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रविवार, 11 अक्टूबर 2020

निमंत्रण और नियंत्रण की फाइटिंग -डाइटिंग

जब दो प्रेमी होते है दूर दूर
मिल न पाने को मजबूर
तब उन्हें काटता है विछोह का कीड़ा
और होने लगती है विरह की पीड़ा
पर इससे भी ज्यादा कठिन
होता है विरह का वो सीन
जब आपकी प्रेमिका हो आपके सामने
आप लगते है दिल थामने
क्योंकि आप उसे देखने को तो स्वच्छंद है
पर छूने या मिलने पर प्रतिबंध है
जी हाँ ,आजकल मैं भी ऐसे ही दौर से गुजर रहा हूँ
क्योंकि वजन घटाने के लिए डाइटिंग कर रहा हूँ
रस भरी कढ़ाई में करते हुए किलोल
गुलाबी ,सुन्दर और गोल गोल
गुलाबजामुन देख कर लार तो टपकाता हूँ
पर उन्हें छू  नहीं पाता  हूँ
स्वर्णिम आभा लिये रसीली
दुबली पतली और छरहरी
अलबेली स्वाद की देवी
मेरी परमप्रिया जलेबी
गरम गरम तन की ऊष्मा लिए
 पूरे सोलह श्रृंगार किये
जब देती है प्यार का आमंत्रण
तो मुझे रखना पड़ता है खुद पर नियंत्रण
क्योंकि वो मेरी सच्ची चाह है
पर आजकल उसे छूना गुनाह है
अब आप ही बताओ ,मुझ पर क्या गुजरती होगी
जब प्यास तो जगती होगी पर भूख मरती होगी
मुझे ललचाते तो है गरम गरम समोसे
पर मैं ठंडी आह भरता हूँ ,मन मसोसे
तरह तरह के पकवानो की खुशबू और रंग
करते रहते है मुझे बहुत तंग
एक तरफ मेरा स्वनियंत्रित कायाकल्प
करके सुडोल होने का संकल्प
और दूसरी तरफ चटोरी जिव्हा का स्वाद
करने लगते है आपस में विवाद
जो बार बार ,एक दूसरे पर हावी नजर आता  है
और मुझे तरसा तरसा कर तड़फाता है
बिचारा नीचे वाला होठ ,ऊपर वाले होठ को चूम कर
संतोष करता है झूम कर
क्योंकि आजकल तो चुंबन के लाले पड़े है
और हम भारी दिल से ,हल्का होने के लिए ,
डाइटिंग की जिद पर अड़े है
कारण  श्रीमती जी को लगता है ,हमारा वजन भारी है
और बस ये ही डाइटन्ग की वजह सारी है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

शनिवार, 10 अक्टूबर 2020

जब से तुझसे नज़र लड़ गयी

जबसे तुझसे नज़र लड़ गयी
मचल उठा ये मन उन्मादी
पहले प्यार हुआ फिर शादी
तेरे साथ चोंचलों में ही ,
मैंने सारी उमर बिता दी
तेरे साथ साथ रहने की ,
ऐसी आदत मुझे पड़ गयी
जब से तुझसे नज़र लड़ गयी

सांझ सवेरे, पल पल क्षण क्षण
तेरे ख्यालों में खोया मन
ऐसा तूने अपने रंग में ,
मुझे रंग लिया ,ऐ रंगरेजन
मेरे दिल का चैन खो गया , ,
अब तो बात इस कदर बढ़ गयी
जब से तुझसे  नज़र लड़ गयी

कभी ख़ुशी है और कभी गम
हरदम प्यार  हमारा  कायम
तेरा साथ नहीं छोड़ूगा ,
जब तक है मेरे दम में दम
निकल सके ना अब तू दिल से ,
तू दिल में तिरछी हो अड़ गयी
जब से तुझसे नजर  लड़ गयी

