबाजारी ,बेईमानी ,
                          घोटालों की चल पहल थी 
 चमचे  और चाटुकारों की,
                           सभी तरफ होती हलचल थी
देखो मौसम बदल रहा है,
                        अब अच्छे दिन आने को है
प्रगतिशील,कर्मठ मोदी जी,
                          अब सरकार बनाने को है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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