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सोमवार, 16 जुलाई 2012

मेरे दिल का मकां खाली

मेरे दिल का मकां खाली

घुमड़ कर छातें है बादल,पर बरसते हैं नहीं

आप खुश तो नज़र आते,मगर हँसते है नहीं
खामखाँ ही आशियाना,ढूँढने को  भटकते ,
मेरे दिल का मकां  खाली ,इसमें बसते हैं नहीं
पड़े तनहा बिस्तरे पर ,रहते हैं तकिया लिए,
हमें तकिया समझ बाँहों में यूं  कसते है  नहीं
करते रहते खुद से बातें,आईने के सामने,
मुस्करा ,दो घडी ,बातें,हमसे करते है नहीं
बेपनाह इस हुस्न को लेकर न यूं इतराइये,
इश्क के बिन हुस्न वाले,भी उबरते है नहीं
करने इजहारे मुहब्बत,आपके दर आयेंगे,
हम वो आशिक ,जो किसी से,कभी डरते है नहीं
क्या कभी देखा है तुमने,जिनके दिल हो धधकते,
वो हमारी तरह ठंडी आहें भरते है   नहीं
आपकी इस बेरुखी ने,कितना तडफाया हमें,
खुद भी तड़फे होगे क्या ये ,हम समझते हैं नहीं

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

क्या जरूरी गाय घर में पालना?

    क्या जरूरी गाय घर में पालना?

क्या जरूरी गाय घर में पालना,

                      दूध मिलता है बहुत बाज़ार में
क्यों उठायें सेकड़ों हम जहमतें,
                      दूध पाने के लिए    बेकार में
चंद महीने दूध देती गाय  है,
                        कुछ दिनों के बाद होती ड्राय है
साथ में बछड़ा पड़ेगा पालना,
                        दूध पीने का  अगर जो   चाव है
दूध देती गाय मारे लात भी,
                         दूध के  संग  लात भी तो खाइये
मार  से बचना अगर है आपको,
                        प्यार से पुचकारिये, सहलाइये
 घास भी सूखी,हरी चरवाईये ,
                        दाना,पानी,खली ,बंटा दीजिये
बांध कर रखिये,न तो भग जायेगी,
                        सौ तरह की मुश्किलें सर लीजिये
सींगों से भी बचना होगा संभल कर,
                          बहुत पैनापन है  इनकी  मार में
क्या जरूरी गाय घर में पालना,
                          दूध मिलता है बहुत   बाज़ार में

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

   
 

रविवार, 15 जुलाई 2012

सत्ता का खेल

         सत्ता का खेल

मेरे मोहल्ले में,

कुछ कुत्तों ने,
 अपना कब्ज़ा जमा रखा है
जब भी किसी दूसरे मोहल्ले से,
कोई कुत्ता हमारे मोहल्ले में ,
घुसने की जुर्रत करता है,
ये कुत्ते ,भोंक भोंक कर,
उसके पीछे पड़,उसे खदेड़ देते है
पर जब ,हमारे ही मोहल्ले की,
तीसरी या चौथी मंजिल की गेलरी से,
कोई पालतू कुत्ता भोंकता है,
ये कुत्ते ,सामूहिक रूप से,
गर्दन उठा,उसकी तरफ देख,
कुछ देर तक तो भोंकते रहते है,
पर अंत में,बेबस से बोखलाए हुए,
उस घर के  नीचे की दीवार पर,
एक टांग उठा कर,
मूत कर चले जाते है
अपनी एक छत्र सत्ता को ऐसे ही चलाते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'



शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

मुस्कराना सीख लो

         मुस्कराना सीख लो

जिंदगी में हर ख़ुशी मिल जायेगी,

                        आप थोडा  मुस्कराना  सीख लो
रूठ जाना तो बहुत आसन है,
                      जरा रूठों  को मनाना   सीख लो
जिंदगी  है चार दिन की चांदनी,
                       ढूंढना    अपना ठिकाना  सीख लो
अँधेरे में रास्ते मिल जायेंगे,
                      बस जरा  अटकल लगाना  सीख लो
विफलताएं सिखाती है बहुत कुछ,
                    ठोकरों से  सीख पाना,    सीख लो
सफलता मिल जाये इतराओ नहीं,
                     सफलता को तुम पचाना  सीख लो
कौन जाने ,नज़र कब,किसकी लगे,
                     नम्रता सबको दिखाना सीख लो
बुजुर्गों के पाँव में ही स्वर्ग है,
                     करो सेवा,मेवा पाना सीख लो
सैकड़ों आशिषें हैं बिखरी पड़ी,
                    जरा झुक कर ,तुम उठाना सीख  लो
जिंदगी एक नियामत बन जायेगी,
                    बस सभी का  प्यार पाना  सीख लो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'



पति -दो दृष्टिकोण

         पति -दो दृष्टिकोण
      1
पति वो प्राणी है,
जो नहीं होता बीबी का नौकर
क्योंकि नौकर,
कब रहा है किसी का होकर
जरा सी ज्यादा पगार मिली,
दूसरे   का हो जाता है
पति तो प्रेम में अभिभूत,
वो शरीफ बंदा है,
जो उमर भर ,
बीबी के हुकुम बजाता है
          २
भगवान वो शक्ति है
जो इस संसार को चलाये रखती है
हम सबको है इस बात का ज्ञान
कि भावनाओं के भूखे है भगवान
हम भगवान को प्रसाद चढाते है
नाम उनका होता है पर खुद खाते है
वो मिटटी का माधो सा,मूर्ती बना,
 बिराजमान रहता है मंदिर के अन्दर
और सभी काम होते है,
उसका नाम लेकर
पति कि गती भी,
ऐसी ही होती है अक्सर
वो भी मूर्ती बना ,
चुपचाप रहता है घर के अन्दर
और उसकी पत्नी,पुजारन बनी,
उसका नाम लेकर ,
घर  का सब काम काज संभालती है
ठीक हो तो यश खुद लेती है,
गलत हो तो जिम्मेदारी उस पर डालती है
और पति मौन,
सब कुछ सहता जाता है
फिर भी मुस्कराता है
इसीलिये पति को परमेश्वर कहा जाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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