संकट में भगवान
मंदिर में सन्नाटा पसरा ,देव सभी मिल बात करे
इस कोरोना वाइरस ने , बहुत बुरे हालत करे
रोज भक्त जो मंदिर आते ,हमको शीश झुकाते थे
भजन कीर्तन मंत्र पाठ कर ,प्रभु की महिमा गाते थे
पर जब से है इस कोरोना ,संकट ने आ घेर लिया
कोई हमको नहीं पूछता ,सब ने है मुंह फेर लिया
ना परशाद चढ़ाता कोई ,ना अभिषेक कराता है
बाहर से ही शीश नमाता ,और सटक फिर जाता है
हम भ्रम में थे ,संकट में सब ,आ गुहार लगाएंगे
ज्यादा भक्तिभाव से आकर ,पूजा हमे चढ़ाएंगे
किन्तु संक्रमण के भय कारण ,सारे मंदिर बंद हुए
भीड़भाड़ ना हो बचने को ,उत्सव पर प्रतिबंध हुए
कुछ महीनो में ,भक्तिभाव का ,ऐसा हुआ सफाया है
मानव से ज्यादा देवों पर ,लगता संकट आया है
शिवजी बोले ,सच अबके तो ,टूट गया है मेरा मन
ना कोई भीड़ लगी भक्तों की ,बीत गया पूरा सावन
ना कावड़ ,गंगाजल आया ,ऐसा बंटाधार हुआ
शिवरात्रि को शादी थी पर मेरा ना श्रृंगार हुआ
अभिषेक ना शहद शर्करा ,नहीं भांग का भोग चढ़ा
इस कोरोना के कीड़े ने ,किया मेरा नुक्सान बड़ा
बड़े रुआंसा ,कान्हा बोले ,मेरा बर्थडे नहीं मना
ना तो सजी झांकियां कोई ,ना ज्यादा परशाद बना
ना तो हुई रासलीलाएं ,ना भक्तों का रेला था
ना थे भजन कीर्तन बस मैं ,बैठा रहा अकेला था
माता रानी बड़ी दुखी थी ,नवरात्रे सूखे बीते
ना थी कोई भीड़ भक्तों की ,मंदिर थे रीते रीते
ना श्रृंगार ,चढ़ावा कोई ,ना ही चूनरें चढ़ी नयी
ना थी चौकी ,ना भंडारे ,ना ही रतजगा हुआ कहीं
थे ग़मगीन गणपति बप्पा ,मना न उनका जन्मोत्सव
दस दिन की वो भव्य झांकियां ,भीड़भाड़ वाला वैभव
ना दर्शन की लम्बी लाइन ,नहीं चढ़ावा ,ना मोदक
ऐसा फीका जन्मोत्सव तो ,मेरा नहीं हुआ अब तक
सबने मीटिंग करी ,एक स्वर में मिल करके यही कहा
धर्मव्यवस्था बैठ जायेगी ,यदि ये ही माहौल रहा
इसीलिये आवश्यक है अब ,कृपा विष्णु भगवंत करे
होय अवतरित वेक्सीन में ,कोरोना का अंत करें
प्रभु तुम्हारे आगे कोरोना ,बौना है ,संहार करो
अपने दुखी त्रसित भक्तों पर जल्दी यह उपकार करो
जिससे भक्तिभाव फिर जागे ,मंदिर में रौनक आये
चढ़े चढ़ावा ,भजन कीर्तन ,लौट पुराने दिन आये
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '