मन की बात
तेरे मन की बात और है
मेरे मन की बात और है
यूं तो बंधे कई बंधन में
रिश्ते नाते ,भाई बहन में
मगर सात फेरों का बंधन ,
इस बंधन, की बात और है
तेरे मन की बात और है
मेरे मन की बात और है
यूं तो छाते, काले बादल ,
सबके मन को है हर्षाते
रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम ,
मोती की बूंदे बरसाते
पर जिस बारिश हम तुम भीगे ,
उस सावन की बात और है
तेरे मन की बात और है
मेरे मन की बात और है
राधा कृष्ण प्रेम गाथाएं,
बृज की गली गली में फैली
मोह रही है ,गोपी के संग ,
छेड़ाछेड़ी वह अलबेली
महारास पर जहां रचा,
उस वृंदावन की बात और है
तेरे मन की बात और है
मेरे मन की बात और है
रहे भटकते हम जीवन भर
आज यहां ,कल वहां बिताया
जैसा लेख लिखा नियति ने
वैसा खेला कूदा खाया
पर जिस आंगन बचपन बीता
उस आंगन की बात और है
तेरे मन की बात और है
मेरे मन की बात और है
मदन मोहन बाहेती घोटू