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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

कोरोना -घोटू के चार छक्के

कोरोना के कोप से ,बहुत दुखी इंसान
ढूंढ रहा सारा जगत ,इसका कोई निदान
इसका कोई  निदान ,बड़ी घातक बिमारी
त्राहि त्राहि कर रही ,आज दुनिया है सारी
आता है तूफ़ान ,लोग घर घुस कर रहते
घर रह बचो कोरोना से ,'घोटू 'कवि कहते

रामायण  में जिस तरह ,छिप कर बैठे राम
एक बाण में कर दिया ,बाली  काम तमाम
बाली काम तमाम ,शत्रु का बल पहचानो
नहीं सामने आओ ,अगर 'घोटू 'की मानो
मत बाहर घर से निकलो है तुम्हे मनाही
नहीं  चाहते जन जीवन की अगर तबाही

परेशान सब लोग है ,बंद है कारोबार
सूनी सब सड़कें पड़ी ,है वीरान बज़ार
है वीरान बज़ार,दिहाड़ी करने वाले
सब मजदूर बेकार ,पड़े खाने के लाले
'घोटू 'कितने सेवाभावी सामने  आये
जिनने खाना और राशन ,सबमे बंटवाये

बड़े बड़े सब डॉक्टर ,नर्स और स्टाफ
बीमारों की कर रहे ,है सेवा दिन रात
है सेवा दिन रात ,पोलिस के बंदे सारे
रहे व्यवस्था क़ानून की ये सभी संभाले
सब सफाई कर्मी ने भी कर्तव्य निभाया
डटे रहे जी जान ,कोरोना फैल न पाया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

रविवार, 26 अप्रैल 2020

सवैये कोरोना के

जीवन को सब रस ,चूस लियो डस डस ,वाइरस एक बुहान से आयो
सारे जगत को रख्यो गफलत में ,चीन ने काहू को ना बतलायो
फैली महामारी जब दुनिया में सारी तो लाखों के प्राणो पे संकट छायो
ऐसे कोरोना से लड़ने को मोदी ने ,सबको ही घर में बिठाय छुपायो

आवत नहीं बाज,जालसाज,दगाबाज, परेशान आज सब ,चीनियों की चाल से    
फैला दियो वाइरस ,भारी सी बिमारी वालो ,दुनिया के लोग सब ,हुए बदहाल से
थोड़े से जमाती ,खुरापाती ,उत्पाती बने ,फैलादी बिमारी खुद ,रहे न संभाल से
मोदी को कमाल देखो हार गयो  महाकाल ,महामारी फैल नहीं पायी देखभाल से

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '  
कोरोना के कर्मवीरों  के प्रति

ओ कोरोना केकर्मवीर,तुमको मेरा ,शतशत प्रणाम
तुम्हारी मेहनत ,सेवा ने ,कोरोना पर कसदी  लगाम  

थी बड़ी विकट ही परिस्तिथि एकदम अन्जान बिमारी थी
सब साधन थे उपलब्ध नहीं ,और परेशानियां  भारी थी
उस पर डर संकम्रण का था ,पर तुम सेवा में लगे रहे
घर बार छोड़ कितनी रातें ,तुम ड्यूटी पर रह ,जगे रहे
यह सोच कोरोना घातक पर ,पीछे ना कदम हटाया है
कितनो को बचा मृत्यु मुख से ,तुमने कर्तव्य निभाया है
डॉक्टर हो या नर्सिंग स्टाफ ,या फिर सेवा कर्मी सारे
 पोलिस के अफसर ,दारोगा ,क़ानून के बन कर रखवाले
ये  वर्दी वाले  देवदूत ,मन में सेवा संकल्प लिये
सब है हक़दार प्रशंसा के ,दिन रात जिन्होंने एक किये
तुम हो विशिष्ट ,कर्तव्यनिष्ट ,हम तुम्हारे आभारी है
तुम्हारी त्याग तपस्या के ,बल पर कोरोना हारी है
है ऋणी तुम्हारे हम सब ही  ,ना भूलेगें  ये अहसान
ओ कोरोना के कर्मवीर ,मेरा तुमको शत शत प्रणाम
 
