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बुधवार, 29 मार्च 2023

इस बढी उम्र में वृद्ध लोग इस तरह गुजारा करते हैं 
मित्रों के संग बैठ मंडली में, वो गपशप मारा करते हैं 
कुछ जैसे तैसे भी कटता ,वैसे ही वक्त काटते हैं 
कुछ सुबह चाय के प्याले संग, पूरा अखबार चाटते हैं 
कुछ सुबह-शाम घूमा करते, रखते सेहत का ख्याल बहुत 
कुछ त्रस्त बहू और बेटों से ,घर में रहते बेहाल बहुत 
कुछ पोते पोती को लेकर, उनको झूला झुलवाते हैं 
कुछ रोज शाम झोला भरकर, सब्जी और फल ले आते हैं
कुछ मंदिर जाते सुबह शाम, और भजन कीर्तन करते हैं 
कुछ टीवी से चिपके रहकर ही जीवन व्यापन करते हैं 
कुछ हाथों मोबाइल रहता, जो नहीं छूटता है पल भर 
कुछ आलस मारे दिन भर ही ,लेटे रहते हैं बिस्तर पर 
कुछ करते याद जवानी के बीते दिन, खोते ख्वाबों में 
कुछ होते भावुक और दुखी , खो जाते हैं जज्बातों में 
कुछ उम्र जनित पीड़ाओं से, हरदम रहते हैं परेशान 
कुछ लोगों को देते प्रवचन और बांटा करते सदा ज्ञान 
कुछ तीरथ मंदिर धर्मस्थल जा, दर्शन लाभ लिया करते 
कुछ पर्वों में ,मेलों में जा, गंगा स्नान किया करते 
कुछ कथा भागवत सुनते हैं और अपना पुण्य बढ़ाते हैं 
कुछ करते हैं प्रसाद ग्रहण और भंडारॉ में खाते हैं 
कुछ की खो जाती याददाश्त जाते लोगों के भूल नाम 
 कुछ सेहत को रखने कायम, टॉनिक लेते हैं सुबह शाम 
 कुछ बैठे रखते है हिसाब ,अपनी जोड़ी सब दौलत का 
 कुछ प्राणायाम योग करते और ख्याल रखें निज सेहत का 
 होती है उमर विरक्ति की,पर कुछ मोह माया में फंसते
 तनहाई में तड़पा करते और लाफिंग क्लब में जाकर हंसते 
 पर जितनी अधिक उमर बढ़ती,जीने की ललक बढ़ी जाती 
 चाहे कम दिखता ,सुनता है ,तन मन में कमजोरी आती
 कितने ही अनुभव पाए है,जीवन में कर मारामारी
 पर वृद्धावस्था का अनुभव, पड़ता हर अनुभव पर भारी

मदन मोहन बाहेती घोटू 
बचपन और बुढ़ापे की यह बात निराली होती है 
उगते और ढलते सूरज की एक सी लाली होती है 
 होता है स्वभाव एक जैसा, वृद्धों का और बालक का 
क्योंकि जवानी सदा न रहती,अंत बुढ़ापा है सबका 
जैसे हमको आया बुढ़ापा,कभी तुम्हे भी आयेगा 
जो पीड़ा हम भोग रहें हैं,तुमको भी दिखलाएगा 
हमने तुम पर प्यार लुटाया, बचपन में जितना ज्यादा
 हमें बुढ़ापे में तुम लौटा देना बस उसका आधा 
क्योंकि उस समय हमको होगी ,जरूरत प्यार तुम्हारे की 
 तन अशक्त को आवश्यकता होगी किसी सहारे की
जो जिद तुम बचपन में करते यदि हम करें बुढ़ापे में 
तो तुम हम पर खफा ना होना, रहना अपने आपे मे 
तिरस्कार व्यवहार न करना हमको पीड़ित मत करना 
तुमसे यही अपेक्षा है कि हमे उपेक्षित मत करना

मदन मोहन बाहेती घोटू
जीवन का कुछ ऊबा ऊबा 
तो मन ने बांधा मनसूबा 
जीने की राह नजर आई,
 तन्मय तन, भक्ति में डूबा 
 
कुछ प्राणायाम और योग किया 
तन ने पूरा सहयोग दिया 
मन रहता हे अब खिला-खिला 
खुशियां भी दी, आरोग्य दिया 

कर जीवन शैली परिवर्तन 
अब खुश है तन,अब खुश है मन 
आ गई नई चुस्ती फुर्ती 
अब बदल गया मेरा जीवन 

प्रभु भक्ति की पाई भेषज 
श्री राम और गोविंदा भज 
संचित है शांति और प्रेम
उलझा जीवन अब गया सुलझ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 17 मार्च 2023

प्रकृति से बातचीत 

आज सवेरे ,प्रातः प्रातः
मैंने प्रकृति से करी बात 
 
कोयल को कूकी, मैं भी कुहका
चिड़िया चहकी , मैं भी चहका
कलियां चटकी और फूल खिले,
वे भी महके , मैं भी महका

 जब चली हवाएं मंद मंद 
 मैंने त्यागे सब प्रतिबंध 
 मैं भी बयार के संग संग 
 स्वच्छंद बहा, लग गए पंख 
 
 और जब कपोत का झुंड उड़ा 
 तो मैं भी उनके साथ जुड़ा 
 पूरे अंबर की सैर करी ,
 मैंने भी उनके साथ साथ 
 मैंने प्रकृति से करी बात 
 
जब रजनी बीती, भोर हुआ 
तो मैं आनंद विभोर हुआ 
पूरब में छाई जब लाली 
तो आसमान चितचोर हुआ 

भ्रमरों ने किया मधुर गुंजन 
हो गया रसीला मेरा मन 
तितली फुदकी, मैं भी फुदका,
कर नर्तन पाया नवजीवन 

बादल से जब सूरज झांका 
तो मैंने भी उसको ताका 
किरणे चमकी , मैं भी चमका
 फिर की प्रकाश से मुलाकात 
 मैंने प्रकृति से करी बात 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
भूनना 

कई चीजों का स्वाद 
बढ़ जाता है भूनने के बाद 
जैसे जब भुनता है चना 
स्वाद हो जाता है चौगुना 
भुनी हुई मूंगफली 
होती है स्वाद भरी 
पापड़ का असली स्वाद 
आता है भूनने के बाद 
मकई के दाने जब भुने जाते हैं 
स्वादिष्ट पॉपकॉर्न बन जाते हैं 
हम चाव से भुनी हुई शकरकंद खाते हैं 
चावल भी भूनकर पर परमल हो जाते हैं
भुने हुए बैंगन से बनता है भरता 
जिसको की खाने को सब का मन करता 
भुने हुए आलू का स्वाद होता है कमाल 
भुने खोए से बनते है,पेड़े लाल लाल 
और बड़े नोट को भुनाया जाय अगर
हमें प्राप्त होती है ढेर सारी चिल्लर
लेकिन जब आदमी जला भुना होता है 
तो वह खतरनाक ,कई गुना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू

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