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रविवार, 30 मार्च 2014

न्यूक्लियर फॅमिली


         न्यूक्लियर फॅमिली

मियां और बीबी दोनों आजकल ,इतना कमाते है
दिन भर काम करते ,रात तक हो  पस्त जाते है
नहीं हिम्मत किसी में कि पकाये गर्म वो खाना ,
गरम कर माइक्रो में फ्रीज़ का ,खाना वो खाते है
नहीं है चैन ना आराम इतने व्यस्त  रहते है ,
प्यार करने का बस दस्तूर वे केवल निभाते है
एक सन्डे ही मिलता है ,देर तक उठते है सो कर ,
किसी होटल में जाकर गर्म खाना ,मिल के खाते है
अगर बच्चा हुआ पैदा ,कौन, कैसे ,संभालेगा ,
इसलिए बच्चे के ही नाम से वो  घबरा जाते है
लगाई उनसे उम्मीदें थी उनके मम्मी पापा ने ,
मदर  और फादर डे पर ,कार्ड देकर के निभाते है
है 'घोटू' न्यूक्लीयर बम से खतरा सारी दुनिया को ,
मगर हम 'न्यूक्लीयर फॅमिली'को खतरा बताते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

प्यार का सबूत

          प्यार का सबूत

गए वो दिन कि अपना प्यार उनसे कितना दिखलाने ,
चीर कर सीना ,दिल में बसी है, तस्वीर  दिखलाओ
आजकल  प्यार दिखलाने का ,सीधा सा तरीका है ,
अपने मोबाइल पे 'वाल पेपर' उनका  लगवाओ

घोटू



घोटू

युग परिवर्तन

         युग परिवर्तन
हमें है याद बचपन में ,पिता से इतना डरते हम ,
कभी मुश्किल से उनके सामने भी सर उठाया था
और बच्चे  आजकल के हो गये है  स्मार्ट अब इतने ,
पूछते बाप से कि मम्मी को कैसे पटाया  था ?

घोटू

अबकी बार- मोदी सरकार

          अबकी बार- मोदी सरकार
  
आदमी आम जो कि बेचता था चाय बचपन में ,
                      हमारे देश का वो एक दिन पी एम  हो जाए
कभी सेना के जनरल थे,बने मंत्री  सुरक्षा के ,
                      हमारे देशकी सरहद पे अमन-ओ-चैन हो जाए
विदेशों में जमा पैसा ,हमारा लौट कर अाये ,
                      तरक्की देश की हो फले फूलें,सभी मुस्काये
घटे मंहगाई ,चीजें सस्ती हो,सबको मुहैया हो,
                       बंद हो रिश्वतखोरी और करप्शन बेन हो जाये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'       

शनिवार, 29 मार्च 2014

तीन चतुष्पदियाँ

         तीन  चतुष्पदियाँ
                   १
                 बीमा
अपने संतानों के खातिर ,सोचते  है कितना  हम
मर के भी उनके लिए , कुछ न कुछ कर जाएँ हम 
काट कर  के पेट अपना ,भरते बीमा  प्रीमियम
मिलेगा बच्चों को पैसा ,जब हमें ले जाए   यम
                              २
                      फल
जिंदगी अपनी लुटाते है  हम जिनकी चाह मे
जीते जी, पर  बुढ़ापे में , पूछते  ना   वो   हमें
सोचते ये देख मुझको,आम्र के तरु  ने कहा ,
बोया तुम्हारे पिता ने , दे रहा हूँ , फल तुम्हे
                              ३
                      दान पुण्य
बोला पंडित ,दान करले ,काम ये ही आयेगा
मरने पर इस पुण्य से ही,मोक्ष को तू पायेगा
मैंने  सोचा जन्म अगला,मेरा सुधरे या नहीं ,
दान पाकर,जन्म पंडित का सुधर ,पर ,जाएगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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