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

कोरोना की  देन

कहते हर एक बुराई के पीछे कुछ छुपी भलाई है
इस कोरोना के संकट ने ,हमको ये बात बताई है
ये सच है कि इसके कारण ,हमने दुःख बहुत उठाया है
पर आई क्षमता लड़ने की ,हमने कितना कुछ पाया है
सब रखते ख्याल सफाई का ,धोते है हाथ सलीके से
सब्जी फल जो भी लाते है ,धो खाते ,सही तरीके से
ना  भीड़  सिनेमा हालों में ,ना यूं ही विचरणा ,मालों में
आपस में आई निकटता है ,और प्यार बढ़ा घरवालों में
बचने को बोरियत से दिन भर ,कुछ महिलाओं ने ठीक किया
गूगल में रेसिपी पढ़ कर ,पकवान बनाना सीख लिया
अब  बहुत न होते  भंडारे ,मातारानी के जगराते
शादी सगाई की भीड़ घटी ,ना लम्बी चौड़ी बारातें  
ना नेताओं की वो रैली ,ना स्नेह मिलन के सम्मेलन
लग गयी लगाम ,नहीं होते ,अब भीड़ भाड़ वाले फंक्शन
कितना ज्यादा सुख मिलता था वो अपनी शान दिखाने में
शोशेबाजी ,गाना ,डीजे ,पकवान पचीसों खिलाने  में
अपनानी पड़ी सादगी है ,इस कीट कोरोना के कारण
सब कोशिश करते ,ना खाएं ,बाजारों से आया भोजन
इतना परिवर्तन आ ही गया है लोगो के व्यवहारों में
रखते सामजिक दूरी बना ,हर उत्सव और त्योहारों में
जरुरतमंदो को दान दिया ,लोगों ने खाना,राशन का
मानवता मन में जगा गया ,यह कठिन पर्व अनुशसन का
जब भी आता बदलाव कभी होती है सबको कठिनाई
चालीस दिन करी प्रेक्टिस फिर नव जीवन पद्धिति अपनाइ
अपव्यय छूटा ,मितव्ययी हुए ,हम स्वालम्बी बन पाये
ये सच है पर हम बदल गए ,जीवन में कितने सुख आये
कुछ परेशानिया आयी मगर ,हो गए आत्मनिर्भर है हम
निज सेहत के प्रति जागरूक ,अब फुर्तीले तत्पर है हम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
आओ तुम्हे इंसान बना दे

मनुज रूप में जन्मे हो तुम ,आओ तुम्हे इंसान बना दें
वाधाओं  से लड़ना सिखला , जीवनपथ आसान बना दें

पढ़ा लिखा अच्छी शिक्षा दे ,तुम्हारा अज्ञान मिटा दे
भाईचारा ,प्यार सिखा कर , नफरत की दीवार हटा दें
मदद करो जरुरतमंदों की ,सद्भावों की खान बना दें
मनुज रूप में जन्मे हो तुम ,आओ तुम्हे इंसान बना दें

प्राणायाम,श्वसन क्रियाऔर तुमको थोड़ा ध्यान सिखा दें
अपना लक्ष्य प्राप्त करलो तुम ,तुमको ऐसी राह दिखा दें
सदाचार व्यवहार सिखा कर ,नम्र और गुणवान बना दें
मनुज रूप में जन्मे हो तुम ,आओ तुम्हे इंसान बना दें

प्रगति पथ पर रहो अग्रसर ,ऐसा मन में भाव जगा दें
लक्ष्य प्राप्ति की लगन लगी हो ,मन में वो उत्साह जगा दे
देशप्रेम की ज्योति प्रज्वलित करें,वतन की शान बना दें
मनुज रूप में जन्मे हो तुम ,आओ तुम्हे इंसान बना दें

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '  

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