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शनिवार, 12 मार्च 2022

तुम वही करो जो मन बोले 

तुम वही करो जो मन बोले 
जिससे तुमको मिलती शांति ,
जो मन की दबी गांठ खोलें 
तुम वही करो जो मन बोले 

यह सोच, कोई क्या सोचेगा,
 तुम सोच न खुद की खोने दो
 औरों की सोच को अपने पर ,
 बिल्कुल हावी मत होने दो 
 यह नहीं जरूरी तुम्हारी 
 औरों के साथ पसंद मिले 
 तुमको बस वो ही करना है ,
 जिससे तुमको आनंद मिले 
 जो भी करना दृढ़ निश्चय से,
  मत खाना डगमग हिचकोले 
  तुम वही करो जो मन बोले 
  
तरह-तरह के परामर्श ,
देने कितने ही आएंगे 
तुम ये करलो तुम वो करलो 
शुभचिंतक बंद समझाएंगे 
इन रायचंद की रायों को ,
तुम बिल्कुल ध्यान नहीं देना
चाहे कुछ भी परिणाम मिले 
इनको ना कुछ लेना देना 
लेकिन निष्कर्ष नहीं लेना,
 तुम भले बुरे को बिन तोले 
 तुम वही करो जो मन बोले

मदन मोहन बाहेती घोटू
 
बस एक ही मोदी काफी है 

काशी से बोले विश्वनाथ,
 हिम पर्वत से केदार कहे, 
 हिंदुत्व की शान बढ़ाने को बस एक ही गंगा काफी है यूक्रेन से आए बच्चों से, 
 पूछो तो वे बताएंगे ,
 जो भरे जंग से ले आया ,बस एक तिरंगा काफी है
 
 सब बाहुबली दबंगों का ,
 सारा गरूर अब नष्ट हुआ 
 बुलडोजर बाबा योगी के ,
 आने से सब को कष्ट हुआ 
 सत्तर वर्षों से भारत की ,
 सत्ता पर जो कि काबिज़ थी ,
 कांग्रेस की लुटिया डुबोने को, पप्पू बेढंगा काफी है 
 
 मिल परिवार और सब कुनबा,
 जनता का धन थे लूट रहे 
 बीजेपी बीजेपी सत्ता में आई ,
 अब सब के पसीने छूट रहे 
 बरसों ताले में बंद रहे 
 तंबू में रह बनवास सहा,
 उन रामलला की मंदिर में ,अब सजने वाली झांकी है 
 
गाली दे दे कर हार गए , 
राहुल प्रियंका अखिलेश
मिल कर कौरव ने युद्ध किया,
पर सबके सब होगये शेष
बाइस का जंग तो जीत लिया,
चोबीस का जंग भी जीतेंगे,
सबको चित करने मोदी और योगी का संगा बाकी है 

मदन मोहन बाहेती घोटू

गुरुवार, 3 मार्च 2022

जवानी फिर से आई है 

पतझड़ में बासंती छवि देती दिखलाई है
जवानी फिर से आई है 
 
थका थका हारा ये तन तो थोड़ा ढीला है 
देख फागुनी रंग हुआ पर यह रंगीला है 
मदमाते मौसम ने में ऐसा जादू डाला है 
खिलती कलियां देख होगया मन मतवाला है  
झुर्राए चेहरे पर फिर से छाई लुनाई है 
जवानी फिर से आई है 

स्वर्णिम आभा होती है जब सूर्य निकलता है 
फिर सोने का गोला लगता ,जब वह ढलता है 
तप्त सूर्य के प्रखर ताप को हमने झेला है 
नहीं बुढ़ापा ,आई उम्र की स्वर्णिम बेला है  
छाई सफेदी ,जीवन की अनमोल कमाई है  
जवानी फिर से आई है 
 
 जीवन भर मेहनत कर अपना फर्ज निभाया है 
 अब खुद के खातिर जीने का मौका आया है  
 जैसे-जैसे उमर मेहरबां होती जाती है 
 दिल की बस्ती जवां दिनोंदिन होती जाती है 
 दूध बहुत उफना अब जाकर के जमी मलाई है 
 जवानी फिर से आई है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

सोमवार, 20 दिसंबर 2021

मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं 

मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं
फिर से कुर्सी चढ़ सकती हूं

जब सत्ता ने दामन त्यागा
तब मेरा लड़कीपन जागा 
प्रोढ़ा हुई पचास बरस की ,
तब लड़की वाला हक मांगा 
सूखी नदी, मगर वर्षा में ,
फिर से कभी उमड़ सकती हूं 
मैं लड़की हूं,लड़की सकती हूं

 जब शासन था, लूटा जी भर
 अब निर्बल, तो याद आया बल 
 नौ सौ चूहे मार बिलैया 
 ने थामा धर्मों का आंचल 
 जनता में भ्रम फैलाने को ,
 कितने किस्से गढ़ सकती हूं
 मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं

 मेरा भाई युवा नेता है 
 अल्प बुद्धि , इक्कावन का है 
 बूढ़ी मां है सपन संजोये,
 फिर से पाने को सत्ता है 
 जल गई रस्सी, पर न गया बल,
 अब भी बहुत जकड़ रखती हूं
 मैं लड़की हूं ,लड़ सकती हूं 
 
हुई  खोखली, वंशवाद जड़ 
पर जनता भोली है,पागल 
सेवक असंतुष्ट पुराने 
चमचे नाव खे रहे केवल 
बोल बोलती बड़े-बड़े में ,
अभी बहुत पकड़ रखती हूं 
मैं लड़की हूं ,लड़ सकती हूं
फिर से कुर्सी चढ़ सकती हूं

मदन मोहन बाहेती घोटू

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