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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

घाट-घाट पर घूम, आज घाटी को-

घाट-घाट पर घूम, आज घाटी को माँगें ||



टांगें  टूटी  गधे  की ,  धोबी   देता   छोड़ |
बच्चे   पत्थर  मारके,   देते  माथा  फोड़ |


 


 देते माथा  फोड़,   रेंकता  खा  के  चाटा |
 मांगे जनमत आज, गधों हित धोबी-घाटा |


घाट-घाट पर घूम,  मुआँ  घाटी को माँगें |
चले चाल अब टेढ़ ,  तोड़  दे  चारों  टांगें ||

ड़ी दलीलें  तुम रखो,  उधर है  डंडा  फ़क्त ||

वाणी पुन्नू  की  प्रबल,  अन्नू  का  उपवास | 
चित्तू  का  डंडा  सबल,  दिग्गू  का  उपहास |

लोकपाल  मुद्दा  बड़ा,  जनता  तेरे  साथ |
काश्मीर का मामला, जला रहा क्यूँ  हाथ ?

कालेधन  से  है  बड़ा, माता  का  सम्मान |
वैसी भाषा  बोल मत,  जैसी  पाकिस्तान ||

झन्नाया था गाल  जब,  तू   तेरा  स्टाफ |
उस बन्दे को कूटते,  हमें  दिखे  थे साफ़ ||

सड़को पर जब आ गया, सेना का सैलाब |
तेरे  बन्दे  पिट गए,  कल  से  थे  बेताब  |

करना यह दावा नहीं,  हो  गांधी  के भक्त |
बड़ी दलीलें  तुम रखो,  उधर है  डंडा  फ़क्त ||

वैसे  दूजे  पक्ष  को,  मत  कर  नजरन्दाज |
त्रस्त बड़ी सरकार थी,  मस्त  हो रही आज ||

पहले  पीटा  फिर  पिटा,  चले   कैमरे  ठीक  |
होती  शूटिंग सड़क  पे, नियत लगे  ना  नीक ||

घूँस - युद्ध  की  नायकी,  घाटी  में  यूँ  डूब |
घूँसा जबड़े  पर  पड़ा,   देत   दलीलें   खूब ||

रही व्यक्तिगत सोच, चला कश्मीर छेंकने |

लगा रेकने जब कभी, गधा बेसुरा राग |
बहुतों ने बम-बम करी, बैसाखी में फाग |

बैसाखी में फाग, घास समझा सब खाया |
गलत सोच से खूब, सकल परिवार मुटाया |

रही व्यक्तिगत सोच, चला कश्मीर छेंकने |
ढेंचू - ढेंचू  रोज, लगा  बे-वक्त  रेंकने ||

एक चिठ्ठी -मनमोहन सिंह जी के नाम

एक चिठ्ठी -मनमोहन सिंह जी के नाम
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आदरणीय मनमोहन सिंह जी,
सादर प्रणाम
(राम राम नहीं करूँगा ,
वर्ना आप मुझे बी जे पी का समझ लेंगे
और ये चिठ्ठी दिग्विजय सिंह को दे देंगे)
दशहरे के दिन आपको टी वी पर देखा,
रामलीला मैदान में
हाँ,उसी राम लीला मैदान में,
जहाँ आपकी सेना ने,
युद्ध के सारे नियमो का अवलंघन कर,
रात के दो बजे,
लाठी चार्ज किया था,
सोती हुई महिलाओं और साधू संतो पर
आपने मंचासीन होकर,
सोनिया जी के साथ में
धनुष बाण लेकर हाथ में
कागज के पुतले रावण पर तीर चलाया
हर साल की प्रक्रिया को दोहराया
जैसे हर साल आप पंद्रह अगस्त पर,
लाल किले पर भाषण देते हुए,
अपनी मृदुल वाणी में बतलाते है
की मंहगाई घटा देंगे
भ्रष्टाचार मिटा देंगे
पर ये दोनों बढ़ते ही जाते है
आप कुछ नहीं कर पाते है
और इसे गठबंधन की मजबूरी बताते है
वैसे ही दशहरे के दिन तीर चलाने से,
भ्रष्टाचार का रावण नहीं मर पायेगा
आपका तीर खाने को बार बार,
हर साल दशहरे को आएगा
क्योंकि उसकी महिमा प्रचंड है
आप लोगों की कृपा से,
उसकी नाभि में ,अमृत कुंड है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

रोटी मिलेगी

रोटी मिलेगी
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राहुल गांधीजी ,
आप किसी गरीब के घर जाते हो
दरवाजा खटखटाते हो
और मांगते हो ,रोटी मिलेगी
और वो गरीब परिवार
खुश होकर अपार
आपको  आलू की सब्जी पूरी खिलाता है
और धन्य हो जाता है
अगर वो ही गरीब परिवार
भूख से बेहाल
आपके घर आये
और गुहार लगाये
रोटी मिलेगी
तो सबसे पहले,
उसे आपकी सिक्युरिटी मिलेगी
फिर पोलिस वालों के  डंडे, तलाशी
थाने में इन्क्वायरी अच्छी खासी
 सुनने को बहुत खरी खोटी मिलेगी
हाँ,लोकअप में शायद,
खाने को जेल की रोटी मिलेगी

मदन मोहन  बाहेती 'घोटू'

