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मंगलवार, 13 सितंबर 2011

अजगर जीता सौ बरस, घोडा बाइस-बीस


घोडा  चाबै  घास-तृण, अजगर  लीलै जीव,
ढाई  घर  ये  नापता,  वो   लागै   निर्जीव |



वो  लागै निर्जीव, सरिस सरकारी अफसर,
करता घंटा काम, खाय पर सबकुछ भरकर |


कर उद्यम-सुविचार, जिओ चाहे कुछ थोडा, 
अजगर सा पर नहीं, जिओ रे बनकर घोडा||


Vespucci Quarter Horse Fancy Raised Bridle



 Indian Python Snake: Indian Python Snake: Indian Python Snake: Indian ... 
कुंडली की पूंछ --
अजगर जीता सौ बरस, घोडा बाइस-बीस |
घोडा हरदम बीस है,  अजगर है उन्नीस ||

राष्ट्रभाषा हिंदी



हिंदी बस एक मात्र नहीं यह मातृभाषा है;
गर्व है मुझको हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा  है |

बिन निज भाषा उन्नति के, राष्ट्र का विकास नहीं;
परदेशी भाषा के बल पे, हो सकता कुछ खाश नहीं |

राष्ट्रभाषा जब हिंदी है, फिर अंग्रेजियत छोड़ दो;
हिन्दुस्तान में रहते हो, तो दोहरी नियत छोड़ दो |

हिंदी को अधिकार मिले, हर कोने में प्रयोग हो,
संसद में, हर राज्यों में, परदेश में भी उपयोग हो |

हिंदी जन-जन की भाषा, जन-जन तक इसका प्रचार हो;
भारत के हर क्षेत्र में पहुंचे, ऐसे नेक विचार हो |

भारत का हर एक वासी, हिंदी का सम्मान करे;
हर कोई सीखे, हर कोई बोले, नहीं कोई अपमान करे |

हिंदी को बना भारत की बिंदी, इसे सर्वत्र चमकाना है;
हर निजी, सरकारी काज में, हिंदी ही अपनाना है |

बुरा नहीं हर भाषा जानो, पर हिंदी ही सर्वोपरि हो;
हो ज्ञान भले हर भाषा का, पर निज भाषा सर्वोपरि हो |
स्पर्श: अस्तित्व की तलास: दुनिया में रह मुझे उन तमाम हस्तियों को पहचानना ही पड़ा | हर नए सफ़र की मुश्किलों क...

रविवार, 11 सितंबर 2011

लेता देता हुआ तिहाड़ी, पर सरकार बचा ले कोई ||


माननीय प्रतुल वशिष्ठ जी
की महती कृपा !!
उनका विश्लेषण भी पढ़ें |

आलू   यहाँ   उबाले   कोई  |
बना  पराठा  खा  ले  कोई ||
आलू उबाला तो जनता ने था... लेकिन पराठा नेताजी खा रहे हैं.


तोला-तोला ताक तोलते,
सोणी  देख  भगा  ले कोई |
मौके की तलाश में रहते हैं कुछ लोग ...
जिस 'सुकन्या' ने विश्वास किया ..
उस विश्वास के साथ 'राउल' ने घात किया.


 
जला दूध का छाछ फूंकता
छाछे जीभ जला ले कोई |
हमने कांग्रेस को फिर-फिर मौक़ा देकर अपने पाँव कुल्हाड़ी दे मारी...
हे महाकवि कालिदास हमने आपसे कुछ न सीखा!


जमा शौक से  करे खजाना 
आकर  उसे  चुरा ले कोई ||
काला धन जमा करने वाले इस बात को समझ नहीं रहे कि
विदेशी चोरों को जरूरत नहीं रही चुराने की... अब वे घर के मुखियाओं को मूर्ख बनाना जान गये हैं... धन की बढ़ती और सुरक्षा की भरपूर गारंटी देकर वे उस घन का प्रयोग करते हैं... शास्त्र कहता है 'धन का उपयोग उसके प्रयोग होने में है न कि जमा होने में.'