घोटू 

शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2020

बुढ़ापा आने का अहसास

घट रही उमर सांस दर सांस
जवानी  जाने का अहसास
बुढ़ापा आता दिखता पास
दुखी मन रहता बड़ा उदास

उमर भर करता है जुट काम
मेहनत  कर, पिसता  इंसान
जमा होते जब तक कुछ दाम
सिमटने लगते सब अरमान

दगा जब देने लगे उमंग
जोश भी तजे तुम्हारा संग
बदल जाये जीने का ढंग
पुरानी याद करे आ तंग

चहकनेवाला मन, ग़मगीन
लिया है चैन किसी  ने छीन
दिनबदिन बदन हो रहा क्षीण  
गए वो दिन ,जो थे रंगीन

बिमारी कई हमें तड़फाय
नहीं हम कर पाते एन्जॉय
वक़्त की ऐसी लगती हाय
आदमी हो जाता असहाय

नहीं मस्ती ना कोई मौज
अभी भी मन में है संकोच
पुरानी दकियानूसी  सोच
जिंदगी लगने लगती बोझ

छूटती ना माया ,ना मोह
जिंदगी का आता अवरोह
सदा मन में ये उहापोह
सभी से होगा शीध्र विछोह

देखते रहो दिनों का फेर
लिया है चिंताओं ने घेर
मनाओगे तुम कब तक खैर
कब्र में लटक रहे है पैर

अभी तो  मियां बीबी साथ
कर लिया करते दिल की बात
किसी ने छोड़ दिया जो हाथ
बुरे होंगे कितने हालात

सोच ये काँपे हृदय उदास
कोई भी नहीं रहेगा पास
डसेगा तन्हाई का त्रास
ख़ुशी पर ग्रहण लगे खग्रास

इसलिए  मन कहता ,हँसबोल
हृदय की सभी ग्रंथियां खोल
बचा जो समय ,बहुत अनमोल
 मस्तियाँ  कर ले ,हंसी ,किलोल  

बात तू अपने दिल की मान
पूर्ण कर ले सारे अरमान
बचे है जब तक तन में प्राण
लूट ले ,जग की ख़ुशी तमाम

हरेक क्षण ,बचा जो तेरे पास
बिता संग हर्ष और उल्लास
मिटा ले मन की सभी भड़ास
बुढ़ापा समझ सुखद वनवास

खिले पुष्पों की मधुर सुवास
पंछियों का कलरव है पास
कभी है रिमझिम तो मधुमास
बुढ़ापा तुझे आएगा रास  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

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गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

कोरोना का उधम

 कोरोना वाइरस ,करे उधम
कर रखा नाक में सबकी दम  

ये कई रंग दिखलाये हमे
ये तरह तरह से सताये हमें
कभी खांसी कभी जुकाम करे
ये सबकी नींद हराम करे
ये सांस सांस में तंग करे
कभी खुशबू आना बंद करे
कभी ये बुखार में तड़फाये
कभी ऑक्सीजन को तरसाये
ये तरह तरह के ढाये सितम
कर रखा नाक में सबकी दम

इससे बचने की मजबूरी
तुम रखो बना सबसे दूरी
मुंह और नाक पर मास्क रखो
सेनेटाइजर ,सब पर छिड़को
मत 'हैंड शेक 'का करो 'ट्राय '
दूरी से नमस्ते ,बाय  बाय
जहाँ भीड़भाड़ हो जाना नहीं
बाहर का खाना ,खाना नहीं
घर में घुस ,बैठे रहो हरदम
कर रखा नाक में सबकी दम

बंद मनना अब सब त्योंहार
ना शादी ब्याह में भीड़भाड़
बंद है बाजार ,दुकाने सब
होटल सारे ,मयख़ाने सब
अब झाड़ू पोंछा ,सब घर का
खुद करना ,काम न नौकर का
ऑफिस का काम करो घर से
ना  निकलो ,कोरोना  डर  से
ये अब जल्दी न सकेगा थम
कर रखा नाक में सबकी दम

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

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