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सोमवार, 19 अप्रैल 2021

कोरोना लाया बरबादी

दुष्ट कोरोना ऐसा आया ,लेकर आया है बरबादी
कितनो के ही प्राण हर लिए ,कई दुकाने बंद करवादी

रात चाँद धुंधला दिखता है और तारों की चमक खो गयी
पर्यावरण बहुत बिगड़ा है ,शुद्ध हवा दुश्वार हो गयी
जिन वृक्षों से ऑक्सीजन था मिलता ,हमने कटवा डाले
आज ऑक्सीजन के खातिर ,फिरते है हम मारे मारे
आज  फेंफड़े तरस रहे है ,शुद्ध हवा भी ना मिल पाती
दुष्ट कोरोना ऐसा आया , लेकर आया है  बरबादी  

बाज़ारों में सन्नाटा है ,हर जन है दहशत का मारा
श्रमिक गाँव को लौट रहे है ,तालाबंदी लगी दुबारा
भीड़ लग रही अस्पताल में ,नहीं मिल रहा बिस्तर खाली
प्राण दायिनी ,कई दवा की ,जम होती काला बाज़ारी
एक दूजे पर लगा रहे है लांछन ,हम सब है अपराधी
दुष्ट कोरोना ऐसा आया ,लेकर आया है  बरबादी

ना त्यौहार मन रहा कोई ,ना उत्सव ना भीड़भाड़ है
स्कूल कॉलेज बंद पड़े है , मॉल, सिनेमा सब उजाड़ है
कैसी गाज गिरी पृथ्वी पर ,कैसा कठिन समय यह आया
दुनिया के सारे देशों पर ,मंडरा रहा मौत का साया
रद्द हुए कितने आयोजन ,कितनो की शादी टलवा दी
दुष्ट कोरोना ऐसा आया ,लेकर आया है बरबादी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '   

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

लालच या बहानेबाजी

कहने को तो डाइटिंग पर चल रहे ,पर मिला न्योता ,
मुफ्त में मिल रही दावत ,चलो ज्यादा ठूस ही ले
सूख नीरस हुआ गन्ना ,जानते हम रस नहीं है ,
मुफ्त में पर मिल रहा है ,चलो थोड़ा चूस ही लें
पेट थोड़ा लूज़ है पर ,सालियान इसरार करती ,
ये भी खा लो ,वो भी खा लो ,टाल दें कैसे अनुग्रह
यार दोस्तों ने पिला दी ,हमें मालूम ,चढ़ गयी है ,
पेग पर हम पेग पीते ,भावना में जा रहे बह
थोड़ा लालच ,थोड़ी नीयत ,और कुछ भावुक हृदय हम ,
बात सबकी मानते ना तोड़ सकते दिल किसीका
डाइबिटीज भी हो गयी है ,और ब्लडप्रेशर बढ़ा है ,
कई बिमारी ग्रसित है ,मिल रहा है फल  इसीका

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
रहो बच कर कोरोना से

दिनबदिन हो रहा  मुश्किल,कोरोना का खेल प्रियतम
रहो बच कर कोरोना से ,कष्ट कुछ दिन झेल  प्रियतम

पूर्णिमा के चाँद जैसा ,तुम्हारा आनन चमकता
और उस पर ,अधर सुन्दर से मधुर अमृत टपकता
गुलाबी ,अनमोल है ये ,रतन  चेहरे पर तुम्हारे
इन्हे ढक लो 'मास्क 'से तुम ,कोई ना नीयत बिगाड़े
नाक छिद्रों में सुहाने ,नित्य डालो तेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

हाथ ये कोमल कमल से ,हाथ कोई ना लगाये
इन्हे धो,रखना छिपाए ,कोई इनको छू न पाये
सभी से कुछ दूरियां तुम ,हमेशा रखना बनाकर
इसलिए बाहर न निकलो ,रखो तुम खुद को छुपाकर
भले ही बंधन तुम्हे ये ,लगे कुछ दिन जेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

