कभी साबुन की बट्टी था, भरा खुशबू से जीवट मैं
घिसा तुमको सजाने में ,रह गया एक चीपट मै
काम आऊंगा मैं अंत तक, रखोगे चिपका जो मुझको,
अकेला छोड़ा तो गल कर, निपट जाऊंगा झटपट मैं
जिंदगी का सफर
1
हमारी जिंदगानी में मुसीबत आनी जितनी है
न तेरी है ना मेरी है, हमारी है वो अपनी है
हमें मिलजुल के करना सामना है उनसे लड़ना है,
तभी यह जिंदगानी शान से अपनी गुजरनी है
2
कठिन पथ जिंदगी का है हमें जिससे गुजरना है
मिला कर कंधे से कंधा ,हमेशा साथ चलना है
ना तो मतभेद हो कोई,नहीं मनभेद हो कोई,
बदल कर एक दूजे को, एक सांचे में ढलना है
3
तभी हम काट पाएंगे,विकट जीवन, कठिन पथ को
रहेंगे जो सभी से मिल, बना रखेंगे इज्जत को
किसी की भावना को,ठेस ना पहुंचाएंगे हम ,
लगेगी ना नजर कोई की अपनी इस मोहब्बत को
मदन मोहन बाहेती घोटू