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

महारास

आज छिटकी चांदनी है
मिलन की मधु यामिनी है
पूर्ण विकसा चन्द्रमा है
यह शरद की पूर्णिमा है
आओ आकर  पास हम तुम
रचायें महारास ,हम तुम
राधिका सी सजो सुन्दर
मै तुम्हारा कृष्ण बन कर
बांसुरी पर तान छेड़ूं
मिलन का मधुगान छेड़ूं
रूपसी तुम मदभरी सी
व्योम से उतरी परी सी
थिरकती सी पास आओ
बांह में मेरी समाओ
प्यार में खुद को भिगो कर
दीवाने मदहोश होकर
रात भर हों साथ हम तुम
रचायें महारास  हम तुम
चाँद सा आनन तुम्हारा
और नभ में चाँद प्यारा
मंद शीतल सा पवन हो
चमकता नीला गगन हो
हम दीवाने मस्त नाचें
लगे चलने गर्म साँसें
भले सब श्रिंगार बिखरे
मोतियों का  हार बिखरे
जाय कुम्हला ,फूल ,गजरा
आँख से बह चले  कजरा
तन भरे उन्माद हम तुम
रचायें महारास हम तुम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

धोके बाजी 

क्या धोका देना ,किसी को परेशान करना ,झूठ बोलना .किसी की सरलता का फायदा उठाकर अपने को चतुर और दूसरे को बेवकूफ समझना ये हम इंसानों की फितरत है /और इससे  हम किसका भला कर रहे हैं /कुछ लोग इस तरह की हरकतें करते हैं और इस कारण सही जरुरत मंद इंसान की मदद करने में भी लोग विस्वास नहीं करते/
कुछ लोग बीमारी का बहाना बनाते हैं और लोगों की सहानुभूति क फायदा उठाते है परन्तु जब उनकी असलियत  का पता चलता है तो लोगों का विस्वास खो देते हैं /और फिर जो ब्यक्ति सच में बीमार होता है परन्तु धोका खाने के बाद लोग उसकी भी मदद करने में हिचकिचाते हैं /किसी की मदद करके उसको घर में काम करने के लिए रखो की चलो गरीब आदमी का भला हो जाएगा /परन्तु जब वो ही गरीब आदमी घर से चोरी करके या घर के लोगों को शारीरिक नुक्सान पहुंचाकर फरार हो जाता है /तो और गरीब की मदद करने के लिए इंसान फिर विस्वास नहीं कर पाता है /इसी  प्रकार  साधु सन्यासी के भेष में आकर लोगों को बेबकूफ बनाकर लूटने की घटना आये दिन होती रहती है तो इस कारण अब साधु सन्यासीओं पर कोई विस्वास नहीं करता /   
सड़क पर कई बार लोग दुर्घटना का नाटक कर कर लेट जाते हैं और गाडी वाला कोई भला आदमी गाडी रोककर उसकी मदद करने के लिए रूकता है तो उसके गैंग  के आदमी आकर उसको लूट लेते हैं और वो भला आदमी अच्छे काम के चक्कर में अपने धन के साथ साथ कई बार शारीरिक नुकशान सहने के लिए भी मजबूर हो जाता है /इस कारण अब सच में हुई दुर्घटना के कारण पड़े हुए आदमी को देखकर भी लोग अपनी गाडी नहीं रोकते की पता नहीं सच है की झूठ /जिस कारण कई बार समय पर इलाज नहीं होने के कारण घायल इंसान की जान भी चली जाती है / हमारी कानून ब्यवस्था भी ऐसी है की मदद करने वाला चाह कर भी इन सब झमेलों के कारण मदद नहीं कर पाता /फिर लोग इंसानियत की दुहाई देते हैं की लोगों में इंसानियत नहीं बची //
बीमारी का बहाना करके लोग मदद मांगते हैं /परन्तु जब मदद करनेवाले को ये पता लगता है की वो झूठ बोल रहा है उसे कोई बीमारी नहीं हैं वो तो धोका दे गया है /तो जो सही में बीमार है उसकी मदद करने में भी लोग हिचकचाते हैं की पता नहीं ये सच कह भी रहा है या नहीं /
ऐसे कई उदहारण मिल जायेंगे की अपने स्वार्थ और लालची प्रवृति के कारण इंसान इंसान को धोका दे रहा है .बेईमानी कर रहा है/परन्तु कुछ लोगों के ऐसा करने के कारण इंसान का इंसान से विस्वास उठ रहा है /लोग किसी की मदद करने में .भलाई करने में डरने लगे हैं /अच्छे लोग भी बुरे बनने लगे हैं /इसीलिए दुनिया में अच्छाई कम होने लगी है और बुराई बढ़ने लगी है /    
हमे अपनी सोच बदलने की जरूरत है /बदमाशी ,बेईमानी की जगह मेहनत करके पैसे कमाने की इच्छा रखना चाहिए /   कुछ लोगों की ऐसी हरकतों के कारण आज इंसान अपनों पर भी विस्वास करने में हिचकचाने लगा है /अगर इंसान ये समझ जाए तो इस दुनिया से काफी बुराई कम हो जायेगी /
इंसान इंसान से डरने लगा है 
एक दूसरे पर विस्वास कम करने लगा है 
अपनी बुरी प्रवृतियो को हमने नहीं बदला 
तो इस दुनिया में रहना मुश्किल होने लगा है  
  

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