टोकता रहता तुम्हे मैं ,मुझे लगता बहुत डर  है
तुम भी उन्नीस ,वो भी उन्नीस ,भटकने वाली उमर है
इसलिए 'वेक्सीन 'लगवा ,बनाकर हथियार इनको
कोप से इस महामारी के बचा रखना स्वयं को
कोरोना से ना कभी भी ,हो तुम्हारा मेल प्रियतम
दिनबदिन हो रहा मुश्किल ,कोरोना का खेल प्रियतम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

चोर का चक्कर

कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला
जिस ओर न जाना चाहा था,मुझको जीवन उस ओर  मिला

वो मेरी ओर देख कर के ,बस थोड़ा सा मुस्काई थी
पर ये अंदाज ,अदा प्यारी ,कुछ ऐसी मन को भायी थी
उसकी उस पहली एक झलक ने चुरा लिया मेरे दिल को
संग चुरा ले गयी ,चैन ,नींद ,कुछ कह न सका उस कातिल को
उसके संग मिल ,चोरी चोरी ,मैंने सीखा चोरी का फ़न
उसके रस भीने ,होठों से ,कितने ही चुरा लिए चुंबन
पूरा जीवन ,उस संग काटा ,ऐसा मुझको ,चितचोर मिला
कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला

मैं रहा भटकता ,ठौर ठौर ,लेकिन जब कोई ठौर मिला
तो मुझे वहां भी ,वो नटखट ,कान्हा था माखन चोर मिला
भोली भाली ,गोपी सखियाँ और राधा का दिल लिया चुरा
एक रोज अचानक भाग गया ,कर गया पलायन वो मथुरा
कोई कामचोर ,कोई दामचोर ,चोरों से पाला पड़ा सदा
वो मुझसे नज़र चुराता है ,अहसानो से ,जो मेरे लदा
मुझसे जो भी आ टकराया ,वो चोरी में सिरमौर मिला
कुछ और की ख्वाइश की मैंने ,लेकिन मुझको कुछ और मिला

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
एक इलाज -ऐसा भी

अक्सर पतले लोगों की ,कम होती है ,प्रतिरोधक क्षमता
इस कारण ही ,बिमारी का ,रोगाणु है उन्हें  जकड़ता
पर मोटों के तन में होती ,परत एक चर्बी की मोटी
इसीलिए रोगाणु को तन में घुसने में ,दिक्कत होती
अगर रोग प्रतिरोधक बनना ,तो तन पर चर्बी रहने दो
बिमारी से ,बचके रहोगे ,मोटा लोग कहे ,कहने दो
इसीलिए तुम छोडो 'स्लिम बॉडी 'जीरो फिगर 'का चक्कर
अच्छा खाओ ,मौज उड़ाओ ,छोड़ डाइटिंग ,खाओ जी भर
 इसी तरह जब हम खाते है तेज मसाले ,भरी कचौड़ी
या तीखा पानी भर पुचके ,या फिर चाट चटपटी थोड़ी
आँख नाक से पानी बहता ,सी सी सी सी करते जाते
किन्तु स्वाद के मारे हम तुम ,बड़े चाव से ये सब खाते
हमें विटामिन सी मिलता है ,जब हम खाते ,सी सी करते
कोरोना के कीटाणु भी ,तेज  मसालों  से  है डरते
चाट चटपटी ,खाने से जब ,आँख नाक से ,बहता पानी
भगे वाइरस ,छिपे नाक में ,आती याद, उन्हें है नानी
इसीलिये यदि ,हम सबको है ,रोग कोरोना से जो  बचना
हो सकता है ,असर दिखा दे ,ये भी तरीका देखो अपना
छोड़ डाइटिंग ,जम कर खाओ ,तन पर चढ़े ,परत चर्बी की
खाओ चटपटा ,सी सी करते ,रहे कमी न विटामिन सी की
खाओ सेव ,झन्नाट कचौड़ी ,आँख नाक से पानी टपके
और कोरोना के कीटाणु ,भागे निकल ,रहे ना छिपके

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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