हम तुम्हारा क्या लेते है
हम थोड़ा हंस गा लेते है
तो तुम्हारा क्या लेते है
बूढ़े होते ,टूटे दिल को,
बस थोड़ा समझा लेते है
शिकवे गिले भुला कर सारे
मिलते है जब बांह पसारे
हमसे विमुख हो गए थे जो ,
फिर से दोस्त बना लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
घुट घुट कर कैसा जीना रे
ग़म के आंसूं क्यों पीना रे
चार दिनों के इस जीवन में ,
कुछ खुशियां बरसा लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
नींद आती है टुकड़े टुकड़े
सपने आते बिखरे ,बिखरे
अश्रु सींच ,बीती यादों को ,
कुछ हरियाली पा लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हम थोड़ा हंस गा लेते है
तो तुम्हारा क्या लेते है
बूढ़े होते ,टूटे दिल को,
बस थोड़ा समझा लेते है
शिकवे गिले भुला कर सारे
मिलते है जब बांह पसारे
हमसे विमुख हो गए थे जो ,
फिर से दोस्त बना लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
घुट घुट कर कैसा जीना रे
ग़म के आंसूं क्यों पीना रे
चार दिनों के इस जीवन में ,
कुछ खुशियां बरसा लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
नींद आती है टुकड़े टुकड़े
सपने आते बिखरे ,बिखरे
अश्रु सींच ,बीती यादों को ,
कुछ हरियाली पा लेते है
हम तुम्हारा क्या लेते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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