लेता  देता  हुआ  तिहाड़ी
पर सरकार बचा ले कोई ||
लेने वाले और देने वाले दोनों तिहाड़ में पहुँचे ...
लेकिन उनके प्रायोजकों पर फिलहाल कोई असर नहीं... यदि कुछ शरम बची होगी तो शर्मिंदगी जरूर होती होगी... जो कर्म दोषी करार हुआ उसका फ़ल (सरकार का बचना) कैसे दोषमुक्त माना जाये?
... वर्तमान सरकार पर जबरदस्त जुर्माना होना चाहिए और इन सभी मंत्रीवेश में छिपे गद्दारों को कसाब के साथ काल कोठारी बंद करना चाहिए... ये सब के सब उसी पंगत में खड़े किये जाने योग्य हैं.

"रविकर" कलम घसीटे नियमित
आजा  प्यारे  गा  ले  कोई ||
रविकर जी, आपको लगता होगा कि आप कलम यूँ ही घसीट रहे हैं...
हम जानते हैं कि ये जाया नहीं जायेगा.... आपका श्रम आपकी साधना फलदायी अवश्य होगी.
दिनकर जी पंक्तियों में कहता हूँ :
कुछ पता नहीं, हम कौन बीज बोते हैं.
है कौन स्वप्न, हम जिसे यहाँ ढोते हैं.
पर, हाँ वसुधा दानी है, नहीं कृपण है.
देता मनुष्य जब भी उसको जल-कण है.
यह दान वृथा वह कभी नहीं लेती है.
बदले में कोई डूब हमें देती है.
पर, हमने तो सींचा है उसे लहू से,
चढ़ती उमंग को कलियों की खुशबू से.
क्या यह अपूर्व बलिदान पचा वह लेगी?
उद्दाम राष्ट्र क्या हमें नहीं वह देगी?

ना यह अकाण्ड दुष्कांड नहीं होने का
यह जगा देश अब और नहीं सोने का
जब तक भीतर की गाँस नहीं कढ़ती है
श्री नहीं पुनः भारत-मुख पर चढती है
कैसे स्वदेश की रूह चैन पायेगी?
किस नर-नारी को भला नींद आयेगी?...

 क्लिक --अमर दोहे

हिंदी-अंग्रेजी



पंडित देशीलाल से,मिले विदेशी  चंद
हिंदी इंग्लिश के लिए,शुरू हो गया द्वन्द
शुरू हो गया द्वन्द,आई बातों में तेजी
देशी बोले छात्र बिगड़ते पढ़ अंग्रेजी
बचपन से ही जानवरों के नाम पढ़ाते
तो बच्चों में संस्कार पशुओं के आते

अंग्रेजी की प्राइमर,चिड़िया खाना एक
A से होता 'एस' है,C से होती 'केट '
C से होती केट,'डोग' होता है D से
F 'फोक्स'G 'गोट',H ,मतलब मुर्गी से
घोटू O  से 'ओक्स'और P से 'पिग' सूअर
R 'रेट' और Z 'जेब्रा',सभी जानवर
3
बात विदेशीचंद ने,सुनी लगाकर ध्यान
 'क्लीन शेव्ड 'से फेस पर,फ़ैल गयी मुस्कान
फ़ैल गयी मुस्कान,कहा यदि यही सचाई
तो जो आज देश में बड़ी भुखमरी छाई
उसका कारण है बच्चे हिंदी पढ़ते है
पढ़ते कम है,खाने पर ज्यादा मरते है

बच्चा जब चालू करे,अपना अक्षर ज्ञान
अ से पढ़े 'अनार'वो,आ से होता 'आम'
आ से होता आम,'ईख 'ई ,इ से 'इमली
और अं से 'अंगूर ,'ककड़ीयां' क से पतली
ख से 'खरबूजा'खाने को जी चाहेगा
खाक पढ़ेगा बच्चा,पेटू हो जाएगा

रचनाकार: मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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