इस हाथ देना -उस हाथ लेना
हम गाय को घास डालते है ,
ये सोच कर कि दूध मिलेगा
शादी में बहू को गहने चढाते है,
इस उम्मीद से कि वंश बढेगा
बीबी की हर बात मानते है ,
क्योंकि उससे प्यार है पाना
कुछ पाने की आशा में ,कुछ चढ़ाना ,
ये तो है चलन पुराना
अब आप इसे रिश्वत कह दो ,
या दे दो कोई भी नाम
पर ये तो इन्वेस्मेंट है ,
जिससे हो जाते है बड़े बड़े काम
जब हम मंदिर में चढ़ावा चढाते है ,
या कोई दान करते है
भगवान् हमें कई गुना देगा,
ये अरमान रखते है
और काम हो जाने पर,
भगवान को परसाद चढाते है
भगवान को दो प़ेडे,
और बाकी प्रशाद खुद खाते है
जिस मंदिर में मनोकामना पूर्ण होती है ,
वहीँ पर लोग उमड़ते है
सब इन्वेस्टर है,जहाँ अच्छा रिटर्न है,
वहीँ इन्वेस्ट करते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'